RG Kar Rape-Murder case: मामले में दोषी संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा, पीड़ित पक्ष चाहता था दोषी को मिले मृत्युदंड
By रुस्तम राणा | Published: January 20, 2025 03:10 PM2025-01-20T15:10:48+5:302025-01-20T15:37:34+5:30
सियालदह के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश अनिरबन दास ने राज्य को बलात्कार और हत्या मामले में डॉक्टर आरजी कर के परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया।

RG Kar Rape-Murder case: मामले में दोषी संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा, पीड़ित पक्ष चाहता था दोषी को मिले मृत्युदंड
RG Kar Rape-Murder case: कोलकाता के सरकारी आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के दोषी संजय रॉय को सियालदह अदालत ने सोमवार, 20 जनवरी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सियालदह के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश अनिरबन दास ने राज्य को बलात्कार और हत्या मामले में डॉक्टर आरजी कर के परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया।
कोलकाता पुलिस के पूर्व नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सजा सुनाने के लिए कोलकाता की अदालत में लाया गया। न्यायाधीश अनिरबन दास ने सजा सुनाने से पहले सोमवार को दोपहर करीब 12:30 बजे संजय रॉय का बयान सुना। सजा सुनाए जाने के दौरान संजय रॉय के वकील ने कहा, "भले ही यह दुर्लभतम मामला हो, लेकिन सुधार की गुंजाइश होनी चाहिए। अदालत को यह दिखाना होगा कि दोषी क्यों सुधार या पुनर्वास के लायक नहीं है... सरकारी वकील को सबूत पेश करने होंगे और कारण बताने होंगे कि वह व्यक्ति सुधार के लायक क्यों नहीं है और उसे समाज से पूरी तरह से खत्म कर दिया जाना चाहिए..."
West Bengal's Sealdah court pronounces life imprisonment to convict Sanjay Roy in RG Kar rape-murder case. The court also imposes a fine of Rs 50,000 pic.twitter.com/pPa43LPuKY
— ANI (@ANI) January 20, 2025
पीड़िता के परिवार के वकील ने कहा, "मैं अधिकतम सजा के तौर पर मौत की सजा चाहता हूं...।" 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ यौन उत्पीड़न और उसकी गला घोंटकर हत्या करने के दोषी पाए गए संजय रॉय को न्यायाधीश ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत दोषी ठहराया। बीएनएस की धारा 64 (बलात्कार) के तहत कम से कम 10 साल की सजा हो सकती है और आजीवन कारावास तक हो सकती है।
धारा 66 (पीड़ित की मृत्यु या उसे लगातार अचेत अवस्था में पहुंचाने के लिए सजा) में कम से कम 20 वर्ष की सजा का प्रावधान है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, जिसका अर्थ है उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास या मृत्युदंड। बीएनएस की धारा 103(1) (हत्या) में अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान है।