Republic Day: आजादी से पहले 6 बार बदल चुका है भारत का झंडा, जानिए इसका पूरा इतिहास

By ज्ञानेश चौहान | Published: January 25, 2020 04:26 PM2020-01-25T16:26:07+5:302020-01-25T16:26:07+5:30

पहली बार भारत का झंडा 7 अगस्त, 1906 को कलकत्ता में जिसे वर्तमान में कोलकाता के नाम से जानते हैं, यहां के पारसी बागान स्क्वेयर में फहराया गया था। इस झंडे में हरे, पीले और लाल रंग की तीन पट्टियां थीं

Republic Day Special : History of the Indian National Flag since Pre independence period | Republic Day: आजादी से पहले 6 बार बदल चुका है भारत का झंडा, जानिए इसका पूरा इतिहास

Republic Day: आजादी से पहले 6 बार बदल चुका है भारत का झंडा, जानिए इसका पूरा इतिहास

Highlightsभारत का पहला झंडा सिर्फ एक साल तक ही मान्य रहा।भारत का दूसरा राष्ट्र्रीय ध्वज 10 साल तक ही मान्य रहा।

आजादी मिलने के पहले हमारे भारत देश का तिरंगा 6 बार बदल चुका है। यानी वर्तमान में हम भारत के तिरंगे को जिस रूप में देख रहे हैं वह शुरुआत से ऐसा नहीं था। इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि भारत का तिरंगा कब और किन रूपों में बदल चुका है।

7 अगस्त, 1906 को हुआ झंडे का निर्माण
पहली बार भारत का झंडा 7 अगस्त, 1906 को कलकत्ता में जिसे वर्तमान में कोलकाता के नाम से जानते हैं, यहां के पारसी बागान स्क्वेयर में फहराया गया था। इस झंडे में हरे, पीले और लाल रंग की तीन पट्टियां थीं। इसमें ऊपर की तरफ 8 कमल बने हुए थे। बीच में बड़े अक्षरों में वन्देमातरम् लिखा हुआ था। नीचे की पट्टी में दाईं ओर सूरज बना था और बाईं ओर चांद बना हुआ था। लेकिन यह एक गैर आधिकारिक राष्ट्रीय झंडा था।

दूसरा झंडा बना साल 1907 में
भारत का यह पहला झंडा ज्यादा समय तक नहीं रहा और अगले ही साल यानी साल 1907 में इसमें कुछ जरूरी बदलाव किए गए। इस राष्ट्रध्वज में केसरिया, पीले और हरे रंग की तीन पट्टियां थी। बीच में पहले झंडे की ही तरह वन्दे मातरम् लिखा हुआ था। साथ ही चांद सितारे मौजूद थे। इस झंडे को भिकाजी कामा द्वारा पेरिस में फहराया गया था। बाद में इसे एक सम्मलेन के दौरान बर्लिन में भी फहराया गया था।

तीसरा झंडा साल 1917 में बना
भारत का यह दूसरा राष्ट्र्रीय ध्वज 10 साल तक ही मान्य रहा। साल 1917 में होम रूल आंदोलन के दौरान भारत को एक और नया झंडा मिला, जो कि पूर्व के दोनों राष्ट्र्रीय ध्वज से एकदम अलग था। इसमें लाल रंग की 5 और हरे रंग की 4 चार पट्टियां थीं यानी कुल मिलाकर 9 पट्टियां थीं। ऊपर की ओर दाईं तरफ चांद-तारा बना हुआ था और बाईं तरफ कोने में ब्रिटेन का आधिकारिक झंडा बना हुआ था और बीच में सप्तर्षी तारा मंडल बना हुआ था। साल 1917 में इस झंडे को होम एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने फहराया था। 

चौथा झंडा साल 1921 में बना

भारत का तीसरा राष्ट्र ध्वज सिर्फ 4 साल के लिए मान्य रहा। साल 1921 में इस राष्ट्रीय ध्वज में फिर बदलाव किया गया। इस बार भारत के झंडे में सफेद, हरे और लाल रंग की पट्टियों का इस्तेमाल किया गया। आंध्र प्रदेश के एक युवक ने यह झंडा बनाकर गांधी जी को दिया था। गांधी जी ने बाद में इसमें चरखा जोड़ा। लेकिन यह झंडा सिर्फ 10 सालों तक ही अस्तित्व में रहा।

पांचवा झंडा साल 1931 में बना
साल 1931 में हिंदुस्तान को एक बार फिर नया राष्ट्रध्वज मिला। चौथे राष्ट्रध्वज की तरह ही पांचवे राष्ट्रध्वज में भी चरखा का महत्वपूर्ण स्थान रहा। हालांकि रंगों में इस बार हेर-फेर हुआ। इसमें केसरिया रंग की पट्टी को सबसे ऊपर बीच में सफेद रंग और आखिरी में हरे रंग की पट्टी को शामिल किया गया। इंडियन नेशनल कांग्रेस ने औपचारिक रूप से इस ध्वज को अपनाया था।

छठवां झंडा साल 1947 में बना
कांग्रेस पार्टी का पांचवा राष्ट्र ध्वज ही भारत का अंतिम राष्ट्र ध्वज रहा। इसमें केवल एक बदलाव किया गया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का चरखा इसमें से हटाया गया और उसके स्थान पर इसमें सम्राट अशोक के चक्र को स्थान दिया गया। इस तिरंगे ने 22 जुलाई 1947 अपना स्थाई रूप लिया। भारत की आजादी में इस तिरंगे ने अपना सबसे महत्वपूर्ण रोल अदा किया। भारत का यह ध्वज आज विश्व भर में इसी रूप में फहराया जाता है।

 

Web Title: Republic Day Special : History of the Indian National Flag since Pre independence period

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