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गुजरात में दंगाः जमानत पर छह मुजरिम, मंदिर में झाड़ू-पोंछा कर रहे हैं, आरती में भी शामिल

By भाषा | Updated: February 12, 2020 19:08 IST

जिला विधिक सहायता अधिकारी सुभाष चौधरी ने बुधवार को "पीटीआई-भाषा" को बताया, "उच्चतम न्यायालय के जमानत आदेश की शर्तों के मुताबिक इन दोषियों ने शहर में सामुदायिक सेवा शुरू कर दी है। फिलहाल वे एक स्थानीय मंदिर के किचन और इसके परिसर के अन्य हिस्सों में झाड़ू-पोंछा कर रहे हैं।"

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ठळक मुद्देउच्चतम न्यायालय के आदेश पर जमानत पर छूटने के बाद सामुदायिक सेवा के तहत यह काम कर रहे हैं।देवस्थान में सुबह-शाम की नियमित आरती में भी शामिल हो रहे हैं।

वर्ष 2002 के गोधरा कांड के बाद गुजरात में भड़के दंगे के एक मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले 15 दोषियों में शामिल छह लोगों को इन दिनों यहां एक मंदिर में झाड़ू-पोंछा करते देखा जा सकता है।

वे उच्चतम न्यायालय के आदेश पर जमानत पर छूटने के बाद सामुदायिक सेवा के तहत यह काम कर रहे हैं। जिला विधिक सहायता अधिकारी सुभाष चौधरी ने बुधवार को "पीटीआई-भाषा" को बताया, "उच्चतम न्यायालय के जमानत आदेश की शर्तों के मुताबिक इन दोषियों ने शहर में सामुदायिक सेवा शुरू कर दी है। फिलहाल वे एक स्थानीय मंदिर के किचन और इसके परिसर के अन्य हिस्सों में झाड़ू-पोंछा कर रहे हैं।"

उन्होंने बताया कि गुजरात दंगों के छह मुजरिम मंदिर की व्यवस्थाओं से जुड़ी अन्य जिम्मेदारियां भी संभालने के साथ इस देवस्थान में सुबह-शाम की नियमित आरती में भी शामिल हो रहे हैं। चौधरी ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक इन दोषियों को शहर के एक पुलिस थाने में हर महीने की पहली तारीख को हाजिरी भी दर्ज करानी होगी। वे इंदौर के जिला और सत्र न्यायाधीश की अनुमति के बिना जिले की सीमा से बाहर नहीं जा सकेंगे।

मामले के जानकार सूत्रों ने बताया कि गुजरात दंगों के छह दोषियों को अलग-अलग सामुदायिक सेवाओं से जोड़ने के लिये खाका तैयार किया जा रहा है। उन्हें अस्पतालों और गोशालाओं में सामुदायिक सेवाएं देने के लिये भेजने पर भी विचार किया जा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक दंगों के दोषियों के समूह में 41 से 65 वर्ष की उम्र वाले पुरुष शामिल हैं। वे उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत गुजरात की निचली अदालत में जमानत की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद सोमवार को इंदौर पहुंचे थे।

गुजरात दंगों के मामले में 15 दोषियों को आणंद जिले के ओड कस्बे में हुए नरसंहार के सिलसिले में उम्रकैद की सजा सुनायी गयी थी। इस दंगे में 23 लोगों को जिंदा जला दिया गया था। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोवडे, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने 28 जनवरी को पारित आदेश के तहत इस मामले के 15 दोषियों को दो समूहों में बांट दिया था।

जमानत की शर्तों के तहत ये दोषी गुजरात से बाहर रहेंगे और उन्हें मध्यप्रदेश के दो शहरों- इन्दौर और जबलपुर में निवास करते हुए सप्ताह में छह-छह घंटे सामुदायिक सेवा करनी होगी। 

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