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अयोध्या भूमि विवादः सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का RSS ने किया स्वागत, कहा- अब राम मंदिर का निर्माण जल्द शुरू होगा

By रामदीप मिश्रा | Updated: August 2, 2019 19:08 IST

आरएसएस ने कहा है कि हम 6 अगस्त से रोजाना अयोध्या भूमि मामले की सुनवाई करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। हमें विश्वास है कि लंबे समय से लंबित मामले को समय की निश्चित अवधि में हल किया जाएगा।

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ठळक मुद्देअयोध्या के रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद का सर्वमान्य समाधान मध्यस्थता के माध्यम से खोजने में सफलता नहीं मिलने के तथ्य का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (02 अगस्त) को कहा कि अब इस मामले में छह अगस्त से रोजाना सुनवाई होगी।कोर्ट के इस आदेश का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने स्वागत किया है। 

अयोध्या के रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद का सर्वमान्य समाधान मध्यस्थता के माध्यम से खोजने में सफलता नहीं मिलने के तथ्य का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (02 अगस्त) को कहा कि अब इस मामले में छह अगस्त से रोजाना सुनवाई होगी। कोर्ट के इस आदेश का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने स्वागत किया है। 

आरएसएस ने कहा है कि हम 6 अगस्त से रोजाना अयोध्या भूमि मामले की सुनवाई करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। हमें विश्वास है कि लंबे समय से लंबित मामले को समय की निश्चित अवधि में हल किया जाएगा और राममंदिर का निर्माण जल्द शुरू होगा। आपको बता दें कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में आठ मार्च को गठित की गई तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति की इस रिपोर्ट का संज्ञान लिया कि इस विवाद का सर्वमान्य हल खोजने के उसके प्रयास विफल हो गए हैं। 

न्यायमूर्ति कलीफुल्ला की अध्यक्षता वाली इस समिति ने करीब चार महीने तक माध्यस्थता के माध्यम से इस विवाद का समाधान खोजने का प्रयास किया था। मध्यस्थता समिति ने इस विवाद का समाधान खोजने के लिये अयोध्या से करीब सात किलोमीटर दूर फैजाबाद में बंद कमरे में संबंधित पक्षों से बातचीत की थी। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। 

पीठ ने कहा, ‘‘हमें मध्यस्थता समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति कलीफुल्ला द्वारा पेश की गयी रिपोर्ट मिल गई है। हमने इसका अवलोकन किया है। मध्यस्थता कार्यवाही से किसी भी तरह का अंतिम समाधान नहीं निकला है। इसलिए हमें अब लंबित अपील पर सुनवाई करनी होगी जो छह अगस्त से शुरू होगी।’’ 

संविधान पीठ ने 18 जुलाई को मध्यस्थता समिति से कहा था कि वह अपनी कार्यवाही के नतीजों से 31 जुलाई या एक अगस्त तक न्यायालय को अवगत कराये ताकि इस मामले में आगे की कार्यवाही शुरू की जा सके। मध्यस्थता समिति ने बृहस्पतिवार को न्यायालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा कि हिन्दू और मुस्लिम पक्षकार इस पेचीदगी भरे विवाद का कोई सर्वमान्य समाधान नहीं खोज सके। 

मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट के अवलोकन के बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि इस प्रकरण के पक्षकारों को अपीलों पर सुनवाई के लिये अब तैयार रहना चाहिए। न्यायालय ने रजिस्ट्री कार्यालय से भी कहा कि उसे भी दैनिक आधार पर इस मामले की सुनवाई के लिये न्यायालय के अवलोकन के उद्देश्य से सारी सामग्री तैयार रखनी चाहिए। 

न्यायालय ने कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट करते हैं कि इस मामले की सुनवाई दैनिक आधार पर बहस पूरी होने तक चलेगी।’’ पीठ द्वारा मामले की सुनवाई छह अगस्त से करने का आदेश दिये जाने के बाद एक मुस्लिम पक्षकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कई तकनीकी मुद्दे उठाये और कहा कि उन्हें इस मामले से संबंधित तमाम बिन्दुओं पर विस्तार से बहस के लिये 20 दिन की आवश्यकता होगी और सुनवाई के समय इसमें कोई कटौती नहीं होनी चाहिए। 

धवन जब इस मामले के विभिन्न पहलुओं पर सुनवाई के बारे में अपनी बात रख रहे थे तभी पीठ ने उनसे कहा, ‘‘हमे यह ध्यान नहीं दिलायें कि हमें क्या करना है। हम जानते हैं कि इसके कई पहलू हैं और हम इन सभी पहलुओं पर गौर करेंगे।’’ 

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ छह अगस्त को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई शुरू करेगी। उच्च न्यायालय ने इस फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि इसके तीन पक्षकारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर बराबर बांटने का आदेश दिया था। अयोध्या में 16वीं सदी में शिया मुस्लिम मीर बाकी द्वारा बनवाये गये इस विवादित ढांचे को छह दिसंबर, 1992 को कार सेवकों ने ध्वस्त कर दिया था।(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के आधार पर)

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