लैंड डील विवाद: वाड्रा और उनकी मां के हस्ताक्षर वाले कागजात लीक, फिर बनेंगे चुनावी मुद्दा 'दामाद जी'?
By जनार्दन पाण्डेय | Published: August 21, 2018 01:14 PM2018-08-21T13:14:20+5:302018-08-21T13:51:00+5:30
Robert Vadra Land Deal Case Update: क्या रॉबर्ट वाड्रा 2019 में फिर से चुनावी मुद्दा बनेंगे। 2014 में वे एक अहम चुनावी बने थे, जिनका तत्कालीन बीजेपी पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कई रैलियों में उल्लेख किया था।
नई दिल्ली, 21 अगस्तः सोनिया गांधी के दामाद और प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा साल 2014 लोकसभा चुनावों के ऐन पहले चर्चा में तब आ गए, जब तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने अपनी रैलियों में उनका नाम लेना शुरू किया। कई मौकों पर नरेंद्र मोदी ने रॉबर्ट वाड्रा का नाम लिए बगैर 'दामाद जी' का संबोधन करके जनता की तालियां बटोरीं। तब रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी पर सरकारी ताकतों का फायदा उठाते हुए लैंड डील में अनियमितताओं के आरोप लगे थे। लेकिन बाद में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें मामलों से बरी कर दिया था। लेकिन उन्हीं लैंड डील से संबंधित जांच-पड़ताल के लिए साल 2015 में ढींगरा कमीशन का गठन हुआ था। इसके बाद कई कंपनियां संदेह के घरे में आई थीं। अब उन्हीं में संबंधित एक अहम कागजात लीक हुआ है।
रिपब्लिक टीवी ने रॉबर्ट वाड्रा की दस्तखत वाले एक कागजात को उजागर कर वाड्रा को फिर से सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। रिपब्लिक टीवी का दावा है कि उसके पास कुछ ऐसे दस्तावेज मौजूद हैं, जिनमें रॉबर्ट वाड्रा के हस्ताक्षर हैं। यह दस्तावेज 2008 के हैं। जब रॉबर्ट वाड्रा स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी नाम की कंपनी की डायरेक्टर हुआ करते थे। उन्हीं दिनों उन्होंने अपने एक कर्मचारी सुशील कुमार को तत्कालीन हरियाणा की भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के साथ काम करने के लिए भेजा था। सुशील ने ही हरियाणा लैंड डील में सबसे अहम भूमिका निभाई थी। रॉबर्ट वाड्रा पर इसी डील में अनियमितताओं के आरोप थे।
सुशील कुमार ने गुड़गांव के शिकोहपुर गांव की जमीन और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट के बीच हुई लैंड डील के कागजात सुरक्षित किए थे। उन्होंने इस मामले के सभी आवश्यक प्रमाणपत्रों को वाड्रा की कंपनी के लिए सुरक्षित किया था।
क्या है वाड्रा का हरियाणा लैंड डील विवाद
साल 2008 में हरियाणा की तत्कालीन भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार ने गुड़गांव सेक्टर 83 में करीब चार गांवों वाणिज्यिक कॉलोनियां विकसित करने के लिए टेंडर निकाले थे। इनमें ज्यातर काम रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को मिला था। बाद में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने लाइसेंस दिए जाने में कथिततौर पर अनियमितताओं की जांच के ढींगरा कमीशन का गठन किया गया।
बाद में ढींगरा कमीशन ने ऐसी रिपोर्ट दाखिल की कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा को उस दौरान हुई लैंड डील में गैरकानूनी ढंग से करीब 50.50 करोड़ रुपये का मुनाफा पहुंचाया गया। जबकि उन्होंने पूरी लैंड डील में एक भी पैसे खर्च नहीं किए।
रॉबर्ट वाड्रा की बिकानेर लैंड डील में भी विवाद
रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ने राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार से भी बिकानेर में लैंड डील की थी। जो बाद में विवादों में आ गई थी। मामला बीकानेर के कोलायत इलाके में कथित रूप से रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी द्वारा 275 बीघा भूमि खरीदे जाने के बारे में था। एक स्थानीय तहसीलदार ने इसमें मनी लॉण्ड्रिंग होने की आशंका जताते हुए एक केस दर्ज कराया था। इसके बाद राज्य पुलिस की ओर से एक मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद केंद्र जाचं एजेंसी को इसपर लगा दिया था। हालांकि ईडी को राबर्ट वाड्रा के खिलाफ कुछ नहीं मिला था।
राबर्ट वाड्रा की मां भी लपेटे में
रिपब्लिक टीवी की ओर से किए गए दावे में रॉबर्ट वाड्रा की मां मौरीन वाड्रा के हस्ताक्षर होने की भी बात की जा रही है। जो कि वाड्रा की कई कंपनियों को-डायरेक्टर हैं। इनमें से कई कंपनियां जांच के घेरे में हैं, खासतौर पर 2015 में ढींगरा कमीशन के गठन के बाद। इन कंपनियों पर कथित तौर पर विवादित लैंड डील और खुद को गैरकानूनी ढंग से मुनाफा पहुंचाने के मामले हैं। रिपब्लिक टीवी का दावा है कि कागजात मिलने के बाद उन्होंने रॉबर्ट वाड्रा से बात करने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने इस पर उनके पत्रकारों को कुछ भी कहने से मना कर दिया।