धर्म ग्रंथों की समीक्षा की जरूरत, बोले मोहन भागवत- कुछ स्वार्थी लोगों ने ग्रंथ में कुछ-कुछ घुसा दिया..देखें
By अनिल शर्मा | Updated: March 3, 2023 10:01 IST2023-03-03T09:50:40+5:302023-03-03T10:01:09+5:30
मोहन भागवत गुरुवार को नागपुर जिले के कन्होलिबरा में आर्यभट्ट एस्ट्रोनोमी पार्क के उद्घाटन के मौके पर कहा कि कुछ स्वार्थी लोगों ने ग्रंथ में कुछ-कुछ घुसाया जो गलत है। उन ग्रंथों, परंपराओं के ज्ञान की फिर एक बार समीक्षा जरूरी है...

धर्म ग्रंथों की समीक्षा की जरूरत, बोले मोहन भागवत- कुछ स्वार्थी लोगों ने ग्रंथ में कुछ-कुछ घुसा दिया..देखें
नागपुरः आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि धर्म ग्रंथों की एक बार फिर समीक्षा की आवश्यकता है। समीक्षा के बाद जो इस कसौटी पर टिकेगा, वो ही ज्ञान है और धर्म है दोनों है। मोहन भागवत गुरुवार को नागपुर जिले के कन्होलिबरा में आर्यभट्ट एस्ट्रोनोमी पार्क के उद्घाटन के मौके पर यह बातें कही।
भागवत ने कहा कि कुछ स्वार्थी लोगों ने धर्म ग्रंथों में कुछ-कुछ घुसा दिया। क्योंकि पहले हमारे यहां मौखिक परंपरा से धर्मग्रंथ चले। बाद में ग्रंथ हुए। वो ग्रंथ इधर से उधर चले गए। आरएसएस प्रमुख ने धर्मग्रंथों की फिर से समीक्षा पर जोर देते हुए कहा, 'हमारा धर्म विज्ञान के अनुसार चलता है। पहले हमारे यहां ग्रंथ नहीं थे। मौखिक परंपरा से चला। बाद में ग्रंथ हुए, वो ग्रंथ इधर से उधर चले गए। फिर बाद में स्वार्थी लोग भी घुस गए। उन्होंने ग्रंथ में कुछ-कुछ घुसा दिया जो बिल्कुल गलत है। उन ग्रंथों की, उस परंपरा के ज्ञान की फिर एक बार समीक्षा आवश्यक है।'
#WATCH ...हमारे यहां पहले ग्रंथ नहीं थे, मौखिक परंपरा से चलता आ रहा था। बाद में ग्रंथ इधर-उधर हो गए और कुछ स्वार्थी लोगों ने ग्रंथ में कुछ-कुछ घुसाया जो गलत है। उन ग्रंथों, परंपराओं के ज्ञान की फिर एक बार समीक्षा जरूरी है...: RSS प्रमुख मोहन भागवत, नागपुर (02.03) pic.twitter.com/TgGubWCssu
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 3, 2023
भागवत ने आगे कहा, भारत के पास पारंपरिक ज्ञान का विशाल भंडार है। कुछ स्वार्थी लोगों ने प्राचीन ग्रंथों में जानबूझ कर गलत तथ्य जोड़े हैं। कुछ ग्रंथ गुम हो गए हैं। जो चीजें पहले छूट गई थीं, उन्हें नई शिक्षा नीति के तहत तैयार किए गए सिलेबस में जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि सभी भारतीयों को देश के पारंपरिक ज्ञान के बारे में जानकारी होनी चाहिए कि उस ज्ञान को हमने कैसे लोगों से सामान्य संवाद और शिक्षा प्रणाली के जरिये प्राप्त किया था।
संघ प्रमुख ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से भारत के पास चीजों को देखने का नजरिया वैज्ञानिक था, लेकिन विदेशी आक्रमण के साथ ही हमारा तंत्र और ज्ञान की संस्कृति खंडित हो गई। भागवत ने कहा, यदि भारत के लोग मौजूदा दौर में भी स्वीकार्य अपने पारंपरिक ज्ञान के आधार का पता लगा लेते, तो दुनिया की कई समस्याओं का समाधान किया जा सकता था।