सावित्रीबाई फुले: भारत की पहली महिला शिक्षिका, लड़कियों को पढ़ाने निकलतीं, तो समाज फेंकता था गोबर

By राजेन्द्र सिंह गुसाईं | Published: January 3, 2021 10:55 AM2021-01-03T10:55:17+5:302021-01-03T11:08:12+5:30

सावित्रीबाई फुले ने पति के साथ मिल कर महिला सशक्तीकरण, खासतौर पर शिक्षा के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई थी...

Savitribai Phule: First female teacher of India, an Indian social reformer, educationalist, and poet from Maharashtra | सावित्रीबाई फुले: भारत की पहली महिला शिक्षिका, लड़कियों को पढ़ाने निकलतीं, तो समाज फेंकता था गोबर

सावित्रीबाई फुले के विचारों का 19वीं सदी तक समाज पर गहरा असर शुरू हो गया था।

Highlightsसावित्रीबाई का जन्म 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र में हुआ।9 साल की उम्र में ज्योतिराव फुले से शादी।देश की पहली महिला टीचर, दलितों के लिए आखिरी सांस तक लड़ाई।

समाज सुधारिका एवं मराठी कवियत्री सावित्रीबाई फुले को भारत की प्रथम महिला शिक्षिका माना जाता है। महिलाओं की शिक्षा की अग्रणी पैरोकार सावित्रीबाई फुले और उनके समाज सुधारक पति ज्योतिराव फुले को 173 साल पहले भारत में लड़कियों के लिए पहला स्कूल शुरू करने का श्रेय जाता है। 

महज 9 साल की उम्र में ज्योतिराव फुले से शादी

3 जनवरी 1931 को महाराष्ट्र में सतारा जिले के नायगांव में जन्मीं सावित्रीबाई की महज नौ साल की उम्र में ज्योतिराव से शादी करवा दी गई थी। इसके बाद वह पति के साथ पुणे में रहने लगीं। 

पति ने शिक्षा के लिए किया प्रोत्साहित

आधुनिक विचारों और सुधारवादी उमंग से लबरेज पति ज्योतिराव फुले ने उनसे पढ़ने-लिखने को कहा। फुले खुद तीसरी कक्षा तक पढ़े थे, लेकिन सावित्रीबाई को शिक्षित करवाया और उन्हें 1847 में एक योग्य शिक्षिका बनाने में मदद की। 

सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था।
सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था।

साल 1848 में लड़कियों के लिए खोला स्कूल, समाज ने किया विरोध

उस समय पढ़ाई का अधिकार जातियों में बंटा था। अस्पृश्यता, छुआछूत, भेदभाव जैसी कुरीतियां चरम पर थीं। इसके बावजूद दंपति ने तब 1 जनवरी 1848 को पुणे शहर के भिडेवाड़ा में लड़कियों के लिए एक स्कूल की शुरुआत की और सावित्रीबाई इसकी पहली शिक्षिका बनीं। हालांकि दंपति को महिला शिक्षा का विरोध करने वाले रूढ़िवादी विचारधारा के लोगों की ओर से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। 

अपने साथ एक अतिरिक्त साड़ी लेकर निकलती थीं

सावित्रीबाई अपने साथ एक अतिरिक्त साड़ी लेकर लड़कियों को पढ़ाने निकलती थीं, क्योंकि जब वह स्कूल के निकलतीं, तो लोग कई बार उन पर पत्थर और गोबर फेंक देते और वो साड़ी खराब हो जाती थी। स्कूल पहुंचकर सावित्रीबाई साड़ी बदल लेती थीं। 

सावित्रीबाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिराव फुले से हुआ था।
सावित्रीबाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिराव फुले से हुआ था।

ये वो समय था जब महज 8-9 साल की उम्र में लड़कियों की शादी करवा दी जाती थी। सावित्रीबाई यहीं नहीं रुकीं। इसके बाद उन्होंने एक-एक करके 18 स्कूल खोले, जहां शुरुआती वक्त में वह लड़कियों को रात में उनके घर से पढ़ाने के लिए ले आती थीं।

घर से बाहर निकाला गया, फिर भी नहीं मानी हार

तमाम विरोध के बाद फुले दंपति को उनके पिता ने घर से ही निकाल दिया, जिसके बाद ज्योतिराव और सावित्री सड़क पर आ गए, लेकिन हौसला नहीं टूटा। अब सावित्रीबाई ने महिलाओं के मौलिक अधिकारों की लड़ाई लड़नी शुरू कर दी। उन्होंने साल 1853 में बालहत्या प्रतिबंधक गृह की स्थापना की, जहां 4 साल में 100 से अधिक विधवा स्त्रियों ने बच्चों को जन्म दिया।

सावित्रीबाई फुले को महिलाओं और दलितों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है।
सावित्रीबाई फुले को महिलाओं और दलितों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है।

प्लेग के मरीजों की देखभाल करते हुए खुद बीमारी की चपेट में आईं

सावित्रीबाई ने 1897 में अपने बेटे यशवंतराव के साथ प्लेग के मरीजों के लिए पुणे में अस्पताल खोला, जहां वह मरीजों की देखभाल करते हुए खुद इसकी चपेट में आ गईं। 10 मार्च 1897 को उनका देहांत हो गया था। हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की जयंती तीन जनवरी को प्रतिवर्ष ‘सावित्री उत्सव’ के रूप में मनाने का ऐलान किया है।

Web Title: Savitribai Phule: First female teacher of India, an Indian social reformer, educationalist, and poet from Maharashtra

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