नई दिल्ली, 1 अप्रैलः राज्यसभा सांसद सचिन तेंदुलकर का उच्च सदन में कार्यकाल समाप्त होने वाला है। सचिन को 27 अप्रैल 2012 को राज्यसभा में उनके क्रिकेट में उल्लेखनीय योगदान के लिए राज्यसभा में मनोनीत किया गया था। अगामी 27 तारीख को उनके छह साल का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। इस अवसर पर सचिन ने अपने वेतनमान व भत्ते 90 लाख रुपयों को प्रधानमंत्री राहत कोष में दान कर दिया है।
पीएम मोदी ने जताया सचिन का आभार
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने ऐसा करने पर उन्हें बधाई दी है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सचिन के इस कदम पर लिखा, "उनका ये योगदान संकट में लोगों को सहायता देने में मददगार साबित होगा।''
सचिन कहां खर्च किए अपनी संसद निधि से मिले पैसे
इसके अलावा बतौर राज्यसभा सांसद उन्हें मिली 30 करोड़ रुपये की सांसद निधि में उन्होंने 7.4 करोड़ शिक्षा संबंधी 185 योजनाओं के लिए जारी किए।
संसदीय कार्यवाहियों में महज 8 फीसदी मौजूद रहे सचिन
सचिन के संसदीय कार्यकाल को लेकर जबतक सवाल उठते रहे हैं। इसमें सबसे अहम उनकी संसद में मौजूदगी को लेकर होती रही। अपने कार्यकाल के दौरान वे महज 8 फीसदी कार्यवाहियों के दौरान ही माजूद रहे। जबकि उनके कार्यकाल के दौरान सदन के 19 सेशन में करीब करीब 400 दिन सदन चला। लेकिन इनमें सचिन करीब 32 दिन ही सदन में हिस्सा ले पाए। इस पर बीते साल तत्कालीन समाजवादी पार्टी राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल ने कई तीखे हमले किए था और सदन से इस्तीफा देने की सलाह दी थी।
राज्यसभा में कैसा रहा सचिन का कार्यकाल
सचिन ने अपने छह साल कार्यकाल के दौरान 185 योजनाओं को मंजूरी दी। इस दौरान उन्होंने अपनी सांसद निधि के 30 करोड़ रुपयों में से 7.4 करोड़ रुपए खर्च किए। इनमें ज्यादातर परियोजनाएं स्कूल कॉलेजों के विनिर्माण, नवीनीकरण आदि शामिल हैं। इसके अलावा सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत आंध्रप्रदेश के पुट्टम राजू कंडरीगा और महाराष्ट्र के दोंजा गांव को गोद लेना भी उल्लेखनीय रहा।
भले सचिन के संसद से गायब रहने पर सवाल उठते रहे हो पर सचिन ने अपने छह साल के कार्यकाल में छुट्टी के लिए अर्जी बस दो ही बार डाली। एक बार जब उनके क्रिकेट मैच और सदन की कार्यवाही की तारीखें एक ही पड़ गई थीं। दूसरी बार अपनी पारिवारिक जरूरतों के लिए।