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Ayodhya Dispute: विवादित जमीन सरकार को देने को तैयार हुआ मुस्लिम पक्ष, लेकिन समझौते की इन शर्तों के साथ!

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 17, 2019 09:19 IST

सुनवाई के बाद बुधवार को मध्यस्थता समिति ने सीलबंद लिफाफे में एक रिपोर्ट सैंपी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इसमें हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों के बीच ‘‘एक तरह का समझौता’’ है। 

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ठळक मुद्देमध्यस्थता समिति की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला कर रहे हैंगुरुवार को गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की बेंच बैठक करेगी और मध्यस्थता के प्रस्ताव पर विचार होगा

अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है। सुनवाई के बाद बुधवार को मध्यस्थता समिति ने सीलबंद लिफाफे में एक रिपोर्ट सैंपी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इसमें हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों के बीच ‘‘एक तरह का समझौता’’ है। 

रिपोर्ट के मुताबिक सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्वाणी अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति और कुछ अन्य हिंदू पक्षकार भूमि विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने के समर्थन में हैं। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि राम जन्मभूमि न्यास, रामलला और 6 अन्य मुस्लिम पक्ष जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है वो इसका समझौता का हिस्सा नहीं है।

समझौता प्रमुख रूप से सुन्नी वक्फ बोर्ड पर केंद्रित है। कहा जा रहा है कि विवादित स्थल पर केंद्र सरकार के अधिगृहण को बाबरी मस्जिद ने मंजूरी दे दी है। इस सहमति के बदले में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सोशल हॉर्मनी के लिए एक इंस्टीट्यूशन, एएसआई संरक्षित मस्जिदों को नमाज के लिए दोबारा खोलना और अयोध्या की टूटी-फूटी मस्जिदों की मरम्मद कराए जाने की मांग रखी है। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इस समझौते तक पहुंचने के लिए दिल्ली और चेन्नई में कई मीटिंग के दौर से गुजरना पड़ा है।

जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की संवैधानिक पीठ गुरुवार सुबह चैम्बर में बैठक करेगी। माना जा रहा है कि चैम्बर में समझौते का डॉक्यूमेंट चर्चा का प्रमुख मुद्दा हो सकता है। हालांकि सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने बुधवार को कहा था कि उनकी तरफ से कोई एनओसी दायर नहीं की गई है। बुधवार को सुनवाई के बाद उन खबरों को भी धक्का लगा था जिसमें कहा गया था कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित जमीन से अपना दावा वापस ले लिया है।

मध्यस्थता समिति की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला कर रहे हैं और इसमें आध्यात्मिक गुरु तथा आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर तथा वरिष्ठ अधिवक्ता और प्रख्यात मध्यस्थ श्रीराम पंचू शामिल हैं।

सूत्रों ने बताया कि पक्षकारों ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के प्रावधानों के तहत समझौता करने की मांग की है जिसमें कहा गया है कि मंदिरों के विध्वंस के बाद बनी और 1947 की तरह अब मौजूद मस्जिद या अन्य धार्मिक स्थानों के संबंध में कोई विवाद नहीं है।

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