देश की सर्वोच्च अदालत ने सोमवार (30 सितंबर) को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया था कि कोर्ट सरकार को जम्मू-कश्मीर के सभी अस्पतालों और चिकित्सा प्रतिष्ठानों में हाई स्पीड इंटरनेट सेवाओं और फिक्स्ड लैंडलाइन फोन सेवाओं को बहाल करने के निर्देश दे।
सुप्रीम कोर्ट ने बाल अधिकार विशेषज्ञ एनाक्षी गांगुली और प्रो शांता सिन्हा द्वारा दायर जनहित याचिका को संविधान पीठ को भेज दिया, जिसमें अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के मद्देनजर जम्मू और कश्मीर में बच्चों को अवैध रूप से हिरासत में रखने का आरोप लगाया गया। सुप्रीम कोर्ट कल से अनुच्छेद 370 से संबंधित याचिका पर सुनवाई शुरू करेगी।
इधर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि कश्मीर घाटी में अब कोई प्रतिबंध नहीं है और समूचे विश्व ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने का समर्थन किया है। शाह ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पांच अगस्त को लिए गए साहसिक कदम की वजह से जम्मू-कश्मीर अगले 5-7 साल में देश का सबसे विकसित क्षेत्र होगा। गृह मंत्री ने कहा कि कश्मीर में 196 थाना-क्षेत्रों में से हर जगह से कर्फ्यू हटा लिया गया है और सिर्फ आठ थाना-क्षेत्रों में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत पाबंदियां लगाई गई हैं। इस धारा के तहत पांच या इससे ज्यादा लोग एक साथ इकट्ठा नहीं हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ दिनों से मोबाइल कनेक्शन नहीं चलने को लेकर लोग हल्ला कर रहे हैं। फोन की कमी से मानवाधिकार उल्लंघन नहीं होता है। जम्मू-कश्मीर में 10,000 नए लैंडलाइन कनेक्शन दिए गए हैं, जबकि बीते दो महीने में छह हजार पीसीओ दिए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ अनुच्छेद 370 पर फैसला भारत की एकता और अखंडता को मजबूत करेगा।