समलैंगिक विवाह पर केंद्र ने राज्यों से मांगा विचार, सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई के बीच उठाया बड़ा कदम
By विनीत कुमार | Published: April 19, 2023 10:51 AM2023-04-19T10:51:14+5:302023-04-19T14:19:23+5:30
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भी पक्षकार बनाया जाए। हालांकि कोर्ट ने इसे फिलहाल के लिए खारिज किया है।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाहों के लिए कानूनी मंजूरी देने की याचिकाओं पर जारी सुनवाई के बीच केंद्र ने राज्यों को पत्र लिखकर इस मामले पर उनके विचार मांगे हैं। केंद्र ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि समलैंगिक जोड़े के लिए शादी करने के अधिकार की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई में सभी राज्यों को पक्षकार बनाया जाए।
कोर्ट की ओर से इस अनुरोध को खारिज करने के बाद केंद्र ने कहा है कि उसे राज्यों के साथ विचार-विमर्श करने और कोर्ट के सामने उनके विचार रखने की अनुमति दी जानी चाहिए। केंद्र ने कहा है कि तब तक मामले में आगे की सुनवाई को स्थगित कर दिया जाना चाहिए।
केंद्र ने बुधवार को कोर्ट को बताया कि उसने 18 अप्रैल को राज्यों को पत्र भेजकर समलैंगिक शादियों को मान्यता देने के अनुरोध वाली याचिकाओं में उठाए गए मौलिक मुद्दे पर उनसे टिप्पणियां मांगी हैं।
पांच जजों की संविधान पीठ कर रही है सुनवाई
केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ से आग्रह किया कि राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को सुनवाई में पक्ष बनाया जाए। इस पीठ में न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति एस आर भट, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा भी शामिल हैं। पीठ ने समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर बुधवार को लगातार दूसरे दिन आज सुनवाई की।
केंद्र की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि याचिकाओं पर सुनवाई और फैसले का देश पर महत्वपूर्ण प्रभाव होगा, क्योंकि आम लोग और राजनीतिक दल इस विषय पर अलग-अलग विचार रखते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 25 नवंबर को दो समलैंगिक जोड़ों द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा था।
इन याचिकाओं में दोनों जोड़ों ने शादी के अपने अधिकार को लागू करने और संबंधित अधिकारियों को विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपने विवाह को पंजीकृत करने का निर्देश देने की अपील की थी।
(भाषा इनपुट)