डीजीपी पद छोड़ने के बाद छलका संजय पांडेय का दर्द, कहा- 'काम करना असंभव हो गया था'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: February 20, 2022 20:26 IST2022-02-20T20:14:50+5:302022-02-20T20:26:55+5:30

आईपीएस संजय पांडेय पूर्व में महाराष्ट्र राज्य सुरक्षा निगम के प्रबंध निदेशक के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे थे लेकिन तत्कालीन पुलिस महानिदेशक सुबोध जायसवाल को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद कुछ समय के लिए डीजीपी पद की जिम्मेदारी उन्हें दी गई थी।

Sanjay Pandey's pain after being removed from the post of DGP, said- it had become impossible to work | डीजीपी पद छोड़ने के बाद छलका संजय पांडेय का दर्द, कहा- 'काम करना असंभव हो गया था'

डीजीपी पद छोड़ने के बाद छलका संजय पांडेय का दर्द, कहा- 'काम करना असंभव हो गया था'

Highlightsसंजय पांडेय ने कहा, डीजीपी का पद ऐसा है, जिसके लिए जेब में हमेशा त्यागपत्र रखना होता हैबीते दिनों महाराष्ट्र सरकार ने संजय पांडेय से पुलिस महानिदेशक पद का प्रभार वापस ले लियासंजय पांडेय की जगह साल 1988 बैच के आईपीएस रजनीश सेठ नये पुलिस महानिदेशक बने हैं 

मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक संजय पांडेय ने पद से हटने के बाद कहा है कि उनकी ईमानदारी पर शक किया गया, जिससे उनके लिए बतौर महानिदेशक काम करना असंभव हो गया था। इसलिए उन्होंने पद छोड़ने का फैसला किया। उद्धव ठाकरे सरकार ने आईपीएस संजय पांडेय की जगह रजनीश सेठ को सूबे का नया पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया है।

भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ पदाधिकारी संजय पांडेय ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने कानूनी बहस के दौरान मेरी ईमानदारी पर जो प्रतिकूल टिप्पणी की थी, उसके कारण मेरे लिए पुलिस विभाग के प्रमुख के तौर पर कार्य करना असंभव हो गया था।

सोशल मीडिया पर अपना बयान साझा करते हुए संजय पांडेय कहते हैं, "पुलिस महानिदेशक का पद ऐसा होता है जिसके लिए जेब में हमेशा त्यागपत्र तैयार रखना होता है। जब मुझे डीजीपी पद की जिम्मेदारी दी गई, तो मैंने जीवन में असंख्य जिम्मेदारियों को निभाते हुए पुलिससेवा के लंबे करियर के अंत की तरफ कदम रखा था।"

लेकिन मैंने इस प्रभार (डीजीपी) को साहस के साथ छोड़ दिया है। बीते 10 महीनों से ज्यादा के कार्यकाल में मुझे कुछ अति महत्वपूर्ण और दीर्घकालिक नीतिगत परिवर्तन करने का मौका मिला, जिसमें पुलिसकर्मियों के लिए काम करने को आसान बनाने के साथ ही पुलिस बल में पुरुषों और महिलाओं को सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ाना भी शामिल था।

इसके आगे वो लिखते हैं कि बीते कार्यकाल में मेरे कार्यों और निर्णयों को कमजोर करने के लिए कई तरह के प्रयास किए गए, लेकिन मैंने ईमानदारी से काम किया और मुझे मेरे काम से पहचान भी मिली। मैं इस पद को छोड़ते हुए ये बताना चाहता हूं कि मैं न तो डीजीपी के रूप में अतिरिक्त प्रभार लेने के लिए तरस रहा था और न ही जिम्मेदारी दिए जाने के बाद मैं विचलित हुआ।

पुलिस सेवा में तैनात पुरुषों और महिलाओं के प्रति, मैं उनके विश्वास और सहयोग के लिए अपना आभार व्यक्त करता हूं। उनके लिए मैं कहना चाहता हूं कि उनके करियर में भी आने वाले मोड़ और अनियोजित उतार-चढ़ाव आ सकते हैं। आप अपनी रीढ़ को मजबूत करें और उनका सामना करें। लंबे पुलिस करियर के दौरान रीढ़ की हड्डी वाले पुलिसकर्मीयों को अक्सर विवादास्पद मोड़ों का सामना करना पड़ता है।

संजय पांडेय ने पुलिस प्रमुख के तौर पर अपनी तैनाती के दौरान पुलिस कांस्टेबल से सब इंस्पेक्टर पदोन्नति, गढ़चिरौली में तैनात पुलिसकर्मियों के लिए 1.5 गुना वेतन, डॉग स्क्वायड के भत्ते में वृद्धि सहित कई प्रस्तावों को अनुमोदन के लिए भेजे जाने का भी जिक्र किया।

मालूम हो कि वरिष्ठ आईपीएस संजय पांडेय को महाराष्ट्र सरकार ने अतिरिक्त कार्यभार देते हुए पुलिस महानिदेशक बनाया था। उससे पूर्व वो महाराष्ट्र राज्य सुरक्षा निगम के प्रबंध निदेशक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे लेकिन तत्कालीन पुलिस महानिदेशक सुबोध जायसवाल की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के बाद कुछ समय के लिए यह जिम्मेदारी वरिष्ठ आईपीएस संजय पांडेय को दी गई थी।

बीते दिनों महाराष्ट्र सरकार ने संजय पांडेय से महानिदेशक पद का अतिरिक्त प्रभार वापस लेते हुए साल 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी रजनीश सेठ को नया पुलिस महानिदेशक बना दिया है। 

Web Title: Sanjay Pandey's pain after being removed from the post of DGP, said- it had become impossible to work

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