SC ने दिल्ली के निजी स्कूल को विकास शुल्क लेने की अनुमति पर लगायी रोक, जानें मामला
By वैशाली कुमारी | Updated: June 29, 2021 20:16 IST2021-06-29T20:16:26+5:302021-06-29T20:16:26+5:30
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ( डीओई ) की गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों द्वारा शुल्क वसूली को विनियमित करने के अधिकार की दलील से सहमत नहीं हुई।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के निजी स्कूलों को वार्षिक और विकास शुल्क लेने की अनुमति देने के आदेश पर रोक लगा दी है।
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के निजी स्कूलों को वार्षिक और विकास शुल्क लेने की अनुमति देने के आदेश पर रोक लगा दी है।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर , न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ( डीओई ) की गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों द्वारा शुल्क वसूली को विनियमित करने के अधिकार की दलील से सहमत नहीं हुई। कोर्ट ने आदेश दिया कि शुल्क वसूलने के अनुमति के उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगायी जाए।
पीठ ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह से कहा कि हम इस पर रोक लगाने के इच्छुक नहीं है। विकास सिंह ने आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए बताया कि इससे लाखों अभिभावक प्रभावित होंगे।
हालांकि , शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि दिल्ली सरकार उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष ये सभी दलीलें रख सकती है क्योंकि यहां याचिका को अच्छाई बुराई के आधार पर खारिज नहीं किया गया है।शीर्ष अदालत ने इस मामले का संज्ञान लिया कि हाई कोर्ट की खंडपीठ 12 जुलाई को मामले पर सुनवाई करने वाली है।
कोर्ट ने बताया कि ये सभी दलीलें सरकार वहां रख सकती है , क्योंकि यहां याचिका को गुण - दोष के आधार पर खारिज नहीं किया गया है। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने 31 मई को दिल्ली सरकार के डीओई द्वारा जारी अप्रैल और अगस्त 2020 के आदेश को रद्द कर दिया था। जिसके जरिए वार्षिक शुल्क और विकास शुल्क के संग्रह पर रोक लगायी गयी थी।