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जेल में साईबाबा को ऊनी टोपी और अन्य चीजें नहीं लेने दी गयी: वकील

By भाषा | Updated: December 27, 2020 16:46 IST

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नागपुर, 27 दिसंबर माओवादियों के साथ संबंधों को लेकर उम्रकैद की सजा काट रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफसेर जी एन साईबाबा के वकील ने रविवार को आरोप लगाया कि जेल प्रशासन ने ऊनी टोपी और कई अन्य चीजें नहीं स्वीकार कीं जो उनके परिवार ने उनके लिए भेजी थीं।

हालांकि जेल के एक अधिकारी ने कहा कि जेल प्रशासन ने सारी जरूरी चीजें प्राप्त कर ली थीं लेकिन वह हर चीज (जेल के) अंदर नहीं जाने दे सकता।

साईबाबा 90 प्रतिशत दिव्यांग हैं और व्हीलचेयर पर रहते हैं। वर्ष 2017 में महाराष्ट्र में गढ़चिरौली की एक अदालत ने माओवादियों के साथ संबंध रखने और देश के खिलाफ लड़ाई छेड़ने जैसी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर उन्हें और चार अन्य को दोषी ठहराया था। तब से उन्हें नागपुर जेल में रखा गया है।

साईबाबा के वकील आकाश सरोदे ने पीटीआई-भाषा से कहा कि साईबाबा जो 34 अलग अलग सामान की जरूरत थी, उन्हें पहुंचाने के लिए तीन दिन पहले जब वह जेल गये थे, तब जेल अधिकारियों ने उनमें से बस 13 चीजें स्वीकार कीं।

सरोदे ने कहा, ‘‘ एक महीना पहले, प्रो. साईबाबा ने उन जरूरी चीजों के बारे में जेल अधिकारियों से संपर्क किया था जिनकी उन्हें जरूरत थी तथा जिन्हें बाहर से लाया जा सकता था। बाद में उन्होंने सामान की सूची बनायी और उसे जेल अधिकारियों को सौंप दिया ताकि उनका परिवार ये सामान भेज सके।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ तद्नुसार, उनके परिवार ने ये चीजें मेरे पास भेजीं। 24 दिसंबर को मैं सूची और सारा सामान लेकर जेल पहुंचा। मैंने ये चीजें जेल अधिकारियों को सौंपने की कोशिश की। लेकिन जेल कर्मियों ने कई चीजें लेने से मना कर दिया जबकि ये न तो सुरक्षा की दृष्टि से और न ही कोविड-19 संक्रमण के प्रसार की दृष्टि से खतरनाक थीं। ’’

वकील ने बताया कि जेल अधिकारियों ने जिन चीजों को साईबाबा को देने से इनकार कर दिया उनमें तीन किताबें, 200 सफेद पन्ने, एक नोटपैड, इंडिया टूडे मैगजीन, आदि चीजें शामिल थीं।

सरोदे ने कहा, ‘‘ इसी तरह, शैंपू की बोतल, ऊनी टोपी, नैपकिन, रूमाल, तौलिया , एक सफेद टी-शर्ट भी जेल अधिकारियों ने लेने से मना कर दिया।’’

उन्होंने कहा कि उन्होंने इस संबंध में जेल अधीक्षक को ईमेल भेजा है लेकिन उन्हें जवाब का इंतजार है।

इस संबंध में नागपुर के जेल अधीक्षक अनूप कुमार ने कहा कि जेल नियमावली के अनुसार साईबाबा या किसी अन्य कैदी की जरूरत की सभी चीजों की अनुमति दी जाती है और वे कैदी को दे दी जाती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने सभी जरूरत की चीजें और अन्य जरूरी चीजें भी स्वीकार कीं क्योंकि उन्हें स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हैं। हम हमेशा वे चीजें ग्रहण करते हैं जो जरूरी हैं और जिनकी उन्हें जरूरत हैं। लेकिन हम हर चीज अंदर नहीं ले जाने दे सकते।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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