रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिदः सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम यहां बाबर के पाप पुण्य का हिसाब करने नहीं बैठे हैं, मेरे पास समय नहीं
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 1, 2019 08:32 PM2019-10-01T20:32:12+5:302019-10-01T20:32:12+5:30
हिंदू पक्ष ने दावा किया कि उनके प्रतिद्वंद्वियों के दावे में सांप्रदायिक पहलू शामिल है। उन्होंने मुस्लिम पक्षकारों की इस दलील को अनुचित और दुर्भाग्यपूर्ण भी बताया कि पुरातत्विक रिपोर्ट को नष्ट किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अब वे आरोप लगा रहे हैं कि जो दीवार खुदाई में निकली, वह ईदगाह की थी।
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के मामले में हिंदू पक्षकारों ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि सुनवाई के दौरान उन्होंने कभी ऐसी दलील नहीं दी, जो सांप्रदायिक सौहार्द और शांति को बिगाड़ती हो।
हिंदू पक्ष ने दावा किया कि उनके प्रतिद्वंद्वियों के दावे में सांप्रदायिक पहलू शामिल है। उन्होंने मुस्लिम पक्षकारों की इस दलील को अनुचित और दुर्भाग्यपूर्ण भी बताया कि पुरातत्विक रिपोर्ट को नष्ट किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अब वे आरोप लगा रहे हैं कि जो दीवार खुदाई में निकली, वह ईदगाह की थी।
दलीलों पर प्रश्न करते हुए राम लला के वरिष्ठ वकील ने कहा कि इसका आशय है कि मुगल शासक बाबर आया था और उसने ईदगाह को गिराकर मस्जिद बनाई। इसने उनके पुराने रुख का भी विरोध किया कि मस्जिद खाली जमीन पर बनाई गयी थी। हिंदू पक्षकारों की दलीलों पर मुस्लिम पक्ष की तीखी प्रतिक्रिया आई।
अयोध्या विवाद पर रोजाना सुनवाई जारी है। सोमवार को 34वें दिन की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में बाबर पर जब मुस्लिम पक्षकार ने दलील दी, तो अदालत ने साफ लफ्जों में कह दिया कि वो यहां बाबर के पाप पुण्य का हिसाब करने नहीं बैठे हैं. कोर्ट ने साफ-साफ फिर कहा कि उनके पास समय नहीं है, जितना समय है उतने में ही सभी पक्षकार अपनी दलील पूरी करें।
दलीलों पर बहस के दौरान दोनों पक्षों के वरिष्ठ वकीलों के बीच तीखी नोकझोंक हो गयी। वे प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष दलील रख रहे थे। पीठ ने इस संवेदनशील मामले पर 35वें दिन की सुनवाई पूरी की।
राम लला की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने कहा, ‘‘सुनवाई के दौरान उन्होंने (मुस्लिम पक्ष ने) अनावश्यक टिप्पणियां कीं और हमने कभी ऐसी कोई दलील नहीं दी जो सांप्रदायिक शांति और सौहार्द के खिलाफ हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण है कि (सुन्नी) वक्फ बोर्ड ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को ‘ज्ञात अनुमान’ की तरह पेश किया।’’
इस पर मुस्लिम पक्षों के वकील राजीव धवन ने आपत्ति जताते हुए कहा, ‘‘मैंने इसे चित्रित नहीं किया, बल्कि न्यायाधीशों ने खुद इसे ज्ञात अनुमान की तरह चित्रित किया है।’’ धवन ने कहा, ‘‘हम ऐसी दलीलों से बचते हैं जिनसे सांप्रदायिक विभाजन की आशंका हो। हमने कहा था कि गतिविधियां गैरकानूनी थीं और सांप्रदायिक विभाजन पर कुछ नहीं कहा था।’’
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर मंगलवार को भी सुनवाई जारी है. आज रोजाना सुनवाई का 35वां दिन है. सुप्रीम कोर्ट में अब हिंदू पक्षकारों की तरफ से रामलला के वकील के. परासरण ने अपनी दलील रखनी शुरू की. अदालत ने हिंदू पक्षकारों को गुरुवार तक अपनी दलीलें खत्म करने को कहा है.
12.10 PM: इन दलीलों पर मुस्लिम पक्ष की ओर से वकील राजीव धवन ने बीच में ही टोका. राजीव धवन ने कहा कि हिंदू पक्षकारों ने जो चिदंबरम या मयलापुरम के उदाहरण दिए हैं वहां मंदिर हैं और उपासना अदृश्य देवता की होती है.
