भारत-रूस के इस कदम से मची पाकिस्तान और अमेरिका में खलबली, जानिए क्या है S-400 की डील?
By स्वाति सिंह | Published: September 19, 2019 04:01 PM2019-09-19T16:01:28+5:302019-09-19T16:01:28+5:30
S-400 को खरीदने की की संभावित कीमत 5.5 बिलियन डॉलर यानि 36 हजार करोड़ रुपये के लगभग बताई जा रही है। दोनों देशो के बीच हुए समझौते के तहत रूस, भारत को पांच 'S-400 एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम’ 40 हेलिकॉप्टर और 200 ‘कामोव KA- 226-T’ हेलिकॉप्टर देगा।
लंबी दूरी और अचूक मारक क्षमता से लैस जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल S-400 जल्द ही भारतीय वायुसेना की ताकत को और मजबूत करेगी। हवा में दुश्मनों को पहचान कर खत्म कर देने वाली और सबसे मजबूत वायु सुरक्षा प्रणाली बनाने वाली S-400 से अमेरिका से लेकर नाटो तक खौफ खाता है। रूस के साथ S-400 डील होने के बाद भारत दुनिया का ऐसा तीसरा देश होगा जिसके पास यह मिसाइल सिस्टम है। दुनिया का बेहतरीन एयर डिफेंस सिस्टम S-400 जल्द ही भारत को मिलने जा रहा है।
जब सीरिया में असद सरकार कमजोर पड़ रही थी तो रूस ने इस जंग की सूरत बदल दी। सीरिया की रणभूमि में उतरते ही रूस ने सबसे पहले दमिश्क में s-400 की तैनाती की, जिसकी वजह से नाटो और अमेरिकी युद्धक विमानों को अपने ठिकाने बदलने तक पड़े।
S-400 को खरीदने की की संभावित कीमत 5.5 बिलियन डॉलर यानि 36 हजार करोड़ रुपये के लगभग बताई जा रही है। दोनों देशो के बीच हुए समझौते के तहत रूस, भारत को पांच 'S-400 एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम’ 40 हेलिकॉप्टर और 200 ‘कामोव KA- 226-T’ हेलिकॉप्टर देगा।
S-400 मिसाइल सिस्टम का इतिहास
रूस और अमेरिका के बीच जारी शीत युद्ध दौरान रूस को अमेरिका से परमाणु हमले का डर सता रहा था इसलिए सबसे पहले रूस ने S-300 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को विकसित किया। S-300 शुरूआत में हमले के लिए आने वाली क्रूज मिसाइलों और विमानों के खिलाफ रक्षा करने के लिए बनाया गया था, लेकिन इसके बाद बनाए सभी वर्जन बैलिस्टिक मिसाइलों को भी रोक सकते हैं।
S-300 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को 1970 के दशक में सोवियत संघ में प्रमुख शहरों और अन्य रणनीतिक संपत्तियों की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था। इसके बाद रूस ने इसका एडवांस्ड वर्जन तैयार किया जो 2007 से सेवा में है और दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रणालियों में से एक मानी जाती है। साल 2020 तक रूस S-500 मिसाइल सिस्टम की तैनाती की तैयारी में है।
कितना खतरनाक है S-400 मिसाइल सिस्टम
S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम S-300 का अपडेटेड वर्जन है। इस मिसाइल का पूरा नाम S-400 ट्रियंफ है, नाटो देशों में इसे SA-21 ग्रोलर कहा जाता है। रूस ने इस मिसाइल को जमीन पर रहकर से दुश्मनों को हवा में मार गिराने के लिए बनाया था।
S-400 मिसाइल में कई सिस्टम एकसाथ लगे हुए हैं जिससे इसकी Strategic ability बेहद मजबूत हो जाती है। इसके साथ ही इस मिसाइल में अलग-अलग काम करने वाले कई राडार और खुद निशाने को पहचाने वाला एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम, लॉन्चर, कमांड और कंट्रोल सेंटर एक साथ लगा हुआ है।
S-400 एक साथ तीन दिशाओं में मिसाइल दाग सकता है और इसके प्रत्येक चरण में 72 मिसाइलें शामिल हैं। 400 किमी के रेंज में एक साथ कई लड़ाकू विमान, बैलिस्टिक व क्रूज मिसाइल और ड्रोन पर हमला भी कर सकता है। यही नहीं ये एक साथ 100 हवाई खतरों को भांप कर अमेरिका निर्मित एफ-35 जैसे 6 लड़ाकू विमानों को दाग सकता है। इसकी तैनाती में केवल 5 से 10 मिनट का समय लगता है।
भारत को क्यों है S-400 मिसाइल सिस्टम की जरूरत
एयर चीफ बीएस धनोआ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि S-400 भारतीय वायुसेना के लिए एक 'बूस्टर शॉट' जैसा होगा। भारत को पड़ोसी देशों के खतरे से निपटने के लिए इसकी खासी जरूरत है।
पाकिस्तान के पास अपग्रेडेड एफ-16 से लैस 20 फाइटर स्क्वैड्रन्स हैं। इसके अलावा उसके पास चीन से मिले J-17 भी बड़ी संख्या में हैं। पड़ोसी देश और प्रतिद्वंद्वी चीन के पास 1,700 फाइटर है, जिनमें 800 4-जेनरेशन फाइटर भी शामिल हैं।
भारतीय वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की कमी के चलते दुश्मनों से निपटने की उसकी क्षमता प्रभावित हुई है। अगर भारत S-400 ट्रियंफ एंटी मिसाइल सिस्टम ले आता है तो वह किसी भी मिसाइल हमले को नाकाम कर सकता है। इस सिस्टम से भारत पर होने वाले परमाणु हमले का भी जवाब दिया जा सकेगा। S-400 भारत के डिफेंस सिस्टम के लिए चीन और पाकिस्तान की न्यूक्लियर सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों से कवच की तरह काम करेगा।
S-400 पाने वाला भारत तीसरा देश
S-400 के लिए रूस से डील होने के बाद भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश होगा जिसके पास ये मिसाइल सिस्टम है। इसके पहले चीन और तुर्की के साथ रूस यह डील कर चुका है। इसके अलावा सऊदी अरब के साथ भी इस मिसाइल सिस्टम की खरीद को लेकर बात चल रही है।
अमेरिका और पाकिस्तान हैं चिंतित
भारत और रूस के बीच एस-400 मिसाइल सिस्टम को लेकर पाकिस्तान और अमेरिका काफी परेशान हैं। पाकिस्तान ने इस सौदे को क्षेत्र की शांति में बाधक माना है। जब भारत ने रूस के साथ मिसाइल के लिए डील किया तो पाकिस्तान की सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा था कि 'भारत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ कर रहा है। रूस के भारत के साथ अच्छे रिश्ते हैं लेकिन पाकिस्तान भी रूस के करीब आ रहा है। इसलिए रूस को केवल भारत के साथ ही यह डील दांव पर नहीं लगानी चाहिए।'
वहीं, अमेरिका चाहता है कि भारत अत्याधुनिक हथियारों और मिसाइलों को अमेरिकी से ही खरीदे और रूस से दूरी बनाए रखे। दरअसल, भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार खरीदने वाला देश है। भारत ने पिछले 5 सालों में कुल वैश्विक आयात के 12% हथियार खरीदे हैं। और अपने कुल हथियारों के आयात का 62% हिस्सा रूस से खरीदा है, यही बात अमेरिका को पसंद नहीं है।
यही वजह है कि अमेरिका, भारत और रूस की S-400 ट्रियंफ एंटी मिसाइल सिस्टम डील का विरोध कर रहा है। अमेरिका, चाहता है कि भारत, अमेरिका की 'थाड' प्रणाली खरीदे।