कोविड मामले घटने पर भी निजी अस्पतालों में आईसीयू बेड आरक्षित रखना अमानवीय: अदालत

By भाषा | Updated: December 24, 2020 19:45 IST2020-12-24T19:45:42+5:302020-12-24T19:45:42+5:30

Reservation of ICU beds in private hospitals inhuman despite Kovid cases: Court | कोविड मामले घटने पर भी निजी अस्पतालों में आईसीयू बेड आरक्षित रखना अमानवीय: अदालत

कोविड मामले घटने पर भी निजी अस्पतालों में आईसीयू बेड आरक्षित रखना अमानवीय: अदालत

नयी दिल्ली, 24 दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि जब राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस संक्रमण की दर और मामले घट रहे हैं, ऐसे में कोविड-19 के मरीजों के लिए निजी अस्पतालों में हजारों की संख्या में आईसीयू बिस्तरों को आरक्षित रखना ‘‘अमानवीय’’ है।

न्यायमूर्ति नवीन चावला ने कहा कि मौजूदा स्थिति में आज इतनी सारी संख्या में आईसीयू बिस्तरों को कोविड-19 के मरीजों के लिए आरक्षित रखा जाना जारी नहीं रह सकता है और यदि भविष्य में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि होती है तो फिर से इन्हें आरक्षित किया जा सकता है।

अदालत ने एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह द्वारा दी गई दलीलों को सुनने के बाद यह टिप्पणी की।

सिंह ने अदालत के समक्ष केविड-19 के मामलों की संख्या, संक्रमण पुष्टि की दर, खाली पड़ी आईसीयू बिस्तरों के आंकड़े पेश किए। बिस्तरों की संख्या के बारे में आंकड़े उस वक्त से पेश किए गए, जब दिल्ली सरकार ने निजी अस्पतालों में 80 प्रतिशत आईसीयू बिस्तरें 23 दिसंबर तक आरक्षित रखने का आदेश जारी किया था।

इस बीच, आम आदमी पार्टी सरकार ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि एक विशेषज्ञ समिति ने राष्ट्रीय राजधानी में निजी अस्पतालों में कोविड-19 रोगियों के लिए आरक्षित आईसीयू बिस्तरों की संख्या 80 प्रतिशत से कम करके 60 प्रतिशत करने की सिफारिश की है।

अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल (एएसजी) संजय जैन और अतिरिक्त सरकारी वकील संजय घोष ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश होते हुए अदालत से कहा कि ‘मामले कम होने संबंधी समिति (कोविड-19) की सिफारिश पर कोई फैसला नहीं लिया गया, जिसका गठन दिल्ली के अस्पतालों में मरीजों की भर्ती और उन्हें छुट्टी दिये जाने की मौजूदा स्थिति का आकलन करने तथा जरूरत होने पर कोविड-19 रोगियों के लिए आरक्षित बिस्तरों की संख्या कम करने की सिफारिश करने के लिए किया गया था।

जैन ने कहा कि दो और विशेषज्ञों--चिकित्सकों---से परामर्श करने के बाद फैसला लिया जाएगा।

हालांकि, अदालत ने कहा कि सिंह के द्वारा उसके समक्ष सौंपे गये ‘नोट’ में राष्ट्रीय राजधानी में 12 सितंबर से लेकर 23 दिसंबर तक कोविड-19 के मामलों की संख्या में बदलाव, संक्रमण पुष्टि की दर और खाली पड़े आईसीयू बिस्तरों के सभी आंकड़े हैं जो कि महत्वपूर्ण सामग्री है और इस पर दिल्ली सरकार द्वारा समिति की सिफारिशों पर कोई फैसला करने से पहले विचार करने की जरूरत है।

अदालत ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार का फैसला 28 दिसंबर को सुनवाई की अगली तारीख के दिन उसके समक्ष रखा जाए।

दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता उर्वी मोहन भी कर रही थीं।

अदालत दिल्ली सरकार के 12 सितंबर के उस आदेश को रद्द करने की मांग करने वाली एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसके तहत यहां 33 निजी अस्पतालों में 80 प्रतिशत आईसीयू बिस्तरें कोविड के मरीजों के लिए आरक्षित रखने को कहा गया था।

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Web Title: Reservation of ICU beds in private hospitals inhuman despite Kovid cases: Court

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