राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिदः हिंदू पक्ष ने कहा- दीवारों पर श्लोक और मकर प्रणाला उकेरा हुआ मिला है, जिसे मां गंगा का वाहन माना जाता है

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 4, 2019 03:19 PM2019-10-04T15:19:42+5:302019-10-04T15:19:42+5:30

राम लला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने कहा कि हिन्दू पक्षकारों का यही मामला है कि खुदाई में मिले अवशेषों, घेराकार मंदिर, स्तंभों के आधार, एक दूसरे से मिलती दीवारें और अन्य सामग्री से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वहां एक मंदिर था।

Ram Janmabhoomi-Babri Masjid: The Hindu side said- Shloka and Makara Pranala are engraved on the walls, which is considered to be the vehicle of the mother Ganga | राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिदः हिंदू पक्ष ने कहा- दीवारों पर श्लोक और मकर प्रणाला उकेरा हुआ मिला है, जिसे मां गंगा का वाहन माना जाता है

खुदाई में मिले खंबों के आधार, गोलाकार मंदिर, परस्पर जुड़े ईंटों की दीवारों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वह विशाल संरचना कोई इस्लामिक ढांचा नहीं बल्कि एक मंदिर ही था।

Highlightsराम लला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्षकारों की यह दलील सही नहीं है।अयोध्या में ध्वस्त की गयी मस्जिद के स्थल पर खुदाई से मिले अवशेष ‘संदेह से परे साक्ष्य’ हैं कि उसके नीचे एक संरचना मौजूद थी।

राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में हिन्दू पक्षकारों ने 2.77 एकड़ भूमि पर मुस्लिम पक्षकारों के दावों को नकारा और कहा कि ध्वस्त की गयी मस्जिद के नीचे खुदाई में मिले अवशेष वहां ‘विशाल संरचना’ होने का संकेत देते हैं।

राम लला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्षकारों की यह दलील सही नहीं है कि विवादित ढांचे के नीचे कोई इस्लामिक संरचना थी। उन्होंने कहा कि अयोध्या में ध्वस्त की गयी मस्जिद के स्थल पर खुदाई से मिले अवशेष ‘संदेह से परे साक्ष्य’ हैं कि उसके नीचे एक संरचना मौजूद थी।

उन्होंने कहा कि खुदाई में मिले खंबों के आधार, गोलाकार मंदिर, परस्पर जुड़े ईंटों की दीवारों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वह विशाल संरचना कोई इस्लामिक ढांचा नहीं बल्कि एक मंदिर ही था। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के समक्ष मुस्लिम पक्षकारों की दलीलों का जवाब देते हुये वैद्यनाथन ने कहा कि विवादित ढांचे के नीचे बना ढांचा ईदगाह की दीवार या इस्लामिक संरचना का दावा सही नहीं है।

वैद्यनाथन ने कहा, ‘‘पहले उनका दावा था कि वहां कोई संरचना ही नहीं थी, बाद में उन्होंने कहा कि यह इस्लामिक ढांचा या ईदगाह की एक दीवार थी। हम कहते हैं कि वह मंदिर था जिसे ध्वस्त किया गया और खुदाई के दौरान मिले स्तंभों के आधार पर इसकी पुष्टि करते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह किसी भी संदेह से परे साक्ष्य है कि इसके नीचे एक संरचना थी।’’

मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार मंदिर ध्वस्त किये जाने के बारे में कोई निश्चित साक्ष्य या तथ्य नहीं है। धवन ने कहा, ‘‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट में किसी संरचना को ध्वस्त किये जाने का कोई निष्कर्ष नहीं है। एएसआई की रिपोर्ट में विध्वंस के बारे में कोई साक्ष्य ही नहीं है।’’ संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे़, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।

इसके विपरीत, वैद्यनाथन ने कहा कि हिन्दू पक्षकारों का यही मामला है कि खुदाई में मिले अवशेषों, घेराकार मंदिर, स्तंभों के आधार, एक दूसरे से मिलती दीवारें और अन्य सामग्री से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वहां एक मंदिर था। प्रारंभ में ही वैद्यनाथन ने कहा कि परस्पर जुड़ी दीवारों पर कुछ श्लोक और मकर प्रणाला उकेरा हुआ मिला है जिसे मां गंगा का वाहन माना जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘दीवारों पर बनी कुछ आकृतियां वे हैं जो 10वीं और 11वीं सदी के काल में पारंपरिक हिन्दू मंदिर पर बनीं होती थीं।

उन्होंने कहा कि यहां तक कि खुदाई के दौरान मिले खंबों के आधार भी इसके इस्लामिक संरचना होने संबंधी मुस्लिम पक्षकारों के दावों को महज एक अनुमान ही बताते हैं। पीठ ने वैद्यनाथन को टोकते हुये कहा कि हिन्दुओं की आस्था और विश्वास पर विवाद नहीं किया जा सकता लेकिन इस समय साक्ष्यों में ऐसा क्या है जो मंदिर होने की बात साबित करे। संविधान पीठ ने 36वें दिन की सुनवाई के दौरान हिन्दू पक्षकारों को किसी भी नयी सामग्री को आधार बनाने से रोका और कहा कि इस चरण में किसी भी नये साक्ष्य को पेश करने की अनुमति नहीं दी जायेगी।

पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब एक हिन्दू पक्षकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी एन मिश्रा ने कुछ लिपियां पेश करने का प्रयास किया जिनसे इस स्थान की राम जन्मस्थान के रूप में पूजा अर्चना किये जाने के संकेत मिलते हैं।

पीठ ने मिश्रा को ऐसा करने से रोका और एक अन्य हिन्दू पक्षकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार जैन को अपनी दलीलें जारी रखने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान हिन्दू पक्षकारों द्वारा कोई नया तथ्य या सामग्री पेश करने का प्रयास किये जाने पर राजीव धवन बीच-बीच में इस पर आपत्ति करते रहे। संविधान पीठ अयोध्या में राज जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही है। 

Web Title: Ram Janmabhoomi-Babri Masjid: The Hindu side said- Shloka and Makara Pranala are engraved on the walls, which is considered to be the vehicle of the mother Ganga

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे