सारदा घोटाला: मुश्किल में पूर्व पुलिस आयुक्त, गिरफ्तारी से संरक्षण में किसी प्रकार की राहत नहीं

By भाषा | Published: May 24, 2019 07:50 PM2019-05-24T19:50:04+5:302019-05-24T19:50:04+5:30

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 17 मई को राजीव कुमार को गिरफ्तारी से संरक्षण देने संबंधी अपना पांच फरवरी का आदेश वापस ले लिया था लेकिन इसे 24 मई तक प्रभावी रखा था ताकि पूर्व पुलिस आयुक्त राहत के लिये उचित अदालत जा सकें।

SC dismisses plea of ex-Kolkata CP Rajeev Kumar seeking extension of protection from arrest | सारदा घोटाला: मुश्किल में पूर्व पुलिस आयुक्त, गिरफ्तारी से संरक्षण में किसी प्रकार की राहत नहीं

प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 17 मई के आदेश में केन्द्रीय जांच ब्यूरो और पश्चिम बंगाल पुलिस के बीच मनमुटाव और टकराव की स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी।

Highlightsपीठ ने कहा कि राजीव कुमार ने इससे पहले संरक्षण की अवधि बढ़ाने का अनुरोध करते हुये न्यायालय में एक आवेदन भी दायर किया था।राजीव कुमार को प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के आदेश के बाद संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत यह याचिका दायर नहीं करनी चाहिए थी।

सारदा चिटफंड घोटाले में कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से गिरफ्तारी से संरक्षण में किसी प्रकार की राहत पाने में विफल रहे।

न्यायालय ने राजीव कुमार को दिये गये संरक्षण की अवधि बढ़ाने के लिये दायर याचिका पर विचार से इंकार कर दिया। कुमार को प्राप्त संरक्षण की अवधि शुक्रवार को समाप्त हो गयी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 17 मई को राजीव कुमार को गिरफ्तारी से संरक्षण देने संबंधी अपना पांच फरवरी का आदेश वापस ले लिया था लेकिन इसे 24 मई तक प्रभावी रखा था ताकि पूर्व पुलिस आयुक्त राहत के लिये उचित अदालत जा सकें।

राजीव कुमार ने कोलकाता में वकीलों की हड़ताल का हवाला देते हुये उच्चतम न्यायालय में एक नयी याचिका दायर कर इस संरक्षण की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया था। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की अवकाश पीठ ने कहा कि यह याचिका विचार योग्य नहीं है और राजीव कुमार को प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के आदेश के बाद संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत यह याचिका दायर नहीं करनी चाहिए थी।

पीठ ने कहा कि राजीव कुमार ने इससे पहले संरक्षण की अवधि बढ़ाने का अनुरोध करते हुये न्यायालय में एक आवेदन भी दायर किया था। पीठ ने कहा कि पूर्व पुलिस आयुक्त इस मामले में राहत के लिये व्यक्तिगत रूप से भी कलकत्ता उच्च न्यायालय या निचली अदालत जा सकते हैं।

इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही कुमार के वकील सुनील फर्नांडीज से पीठ ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले में पहले ही आदेश दे चुकी है और बाद में प्रधान न्यायाधीश ने इस मामले में शीघ्र सुनवाई के लिये दायर आवेदन सूचीबद्ध करने से भी इंकार कर दिया था।

फर्नांडीज ने जब यह कहा कि कोलकाता में वकीलों की हड़ताल के कारण अदालतों में काम नहीं हो रहा है, पीठ ने कहा, ‘‘आप गलत हैं। अदालतों में काम हो रहा है। अदालतों में सभी न्यायाधीश आ रहे हैं और वे वादकारियों को सुन रहे हैं। आपके मुवक्किल पूर्व पुलिस आयुक्त हैं और वह अनेक नौजवान वकीलों से कहीं अधिक बेहतर तरीके से कानून जानते हैं। वह व्यक्तिगत रूप से अदालत में जा सकते हैं।’’

फर्नांडीज ने जब पीठ से कहा कि वह प्रधान न्यायाधीश से संपर्क करेंगे लेकिन समस्या यह है कि कुमार को प्रदत्त संरक्षण की अवधि आज समापत हो रही है तो पीठ ने कहा, ‘‘इसमें क्या किया जा सकता है? क्या हम इस पर सुनवाई कर सकते हैं? आपकी समस्या कुछ भी हो सकती है परंतु अनुच्छेद 32 के तहत आपकी याचिका विचार योग्य नहीं है।’’

पीठ ने कुमार के वकील से कहा, ‘‘बेहतर होगा कि आप इसे वापस ले लें। आपके पास कई मंच उपलब्ध हैं। प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 17 मई के आदेश में केन्द्रीय जांच ब्यूरो और पश्चिम बंगाल पुलिस के बीच मनमुटाव और टकराव की स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी। पीठ ने कहा कि इसका खामियाजा वे लाखों निवेशक भुगत रहे हैं जिनकी जमा पूंजी लुट गयी है। 

Web Title: SC dismisses plea of ex-Kolkata CP Rajeev Kumar seeking extension of protection from arrest

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