वैज्ञानिकों ने केराटिन कचरे को उर्वरकों में बदलने की तकनीक विकसित की
By भाषा | Updated: September 16, 2021 20:46 IST2021-09-16T20:46:07+5:302021-09-16T20:46:07+5:30

वैज्ञानिकों ने केराटिन कचरे को उर्वरकों में बदलने की तकनीक विकसित की
नयी दिल्ली, 16 सितंबर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों ने मानव बाल, ऊन और मुर्गी के पंखों जैसे केराटिन कचरे को उर्वरकों, पालतू जानवरों एवं पशुओं के चारे में बदलने के लिए एक नयी टिकाऊ और किफायती प्रणाली विकसित की है।
इसने कहा कि भारत में हर साल बड़ी मात्रा में मानव बाल, मुर्गी के पंखों और ऊन संबंधी कचरा पैदा होता है जिसे फेंक दिया जाता है, मिट्टी में दबा दिया जाता है, भूमि-भराव के लिए इस्तेमाल किया जाता है या जला दिया जाता है। इससे पर्यावरणीय क्षति, प्रदूषण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बढ़ जाता है तथा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि होती है।
यह अमीनो एसिड और प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत है जो पशु आहार और उर्वरक के रूप में इस्तेमाल होने की इसकी क्षमता को रेखांकित करता है।
डीएसटी ने कहा कि रसायन प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के कुलपति एबी पंडित ने अपने छात्रों के साथ केराटिन कचरे को पालतू जानवरों के लिए भोजन और पौधों के लिए उर्वरक में बदलने के लिए एक तकनीक विकसित की है।
इसने कहा कि वैज्ञानिक वर्तमान में रेवोल्टेक टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, गुजरात के सहयोग से इस तकनीक को बड़े पैमाने पर लागू कर रहे हैं तथा उत्पादन में इस प्रगति से तरल जैव उर्वरक किसानों के लिए सस्ती दर पर उपलब्ध होंगे।
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