सेबी ने गिरवी रखे शेयरों की सूचना सार्वजनिक करने के नियम कड़े किए

By भाषा | Published: June 27, 2019 08:26 PM2019-06-27T20:26:15+5:302019-06-27T20:26:15+5:30

सेबी के सामने कई ऐसे मामले आए है जहां शेयर पर कर्ज योजना में ऋण पत्रों में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंडोंने कम पहचान या निम्न रेटिंग वाली कंपनियों के ऋण पत्रों में उनके प्रवर्तकों के शेयरों के आधार पर धन लगाया। सेबी के निदेशक मंडल की बैठक के बाद जारी नए निर्देशों में नियामक ने कहा है कि शेयरों पर किसी तरह की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष देनदारी होने पर उन्हें बंधक शेयर माना जाएगा।

Sebi board meet: Stricter norms for mutual funds, promoters pledge | सेबी ने गिरवी रखे शेयरों की सूचना सार्वजनिक करने के नियम कड़े किए

सेबी ने अलग अलग मताधिकार वाले शेयरों की रूपरेखा को मंजूरी दी।

Highlightsदोनों कंपनियों ने अपने ऋणदाताओं के साथ शेयरों के संबंध में यथास्थिति कायम रखने का करार किया है।अलग-अलग मताधिकार वाले शेयर जारी करने के संबंध में नए नियमों को बृहस्पतिवार को मंजूरी दी।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कुछ म्यूचुअल फंड कंपनियों द्वारा कंपनियों के प्रवर्तकों के शेयरों को गिरवी रख कर उन्हें कर्ज देने के मामलों को गंभीरता से लेते हुए गिरवी रखे शेयरों के बारे में सूचना देने के नियमों कड़े किए हैं।

सेबी के सामने कई ऐसे मामले आए है जहां शेयर पर कर्ज योजना में ऋण पत्रों में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंडोंने कम पहचान या निम्न रेटिंग वाली कंपनियों के ऋण पत्रों में उनके प्रवर्तकों के शेयरों के आधार पर धन लगाया। सेबी के निदेशक मंडल की बैठक के बाद जारी नए निर्देशों में नियामक ने कहा है कि शेयरों पर किसी तरह की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष देनदारी होने पर उन्हें बंधक शेयर माना जाएगा।

सेबी ने कहा है कि यदि बंधक या गिरवी रखे शेयरों का आंकड़ा कंपनी की शेयर इक्विटी पूंजी के 20 प्रतिशत को पार कर जाता है तो प्रवर्तकों को इसकी लिखित रूप से वजह बतानी होगी। यहां उल्लेखनीय है कि प्रमुख गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (एनबीएफसी) में नकदी संकट के बाद डीएचएफएल जैसे शैडो बैंकों और मीडिया क्षेत्र के जी ग्रुप सहित कई अन्य कंपनियों ने अपने कर्ज के भुगतान में चूक की।

हालांकि, दोनों कंपनियों ने अपने ऋणदाताओं के साथ शेयरों के संबंध में यथास्थिति कायम रखने का करार किया है। सबसे बड़ी संपत्ति प्रबंधन कंपनी एचडीएफसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी ने कहा कि वह डीएचएफएल की 500 करोड़ रुपये की एनसीडी की पुनर्खरीद करेगी, जो वह अपने निश्चित आय योजना के निवेशकों से समय पर भुना नहीं पाई।

इसका मतलब है कि एचडीएफसी एएमसी को 500 करोड़ रुपये की चोट लगेगी। हालांकि, कोटक एएमसी जो अपनी यूनिट्स को समय पर भुना नहीं पाई उसने अपने निश्चित आय योजना के निवेशकों को भुगतान के लिए एक साल और इंतजार करने को कहा।

सेबी ने कहा कि यदि किसी कंपनी के गिरवी रखे शेयर 20 प्रतिशत से अधिक हो जाते हैं तो आडिट पैनल को किसी भी बंधक रखे शेयरों जिनका खुलासा नहीं किया गया है, की जानकारी देनी होगी। 

सेबी ने अलग अलग मताधिकार वाले शेयरों की रूपरेखा को मंजूरी दी

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अलग-अलग मताधिकार वाले शेयर जारी करने के संबंध में नए नियमों को बृहस्पतिवार को मंजूरी दी। नयी व्यवस्था जुलाई से लागू होगी। सेबी ने इसके साथ ही म्यूचुअल फंडों को किसी कंपनी के गिरवी रखे शेयरों पर यथास्थिति बरकरार रखने का करार करने पर पाबंदी लगा दी है।

सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने बोर्ड की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि म्यूचुअल फंडों को कंपनियों के साथ यथास्थिति बरकरार रखने का करार करने पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि लिक्विड म्यूचुअल फंडों को कम से कम 20 प्रतिशत नकदी समतुल्य प्रतिभूतियों /गिल्ट में रखना अनिवार्य किया गया है।

सेबी ने तरल कोषों में किसी क्षेत्र में निवेश की हिस्सेदारी की सीमा भी 20 प्रतिशत तय कर दी है। यदि रॉयल्टी पांच प्रतिशत से अधिक हुई तो इसके लिये शेयरधारकों की मंजूरी लेनी होगी। सेबी ने खराब आर्थिक स्थिति वाली कंपनियों के रिण पत्र कर्ज खरीदने में शेयरधारकों के पैसे का इस्तेमाल करने वाले म्यूचुअल फंडों पर नाराजगी जतायी।

उसने कहा कि म्यूचुअल फंड कंपनियों के साथ यथास्थिति बरकरार रखने वाला करार नहीं कर सकते हैं। हमने इस तरह का करार करने वाले म्यूचुअल फंडों के खिलाफ कदम उठाये हैं। बोर्ड ने शेयर गिरवी रखने के लिये दिशानिर्देश को भी मंजूरी दी।

त्यागी ने कहा कि सेबी ने कुछ क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया की शुरुआत की गयी है। उन्होंने कहा कि नियामक ने व्हाट्सऐप के जरिये जानकारियों को बाहर भेजने के मामले की जांच पूरी कर ली है। इसकी रिपोर्ट जल्दी ही सार्वजनिक की जाएगी। 

Web Title: Sebi board meet: Stricter norms for mutual funds, promoters pledge

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