RSS ने मोदी सरकार को ग्रामीण भारत के उत्थान का बजट बनाने की सलाह दी
By संतोष ठाकुर | Updated: November 20, 2019 08:06 IST2019-11-20T08:06:10+5:302019-11-20T08:06:10+5:30
उल्लेखनीय है कि भारतीय मजदूर संघ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सरकार की किराना, ई-कॉमर्स, लघु उद्योग सहित कई नीतियों पर अप्रसन्नता व्यक्त करता रहा है.

फाइल फोटो
मोदी सरकार 2.0 के पहले बजट में ग्रामीण भारत को सौगातें मिल सकती हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सरकार को सलाह दी है कि वह आर्थिक मोर्चे पर शहरों के मुकाबले अपने को कम पाने वाले ग्रामीण इलाकों को लेकर ऐसी योजनाएं लेेकर आए जो गांव-देहात की तस्वीर बदलने के साथ ही वहां के लोगों का सरकार के लिए नजरिया भी पूरी तरह बदलने में मददगार हो.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नल से जलापूर्ति की तरह ही सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने वाले रोजगार को लेकर व्यापक एवं असरदार योजनाओं पर विचार किया जा रहा है. इसके लिए नीति आयोग भी एक सलाह पत्र तैयार कर रहा है. उसके आधार पर ऐसी योजना पर कार्य किया जाएगा जो संपूर्ण ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलने में सहायक हो.
सबसे अधिक बल इस बात पर दिया जा रहा है कि किस तरह से ग्रामीण भारत में नौकरी सृजित की जाए, वहां पर काम-धंधे और कारोबार को बढ़ाया जा सके, इसके लिए और अधिक सुगमता से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के अलावा नियम कानूनों की जटिलताओं को सरल करने पर भी मंथन चल रहा है.
हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बातचीत में कहा था कि गांव-देहात में कारोबार को बढ़वा देने के लिए और लोगों को अकुशल से कुशल कामगार बनाने के बिंदुओं पर विचार किया जा रहा है. हमारा लक्ष्य कारोबारी कदमों को सरल बनाना है जिससे गांव-गांव तक हम कारोबार को गति दे पाएं.
उल्लेखनीय है कि भारतीय मजदूर संघ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सरकार की किराना, ई-कॉमर्स, लघु उद्योग सहित कई नीतियों पर अप्रसन्नता व्यक्त करता रहा है. उनका कहना है कि भाजपा की केंद्र सरकार को स्वदेशी और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए एक समर्पित नीति लाने की जरूरत है जिससे विदेशी कंपनियां ग्रामीण बाजार पर अधिपत्य न जमाने पाएं.