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बिहार के गया में दी जाती है कर्मकांड की शिक्षा, एक लय में मंत्रोच्चारण हर किसी को चौंका देते हैं बच्चे

By एस पी सिन्हा | Updated: July 13, 2022 18:08 IST

बिहार के गया में विष्णुपद मंदिर स्थित ‘मंत्रालय वैदिक पाठशाला’ में हर जाति, पंथ के लोगों को निशुल्क कर्मकांड और वैदिक ज्ञान दिया जाता है।

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ठळक मुद्देगया के ‘मंत्रालय वैदिक पाठशाला’ में ज्योतिषाचार्य और अन्य पूजा की विधि भी सिखाई जाती हैयहां हर जाति, पंथ के लोगों को निशुल्क कर्मकांड और वैदिक ज्ञान दिया जाता हैपिछले 45 सालों में यहां से सैकड़ो लोगों ने कर्मकांड और ज्योतिष की शिक्षा ली है

पटना:बिहार में मोक्ष की नगरी के रूप में प्रसिद्ध गयाजी शहर के विष्णुपद मंदिर स्थित ‘मंत्रालय वैदिक पाठशाला’ में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को कर्मकांड की शिक्षा दी जाती है। यही नहीं इस पाठशाला में ज्योतिषाचार्य और अन्य पूजा की विधि सिखाई जाती है।

सबसे मजेदार बात तो यह है कि यहां हर जाति, पंथ के लोगों को निशुल्क कर्मकांड और वैदिक ज्ञान दिया जाता है। यहां पर विदेशी भी वेद की शिक्षा लेने आते हैं। इस पाठशाला में ज्यादातर बच्चे स्कूल की शिक्षा के बाद शाम होते ही कर्मकांड की शिक्षा लेने आते हैं।

बताया जाता है कि इस पाठशाला में अध्ययनरत 6 साल के बच्चों को भारी भरकम श्लोक कंठस्थ हैं। शिक्षा ग्रहण कर रहे 6 साल के बच्चों एक साथ लय में मंत्रोच्चारण हर किसी को चौंका देते है। गया के मोक्षदायिनी तट पर ‘मंत्रालय वैदिक पाठशाला’ पंडित रामाचार्य के आवास पर संचालित है।

यहां पिछले 45 सालों से पंडित रामा आचार्य कर्मकांड का शिक्षा दे रहे हैं। उनकी अनुपस्थिति में उनके पुत्र पंडित राजा आचार्य पाठशाला को संचालित करते हैं। पाठशाला के छात्र पार्थव पाठक ने बताया कि पिछले दो साल से यहां कर्मकांड की शिक्षा ले रहे हैं। सुबह-सुबह स्कूल में बुनियादी शिक्षा लेने के बाद शाम को इस पाठशाला में आकर कर्मकांड की शिक्षा ग्रहण करते हैं। उन्हें दर्जनों मंत्र कंठस्थ हैं।

इस पाठशाला के छात्र प्रत्यक्ष ने बताया कि वो पिछले छः साल से इस पाठशाला में कर्मकांड का शिक्षा ले रहे हैं। पाठशाला से कर्मकांड की पूरी शिक्षा प्राप्त कर ली है, वो अब सही उच्चारण और सही विधि से पिंडदान करवा लेते हैं।

पंडित राजाचार्य ने बताया कि बच्चे स्टाइलिश भी हैं, साथ ही शाम में वैदिक पाठशाला में आने के लिए धोती-कुर्ता और चंदन लगाकर आते हैं। उन्होंने बताया कि मेरे पिताजी गयाजी में पिंडदान करने आये थे। वो कुछ दिन विष्णुपद क्षेत्र में बिताने के बाद विष्णुपद मंदिर के मुख्य पुजारी बन गए।

उन्होंने गयाजी में एक ऐसी पाठशाला खोली, जहां से किसी भी उम्र के लोग कर्मकांड की शिक्षा लेकर सही विधि से पिंडदान करवा सकें। हजारों किलोमीटर दूर से आये पिंडदानी को संतुष्टि मिले और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो, यही उनका उद्देश्य था।

पिछले 45 सालों से सैकड़ो लोगों ने यहां से कर्मकांड की शिक्षा प्राप्त की और विभिन्न धार्मिक स्थलों में पुजारी बने हैं। मंत्रालय वैदिक पाठशाला में किसी तरह का बंधन नहीं है। अगर आप ब्राह्मण हैं, तो यज्ञोपवीत होना चाहिए। उसके बाद यहां आकर शिक्षा ले सकते हैं। अगर कोई किस अन्य जाति और अन्य धर्म से है तो उसे भी शिक्षा दी जाएगी। 

यहां शिक्षा लेने वाले अनेकों लोग हैं, जो दूसरे धर्मों को मानते हैं और यहां आकर शिक्षा ले चुके हैं। आज के दौर में सभी को नौकरी नहीं मिल रही है, लेकिन कर्मकांड, सनातन धर्म की पूजा विधि सीखने से जीवनयापन हो सकता है। एक छात्र को कर्मकांड और अन्य पूजा विधि सीखने के लिए कम से कम तीन साल का समय लगता है।

टॅग्स :GayaपटनाPatna
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