नई दिल्ली, 21 अप्रैलः एसएसी/एसटी अधिनियम पर उच्चतम न्यायालय के विवादास्पद फैसला को वापस लेने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर कर आरोप लगाया गया है कि एक 'जाली एफआईआर' के आधार पर फैसला दिया गया, जिसे उसके समक्ष पेश किया गया था।
नई याचिका मूल शिकायतकर्ता ने दी है जिनकी प्राथमिकी पर मामला शुरू हुआ था और आखिरकार शीर्ष न्यायालय तक पहुंचा था। याचिका में दावा किया गया है कि प्राथमिकी(एफआईआर) की पूरी विषय वस्तु शीर्ष अदालत के समक्ष जानबूझ कर उपलब्ध नहीं कराई गई। मूल एफआईआर मराठी भाषा में है।
उच्चतम न्यायालय ने अपने 20 मार्च के फैसले में एसटी-एसटी अधिनियम के तहत गिरफ्तारी से संबंधित प्रावधानों को कथित तौर पर नरम कर दिया था।
गौरतलब है कि न्यायालय के फैसले को लेकर एससी / एसटी संगठनों के भारत बंद आह्वान के दौरान दो अप्रैल को कई राज्यों में हिंसा की घटनाएं हुई थीं। केंद्र और कुछ राज्यों ने भी फैसले की समीक्षा की मांग की है। केंद्र ने 12 अप्रैल को शीर्ष न्यायालय से कहा था कि उसके फैसले ने एससी / एसटी कानून के प्रावधानों को कमजोर कर दिया है।
फैसले को वापस लेने की मांग करते हुए मूल शिकायतकर्ता बी के गायकवाड़ ने दावा किया कि उच्चतम न्यायालय में याचिकाकर्ताओं ने जानबूझ कर एक जाली प्राथमिकी दी और इस तरह धोखाधड़ी की।