शुजात बुखारी की तस्वीर के साथ आया ‘राइजिंग कश्मीर’ का नया अंक, इस बात पर मच गया विवाद

By भाषा | Updated: June 15, 2018 19:14 IST2018-06-15T19:14:36+5:302018-06-15T19:14:36+5:30

राइजिंग कश्मीर का दैनिक संस्करण आज बाजार में आया जिसमें पहले पूरे पन्ने पर काले रंग की पृष्ठभूमि में दिवंगत प्रधान संपादक की तस्वीर है। इस पन्ने पर एक संदेश लिखा है: अखबार की आवाज को दबाया नहीं जा सकता।

Rising Kashmir New Issue with Shujaat bukhari murder, controversy | शुजात बुखारी की तस्वीर के साथ आया ‘राइजिंग कश्मीर’ का नया अंक, इस बात पर मच गया विवाद

शुजात बुखारी की तस्वीर के साथ आया ‘राइजिंग कश्मीर’ का नया अंक, इस बात पर मच गया विवाद

श्रीनगर, 15 जूनः अपने प्रधान संपादक की हत्या के बाद अंग्रेजी अखबार ‘राइजिंग कश्मीर’ ने आज अपना दैनिक संस्करण प्रकाशित किया। शुजात बुखारी की कल गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उसमें उनके दो अंगरक्षक (पीएसओ या निजी सुरक्षा अधिकारी) भी मारे गए थे। बुखारी और उनके दो अंगरक्षकों की कल शाम इफ्तार से थोड़ा पहले श्रीनगर के लाल चौक के निकट प्रेस एनक्लेव में राइजिंग कश्मीर के कार्यालय के बाहर अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। बुखारी के परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी हैं। 

राइजिंग कश्मीर का दैनिक संस्करण आज बाजार में आया जिसमें पहले पूरे पन्ने पर काले रंग की पृष्ठभूमि में दिवंगत प्रधान संपादक की तस्वीर है। इस पन्ने पर एक संदेश लिखा है : अखबार की आवाज को दबाया नहीं जा सकता।

इसमें लिखा है , ‘‘आप अचानक चले गए लेकिन अपने पेशेवर दृढ़ निश्चय और अनुकरणीय साहस के साथ आप हमारे लिए मार्गदर्शक बने रहेंगे। आपको हमसे छीनने वाले कायर हमारी आवाज को दबा नहीं सकते। सच चाहे कितना भी कड़वा क्यों न हो लेकिन सच को बया करने के आपके सिद्धांत का हम पालन करते रहेंगे। आपकी आत्मा को शांति मिले।’’ इस अंक के एक कॉलम में कश्मीर, भारत और पाकिस्तान के लोगों के ट्विटर रिएक्शन छापे गए हैं। कई लोगों ने इस पर आपत्ति जताई है कि कश्मीर को भारत से अलग क्यों लिखा गया?


जम्मू - कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि बुखारी की हत्या के बावजूद दैनिक को प्रकाशित करना उनके प्रति सबसे उचित श्रद्धांजलि है क्योंकि दिवंगत पत्रकार भी यही चाहते।

उमर ने अखबार के पहले पन्ने की तस्वीर को साझा करते हुए ट्विटर पर लिखा , ‘‘ काम जारी रहना चाहिए , शुजात भी यही चाहते होते। यह आज का राइजिंग कश्मीर का अंक है। इस बेहद दुख की घड़ी में भी शुजात के सहयोगियों ने अखबार निकाला जो उनके पेशवराना अंदाज का साक्षी है और दिवंगत अधिकारी को श्रद्धांजलि देने का सबसे सही तरीका है।’’ बुखारी की हत्या की जम्मू - कश्मीर समेत पूरे भारत में निंदा हो रही है। 

जम्मू - कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने घटना के प्रति हैरानी और दुख जताया। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार बुखारी की हत्या मीडिया जगत के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है। एक संदेश में वोहरा ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए और उनके परिवार को इस अपूर्णीय क्षति को सहने की ताकत देने की प्रार्थना की। 

उन्होंने बुखारी के भाई और कैबिनेट मंत्री अशरत अहमद बुखारी से बात की और संवदेनाएं व्यक्त कीं। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी वरिष्ठ पत्रकार की हत्या की कड़ी निंदा की। संवेदना संदेश में मुख्यमंत्री ने बुखारी की हत्या को बेहद बर्बर , निंदनीय और दुखद बताया। 

उन्होंने एक वक्तव्य में कहा , ‘‘उनकी हत्या से यह साबित हुआ है कि हिंसा तर्कसंगत और विवेकशील पड़ताल के आगे टिक नहीं सकती। क्रूरता के इस अमानवीय कृत्य की पूरा राज्य एक आवाज में निंदा कर रहा है।’’ उन्होंने कहा कि मीडिया के पैर जमाने में बुखारी ने जो भूमिका निभाई और जो योगदान दिया वह राज्य के पत्रकारिता के इतिहास का हिस्सा बन गया है। 

महबूबा ने कहा , ‘‘आप उन्हें हमेशा ऐसे मुद्दे उठाते देखते थे जो आम लोगों से जुड़े थे। वह अपने स्तंभों और विविध चर्चाओं के जरिए लोगों से जुड़े मुद्दों के लिए लड़ते थे लेकिन दुख की बात है कि जनता की इस आवाज को बर्बरता से चुप करा दिया गया।’’ 

मुख्यमंत्री उस अस्पताल में भी गईं जहां बुखारी को हमले के बाद ले जाया गया था। उन्होंने दिवंगत आत्मा के लिए प्रार्थना की। उन्होंने शोक संतप्त परिवार , खासकर उनके माता - पिता , पत्नी और दो बच्चों के प्रति संवेदनाएं जताईं। अलगाववादियों ने भी इस हत्या की निंदा की और इसे ऐसा बर्बर कृत्य बताया जिसे माफ नहीं किया जा सकता। 

आतंकवादी कश्मीर के तीन दशक के हिंसा के इतिहास में बुखारी समेत चार पत्रकारों की जान ले चुके हैं। 1991 में ‘ अलसफा’ के संपादक मोहम्मद शाबान वकील की हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने हत्या कर दी थी। बीबीसी के पूर्व पत्रकार युसूफ जमील 1995 में तब घायल हो गए थे जब उनके दफ्तर में एक बम विस्फोट हुआ था लेकिन उस घटना में एएनआई के कैमरामैन मुश्ताक अली की मौत हो गई थी। इसके बाद, 31 जनवरी 2003 को नाफा के संपादक परवाज मोहम्मद सुल्तान की उनके प्रेस एनक्लेव स्थित कार्यालय में हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

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Web Title: Rising Kashmir New Issue with Shujaat bukhari murder, controversy

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