अयोध्या पर पुनर्विचार याचिका ‘फायदेमंद’ नहीं, बोर्ड अध्यक्ष ने मुसलमानों के साथ विश्वासघात कियाः महमूद मदनी गुट

By भाषा | Published: November 21, 2019 07:06 PM2019-11-21T19:06:58+5:302019-11-21T19:06:58+5:30

जमीयत की ओर से जारी एक बयान में महमूद मदनी के हवाले से कहा गया है कि संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस बात पर चर्चा की गई कि शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की जाए या नहीं और पांच एकड़ जमीन ली जाए या नहीं।

Reconsideration petition on Ayodhya not 'beneficial', board president betrayed Muslims: Mahmood Madni faction | अयोध्या पर पुनर्विचार याचिका ‘फायदेमंद’ नहीं, बोर्ड अध्यक्ष ने मुसलमानों के साथ विश्वासघात कियाः महमूद मदनी गुट

उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार विचार याचिका दायर करने का ऐलान किया है। 

Highlightsबाबरी मस्जिद के बदले में अयोध्या में पांच एकड़ ज़मीन कबूल नहीं करनी चाहिये।गौरतलब है कि जमीयत के अरशद मदनी गुट ने अयोध्या विवाद पर नौ नवंबर को आए।

अयोध्या मामले पर आए उच्चतम न्यायालय के निर्णय के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने को जमीयत उलेमा-ए- हिन्द (महमूद मदनी गुट) ने ‘फायदेमंद’ नहीं माना है, लेकिन कहा है कि जो लोग याचिका दायर करना चाहते हैं वे अपने ‘कानूनी हक’ का इस्तेमाल कर रहे हैं।

जमीयत की ओर से जारी एक बयान में महमूद मदनी के हवाले से कहा गया है कि संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस बात पर चर्चा की गई कि शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की जाए या नहीं और पांच एकड़ जमीन ली जाए या नहीं।

बयान में कहा गया है, ‘‘जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द (महमूद मदनी गुट) की कार्यकारिणी समझती है कि पुनर्विचार याचिका दायर करना लाभदायक नहीं है, लेकिन विभिन्न संस्थाओं ने अपने संवैधानिक अधिकार का उपयोग करते हुए पुनर्विचार याचिका दायर करने की राय कायम की है, इसलिए इसका विरोध नहीं किया जाएगा।’’

बयान के अनुसार, मस्जिद दूसरी जगह नहीं बनाई जा सकती है। इसलिए बाबरी मस्जिद के बदले में अयोध्या में पांच एकड़ ज़मीन कबूल नहीं करनी चाहिये। इसके अलावा, बयान में संगठन ने पुरातत्व विभाग के तहत आने वाली मस्जिदों में नमाज पढ़ने की इजाजत देने की भी मांग की।

बयान में कहा गया है कि केंद्र तथा राज्य सरकारों के हस्तक्षेप नहीं करने के कारण वक्फ संपत्तियों के केयर-टेकर ऐसे निर्णय लेते हैं जो समुदाय के लिए हानिकारक सिद्ध होते हैं। इसमें कहा गया है, ‘‘बाबरी मस्जिद से संबंधित मामले में उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने मुसलमानों के साथ विश्वासघात किया है।’’ गौरतलब है कि जमीयत के अरशद मदनी गुट ने अयोध्या विवाद पर नौ नवंबर को आए उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार विचार याचिका दायर करने का ऐलान किया है। 

Web Title: Reconsideration petition on Ayodhya not 'beneficial', board president betrayed Muslims: Mahmood Madni faction

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