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सुप्रीम कोर्ट के SC-ST एक्ट पर दिए फैसले से कमजोर हुआ कानून: केंद्र सरकार

By भारती द्विवेदी | Updated: April 12, 2018 15:43 IST

कोर्ट में सालिसिटर जनरल ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले में केस दर्ज करने से पहले डीएसपी द्वारा जांच इस एक्ट के मूल-भावना के खिलाफ है।

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नई दिल्ली, 12 अप्रैल: केंद्र सरकार ने एससी-एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिला किया है। पुनर्विचार याचिका में ये कहा गया है कि शीर्ष अदालत के फैसले ने भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है और पुनर्विचार के जरिये इसमें दिये गये निर्देशों को वापस लेकर इसे ठीक किया जा सकता है। साथ ही ये भी कहा गया है, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एससी-एसटी एक्ट में हुए बदलाव से कानून कमजोर हुआ है। 

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने केंद्र सरकार की तरफ से ये पुर्नविचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है। कोर्ट में सालिसिटर जनरल ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले में केस दर्ज करने से पहले डीएसपी द्वारा जांच इस एक्ट के मूल-भावना के खिलाफ है। अटार्नी जनरल के.के वेणुगोपाल ने अपनी लिखित दलीलों में कहा है कि इस फैसले के माध्यम से न्यायालय ने एससी-एसटी अत्याचार निवारण कानून , 1989 की खामियों को दूर नहीं किया बल्कि न्यायिक व्यवस्था के माध्यम से इसमें संशोधन किया है।

बता दें कि  20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट SC/ST एक्ट पर फैसला सुनाया था। जिसपर पुनर्विचार याचिका दायर करते हुए केंद्र सरकार ने तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाने और अग्रिम जमानत को मंजूरी दिए जाने के फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का तमाम दलित संगठन समेत कई राजनीतिक दलों ने इसकी आलोचना की थी। खुद बीजेपी के कई नेताओं ने इस फैसले पर पुनर्विचार की सिफारिश की थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अलग-अलग दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद किया था, जिसमें हिंसक झड़प कई लोगों की मौत हो गई थी।

इसके बाद फिर 9 मार्च को सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में डाली गई रिव्यू पिटीशन पर सनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 20 मार्च को अपने दिए फैसले पर कायम है और उसने अपने फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए कहा कि वह नहीं चाहता कि किसी बेगुनाह को सजा मिले।

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