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पुरी रथयात्रा: एक रथ को खीचेंगे 500 लोग, सभी का होगा कोरोना टेस्ट

By निखिल वर्मा | Updated: June 23, 2020 04:26 IST

ओडिशा में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से हरी झंडी देने के बाद प्रदेश में श्रद्धालुओं में खुशी का माहौल है.

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ठळक मुद्देओडिशा में भगवान जगन्नाथ रथयात्रा आज से शुरू होगी.लोगों की उपस्थिति के बगैर रथयात्रा सीमित तरीके से निकाली जाएगी.रथयात्रा में करीब 1500 लोग तीन रथ को खीचेंगे

भुवनेश्वर: ओडिशा सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद पुरी में बड़े पैमाने पर कोरोना वायरस जांच अभियान शुरू किया है, जिसमें भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान रथ खींचने वाले लोगों को अनिवार्य रूप से कोविड-19 की जांच करानी होगी। रिपोर्ट निगेटिव आने पर रथ खींचने वाले यात्रा में भाग ले पाएंगे।

रथ यात्रा में तीन रथ शामिल हैं- भगवान जगन्नाथ की नंदीघोष, भगवान बलभद्र की तालध्वज और देवी सुभद्रा की दर्पदलन। 500 से अधिक लोगों को एक रथ खींचने की अनुमति नहीं है, जिनमें सेवक और सुरक्षाकर्मी शामिल हैंऔर इसलिए, प्रशासन को तीन रथों को खींचने के लिए 1,500 लोगों की आवश्यकता है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें कम से कम 1,500 लोगों से नमूने एकत्र करने होंगे और मंगलवार सुबह 11 बजे तक जांच करानी होगी क्योंकि रथ खींचने का काम दोपहर 12 बजे से शुरू होगा।’’ 

कड़ी शर्तों के साथ पुरी में भगवान जगन्नाथ रथयात्रा की अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा के पुरी में कड़ी शर्तों के साथ भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के आयोजन की अनुमति सोमवार (22 जून) को दी है। यह रथयात्रा आज से शुरू होगी और इसमें जनता की भागीदारी नहीं होगी। शीर्ष अदालत ने ओडिशा सरकार के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए अपने 18 जून के आदेश में संशोधन किया। राज्य सरकार ने कहा था कि जनता की उपस्थिति के बगैर ही सीमित तरीके से रथयात्रा का आयोजन किया जा सकता है।

अपने आदेश में शीर्ष कोर्ट ने ओडिशा सरकार को निर्देश दिया कि रथयात्रा का जुलूस निकाले जाने के दौरान पुरी शहर में कर्फ्यू लगाया जाए और शहर में प्रवेश के सभी रास्ते बंद किए जाएं। 

रथयात्रा महोत्सव 23 जून से शुरू होकर 10 से 12 दिन चलता है और रथयात्रा की वापसी ‘बहुदा जात्रा’ की तारीख एक जुलाई निर्धारित है। इस महोत्सव के लिए भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के लिए लकड़ी के तीन विशाल रथ बनाए जाते हैं और पुरी में नौ दिन के दौरान श्रृद्धालु इसे दो बार तीन किलोमीटर से ज्यादा दूर तक खींचते हैं। 

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