शुक्रवार को मस्जिदें बंद रहने से घाटी में लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं: एमएमयू
By भाषा | Published: August 20, 2021 06:26 PM2021-08-20T18:26:01+5:302021-08-20T18:26:01+5:30
जम्मू कश्मीर के विभिन्न धार्मिक संगठनों के महागठबंधन मुतहिदा मजलिए-ए-उलेमा (एमएमयू) ने कहा है कि शुक्रवार को घाटी में बड़े प्रार्थना स्थलों के बंद रहने से लोगों की धार्मिक भावना आहत हुई है। शहर के नौहटा क्षेत्र की ऐतिहासिक जामा मस्जिद एवं अन्य बड़ी मस्जिदों एवं धर्मस्थलों पर जुम्मे की नमाज की अनुमति नहीं दिये जाने के बाद यह बयान आया । एमएमयू ने एक बयान में कहा कि वह कश्मीर में सभी बड़े उपासना स्थलों को बार-बार बंद करने की कड़ी आलोचना करता है। इस महागठबंधन के अगुवा हुर्रियत के अध्यक्ष मीरवायज उमर फारूक हैं। एमएमयू ने कहा, ‘‘ यदि अगले शुक्रवार तक सभी बड़े उपासना स्थल श्रद्धालुओं के लिए नहीं खोले जाते हैं तो हम इस गंभीर मसले पर चर्चा के लिए एक बैठक करेंगे जहां भावी कार्ययोजना का फैसला किया जाएगा एवं लोगों को उसकी सूचना दी जाएगी।’’ उसने कहा कि कोविड-19 सुरक्षा नियमों की आड़ में शुक्रवार को जामा मस्जिद श्रीनगर, असार शरियत दरगाह हजरतबल, खानकाह-ए-मोहल्ला, अस्ताने आलिया दस्तगीर साहब, अस्ताने आलिया मखदूमी साहब, अस्ताने आलिया नक्शबंदी साहब जैसी बड़ी मस्जिदें एवं धर्मस्थल बंद रहे। उसने कहा कि कोविड रोकथाम नियमों का पालन करने के बाद भी प्रशासन इन अहम धर्मस्थलों पर लोगों को जुम्मे की नमाज पढ़ने नहीं दे रहा है। उसने कहा, ‘‘ इससे लोगों में बहुत असंतोष है क्योंकि यह उनकी धार्मिक भावना आहत करता है एवं उनकी धार्मिक मान्यतांओं को पूरा करने के मार्ग में रोड़ा अटकाता है।
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