12.00 PM: सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्षकार की ओर से परासरण ने श्लोक पढ़ा और कहा कि पापकर्म की बदनामी मृत्यु से भी निकृष्ट है. उन्होंने कहा कि लोगों का अगर किसी भूमि स्थान पर अलौकिक शक्तिशाली और ऊर्जा होने का विश्वास और श्रद्धा है, तो वो भी कानूनी व्यक्ति हो जाता है. यानी उसे संकट के समय अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए अदालत जाने का हक है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन गुणों की घोषणा स्वयंभू है या किसी ने की है.
वकील ने कहा कि हिन्दू सनातन दर्शन में तो पांच तत्व धरती, गगन, अग्नि, वायु और जल के साथ दसों दिशाओं की पूजा होती है. श्रीदेवी भू-देवी भी पूजित हैं. उन्होंने कहा कि चिदंबरम मंदिर में शिव का लिंग नहीं है, वहां एक पर्दा है. पर्दा हटता है तो नटराज के दर्शन होते हैं. तमिलनाडु के समुद्रतट पर मयलापुरम में भी मंदिर है, पर मूर्ति नहीं.
अयोध्या विवाद पर रोजाना सुनवाई जारी है. सोमवार को 34वें दिन की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में बाबर पर जब मुस्लिम पक्षकार ने दलील दी, तो अदालत ने साफ लफ्जों में कह दिया कि वो यहां बाबर के पाप पुण्य का हिसाब करने नहीं बैठे हैं. कोर्ट ने साफ-साफ फिर कहा कि उनके पास समय नहीं है. जितना समय है उतने में ही सभी पक्षकार अपनी दलील पूरी करें.
34 वें दिन की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने बाबरी मस्जिद की इस्लामिक कायदे की वैधता और निर्मोही अखाड़े के कब्जे के कानूनी पेंच पर अपनी दलीलें रखीं. मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ वकील शेखर नाफड़े ने बहस की शुरुआत की. नाफड़े ने कहा कि कोर्ट पर मामला तय समय सीमा में खत्म करने का प्रेशर है.
शेखर नाफड़े ने दलील दी कि 1885 में विवादित क्षेत्र में हिंदुओं का प्रवेश केवल बाहरी आंगन में स्थित राम चबूतरा और सीता रसोई तक ही सीमित था. हिन्दू राम चबूतरा को जन्मस्थान कहते थे. बाकी जगह मस्जिद थी, जहां मुस्लिम नमाज अदा करते थे.
नाफड़े ने कहा कि मुस्लिम कब्ज़े का दावा कर सकते है या नही, वहां पर मस्जिद थी और उसको 1885 में चैलेंज नहीं किया गया था. मस्जिद की उपस्थिति को माना गया था, ज्यूडिशियल कमिश्नर ने रिपोर्ट में साफ कहा था हिन्दू आने अधिकार को बढ़ाना चाहते है. रघुबरदास के महंत होने को सभी ने माना और उसको किसी ने भी चैलेंज नही किया था. 1885 का फैसला भी यही कहता है.
शेखर नाफड़े ने कहा कि सवाल यह नही कोर्ट ने क्या कहा सवाल यह है कि याचिकाकरता ने कोर्ट को क्या बताया, निर्मोही अखाड़ा ने भी उनको महंत माना था. मुस्लिम पक्षकारों के वकील नाफड़े ने अपनी दलील पूरी की तो एक अन्य पक्षकार मिसबाहुद्दीन की ओर से निजाम पाशा ने बहस की शुरुआत की.
निजाम पाशा ने कहा कि बाबर जब राज कर रहा था तो वो सम्प्रभु था. किसी के प्रति जवाबदेह नहीं था. कुरान और इस्लामिक कानून के हिसाब से उसने राज किया. विरोधी पक्षकार कह रहे हैं कि बाबर ने मस्जिद बनाकर पाप किया, लेकिन हमारा कहना है कि उसने कोई पाप नहीं किया.
जस्टिस बोबड़े ने पूछा- हम यहां बादशाह बाबर के पाप या पुण्य का फैसला करने नहीं बैठे हैं हम तो यहां कानूनी कब्जे के दावे के परीक्षण करने बैठे हैं. निजाम पाशा ने कहा निर्मोही का मतलब तो बिना मोह का होता है और वैरागी तो वैराग्य में रहते है फिर उनका मोह और राग कैसा?
इसी बीच रामलला विराजमान ने सुप्रीम कोर्ट में कहा हम मध्यस्थता में भाग नहीं लेंगे. विराजमान के वकीलों ने कहा कि वे मध्यस्थता नहीं चाहते. इस अदालत को फैसला करने दें. इस पर कोर्ट ने कहा कि वह सुनवाई कर रहा है और अब 18 अक्टूबर तक बहस होगी. कोर्ट ने मध्यस्थता पर टिप्पणी करने से मना किया.