नई दिल्ली। अर्णब गोस्वामी को आगे भी सुरक्षा मिलती रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ पत्रकार को दी गई सुरक्षा कि अवधि आगे बढ़ा दी है। कोर्ट ने अर्णब की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। अर्णब ने सुप्रीम कोर्ट में 24 अप्रैल को अपनी सुरक्षा के संबंध में याचिका दायर की थी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि फैसला आने तक अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर लगी रोक जारी रहेगी। बेंच ने कहा कि वो एक दो-दिन में इस मामले पर फैसला सुनाया जाएगा।
वरिष्ठ टीवी पत्रकार अर्णब गोस्वामी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सोमवार को सुनवाई की। कोर्ट में अर्णब की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पक्ष रखा। वहीं महाराष्ट्र सरकार की ओर से कपिल सिब्बल ने अपना पक्ष रखा। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि अर्णब को दी गई राहत वापस ले ली जाए। राज्य सरकार का आरोप है कि अर्णब सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, अपने टीवी शो में जांच अधिकारियों को धमका रहे हैं।
रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी पर महाराष्ट्र सरकार की ओर से एक नया मामला दर्ज कराया गया है। अर्णब पर आरोप है कि उन्होंने 14-15 अप्रैल को अपने चैनल पर टेलीकास्ट शो के दौरान जांच अधिकारियों को धमकी दी है। वरिष्ठ पत्रकार के खिलाफ तहरीर मिलने पर मुंबई पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 2 मई को उनपर मुकदमा दर्ज किया था। मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मामले को रद्द करने के लिए भी अर्णब ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
उल्लेखनीय है महाराष्ट्र सरकार की ओर से मुंबई के पुलिस उपायुक्त ने कोर्ट को बताया था कि अर्णब अपनी स्थिति का लाभ उठाते हुए पुलिस को धौंस में ले रहे हैं। वे अपने कार्यक्रमों के जरिए पुलिस को दबाव में लेने का प्रयास कर रहे हैं। पालघर में दो साधुओं समेत तीन लोगों की हत्या के मामले में एक टीवी कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ अर्णब ने टिप्पणी की थी। टीबी पर बहस करते अर्णब गोस्वामी ने पूछा था कि इस हत्याकांड पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस घटना पर चुप क्यों हैं। इससे नाराज कांग्रेसियों ने देश भर में सौ से ज्यादा एफआइआर दर्ज करा दी थीं।