नई दिल्ली, 6 सितंबर:सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता कानून पर आज ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को अतार्किक और मनमानी बताते हुए कहा है कि समलैंगिकता अपराध की क्षेणी में नहीं है। यह फैसला पांच जजों की बेंच ने सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के कई दिग्गजों के बयान को पलट दिया है। साल 2013 और 2016 में जब यह मामला तूल पकड़ा था तो बीजेपी के बड़े नेताओं ने समलैंगिकता को अपराध माना था। गृहमंत्री राजनाथ सिंह, सुब्रमण्यम स्वामी, बाबा रामदेव और RSS के संघ संचालक मोहन भागवत ने अपने बयान जारी किए थे। आइए जानते हैं कि इस मसले को लेकर बीजेपी के किस नेता ने क्या कहा...
समलैंगिकता पर राजनाथ सिंह का बयान
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस मामले को लेकर कहा था "पार्टी का मानना है कि समलैंगिकता अप्राकृतिक है और इसे अपराध की श्रेणी से बाहर नहीं किया जा सकता है।"
बाबा रामदेव ने बताया बड़ी बिमारी
बाबा रामदेव ने कहा था "समलैंगिकता सबसे बड़ी बिमारी है। यह पारिवारिक व्यवस्था के खिलाफ है।" उन्होंने कहा था कि वे उनकी समलैंगिकता को सही कर सकते हैं। रामदेव ने यह भी कहा कि समलैंगिकता जेनेटिक नहीं है। हमारे माता पिता समलैंगिक होते तो हमारा जन्म नहीं हुआ होता, इसलिए यह अप्राकृतिक है।
सुब्रमण्यम स्वामी
विवादित बयानों के लिए जाने वाले बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी समलैंगिकता पर अपने विचार व्यक्त किया था। स्वामी ने कहा था "समलैंगिकता राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।"
दत्तात्रेय होसबोले
RSS के सह-सरकार्यवाहक दत्तात्रेय ने समलैंगिकता पर अपने बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि समलैंगिक विवाह समलैंगिकता का संस्थागतकरण है। इसे बंद किया जाना चाहिए। हालांकि उन्होंने अपना बयान बदल दिया था। अपने बयान से मुकरते हुए कहा था कि यह समलैंगिकता उनका निजी मामला है।
वहीं, RSS ने समलैंगिकता को समाजिक रूप से अस्वीकार किया है।
योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा था कि समलैंगिकता को धार्मिकता से न जोड़ें ये गलत है।
सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिता के कानुन को लेकर अपना फैसला सुनाया दिया है। कोर्ट ने फैसला सुनाता हुए ये भी कहा है की एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) को भी समानता का अधिकार है। धारा-377 समता के अधिकार अनुच्छेद-144 का हनन है। निजता और अंतरंगता निजी पंसद है। यौन प्राथमिकता जैविक और प्राकृतिक है। सहमति से समलैंगिक संबंध समनाता का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाकर बीजेपी और आरएसएस के दिग्गजों के बयान को पटल दिया है।