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राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस: SC में समय से पहले सुनवाई पूरी, जल्द आएगा फैसला, जानें पूरे दिन का घटनाक्रम

By स्वाति सिंह | Updated: October 16, 2019 16:37 IST

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में पांच जजों की बेंच के अध्यक्ष और मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने स्पष्ट कर दिया है कि शाम पांच बजे तक हर हाल में सुनवाई पूरी की। जानें की सुनवाई में अब तक का पूरा घटनाक्रम...

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ठळक मुद्देराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले की सुप्रीम कोर्ट में 40वें दिन की सुनवाई पूरी सुप्रीम कोर्ट ने लिखित हलफनामा, मोल्डिंग ऑफ रिलीफ को लिखित में जमा करने के लिए तीन दिन का समय दिया

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले की सुप्रीम कोर्ट में 40वें दिन की सुनवाई पूरी हो गई है। सबसे आखिर में मुस्लिम पक्ष की ओर से दलीलें रखी गईं। अब सुप्रीम कोर्ट ने लिखित हलफनामा, मोल्डिंग ऑफ रिलीफ को लिखित में जमा करने के लिए तीन दिन का समय दिया है।

पांच जजों की बेंच के अध्यक्ष और मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने स्पष्ट कर दिया है कि शाम पांच बजे तक हर हाल में सुनवाई पूरी की। जानें की सुनवाई में अब तक का पूरा घटनाक्रम...

राजीव धवन अयोध्या में राम के जन्मस्थल को दर्शाने वाला 'नक्शा' फाड़ा

सुप्रीम कोर्ट  में मुस्लिम पक्षकारों की ओर से बहस करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने बुधवार को संविधान पीठ के समक्ष भगवान राम के सही जन्मस्थल को दर्शाने वाला सचित्र नक्शा फाड़ दिया। अखिल भारतीय हिन्दू महासभा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह द्वारा अयोध्या में विवादित स्थल पर भगवान राम के जन्म स्थल को दर्शाने वाले नक्शे का हवाला दिये जाने पर राजीव धवन ने आपत्ति की थी। इस पर धवन ने पीठ से पूछा कि उन्हें इसका क्या करना चाहिए, पीठ ने कहा कि वह इसके टुकड़े कर सकते हैं। इस पर राजीव धवन ने न्यायालय कक्ष में अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के अधिवक्ता द्वारा उपलब्ध कराया गया सचित्र नक्शा फाड़ दिया।

बाबर की ऐतिहासिक भूल सुधारने की जरूरत है: हिन्दू पक्ष 

राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुप्रीम कोर्ट  में सुनवाई के दौरान एक हिन्दू पक्ष ने दलील दी कि भारत विजय के बाद मुगल शासक बाबर द्वारा करीब 433 साल पहले अयोध्या में भगवान राम के जन्म स्थान पर मस्जिद का निर्माण कर ‘ऐतिहासिक भूल’ की गयी थी और अब उसे सुधारने की आवश्यकता है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष एक हिन्दू पक्षकार की ओर से पेश पूर्व अटार्नी जनरल एवं वरिष्ठ अधिवक्ता के। परासरण ने कहा कि अयोध्या में कई मस्जिदें हैं जहां मुस्लिम इबादत कर सकते हैं लेकिन हिन्दू भगवान राम का जन्म स्थान नहीं बदल सकते। 

हिन्दु पक्ष से नहीं सिर्फ हमसे ही सवाल किये जा रहे है: मुस्लिम पक्षकार

सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्षकारों ने आरोप लगाया कि इस मामले में हिन्दु पक्ष से नहीं बल्कि सिर्फ हमसे ही सवाल किये जा रहे है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष 38वें दिन की सुनवाई शुरू होने पर मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने यह टिप्पणी की। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। धवन ने कहा, ‘‘ माननीय न्यायाधीश ने दूसरे पक्ष से सवाल नहीं पूछे। सारे सवाल सिर्फ हमसे ही किये गये हैं। निश्चित ही हम उनका जवाब देंगे।’’ धवन के इस कथन का राम लला का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने जोरदार प्रतिवाद किया और कहा, ‘‘यह पूरी तरह से अनावश्यक है।’’ 

यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड के प्रमुख को तत्काल सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर अहमद फारूकी को तत्काल सुरक्षा प्रदान करें क्योंकि उन्हें अपनी जान को खतरे की आशंका है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मध्यस्थता समिति के सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पांचू द्वारा उसे संबोधित पत्र का संज्ञान लिया जिसमें कहा गया था कि फारूकी ने अपनी जान को खतरा होने की आशंका व्यक्त की है। संविधान पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हम उप्र सरकार को निर्देश देते हैं कि सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष को तत्काल सुरक्षा प्रदान की जाए।'

अयोध्या फैसले के मद्देनजर यूपी के सभी सरकारी अफसरों की छुट्टियां रद्द

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 30 नवंबर तक सभी अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में आखिरी दौर की सुनवाई चल रही है। माना जा रहा है कि सीजेआई रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। उससे पहले इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ जाएगा। प्रशासन ने अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने का कवायद शुरू कर दी है। अयोध्या में धारा 144 लागू कर दी गई है। इसी के मद्देनजर अधिकारियों की छुट्टियां रद्द करने का फैसला लिया गया है।

मंगलवार को आगामी त्योहारों को देखते हुए डीजीपी ने मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव के साथ अयोध्या के दीपोत्सव स्थल की सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण किया था और आवश्यक निर्देश दिए थे। इसके अगेल ही दिन डीजीपी मुख्यालय की ओर से सीबीसीआईडी, भ्रष्टाचार निवारण संगठन, ईओडब्ल्यू और पीएसी के मुखिया के साथ ही प्रयागराज, गोरखपुर और वाराणसी जोन के एडीजी को पत्र भेजकर पुलिस अधीक्षक से लेकर सिपाही तक की मांग की गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी की दलील सुनने से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुनवाई के आखिरी दिन बुधवार को सुब्रमण्यम स्वामी की 'पूजा के अधिकार' याचिका को सुनने से इनकार कर दिया। लंच के बाद शुरू हुई सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि अब केवल तीन पक्षों को ही सुना जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट में बुद्धिस्ट सभा की ओर से वकील रणजीत थॉमस ने दलील देने की कोशिश की। कोर्ट ने इसे भी सुनने से इनकार किया और कहा कि हमने आपको डीटैग कर दिया है। इसके मायने ये हुए कि जिन्होंने इस मामले में सिविल अपील दाखिल नहीं की है उनको किसी भी सूरत में नहीं सुना जाएगा।

अयोध्या में निषेधाज्ञा लागू

अयोध्या में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि निषेधाज्ञा दस दिसंबर तक लागू रहेगी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2014 के फैसले के खिलाफ शीर्ष न्यायालय 14 अपीलों पर सुनवाई कर रहा है। पीठ ने इस मामले में न्यायालय की कार्यवाही पूरी करने की समय सीमा की समीक्षा की थी और इसके लिए 17 अक्टूबर की सीमा तय की है। निषेधाज्ञा का आदेश अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट करते हुए जिला मजिस्ट्रेट अनुज कुमार झा ने कहा ‘‘अयोध्या और यहां आने वालों की सुरक्षा तथा संरक्षा को ध्यान में रखते हुए आदेश जारी किया गया है।’’ उन्होंने आगे कहा है ‘‘मैं यह भी कहना चाहूंगा कि 31 अगस्त 2019 से यहां एक और आदेश लागू है जो गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने और अवांछित गतिविधियों के बारे में है। 12 अक्टूबर 2019 को जारी आदेश उन बिंदुओं के सिलसिले में है जो पूर्व के आदेश में नहीं थे।’’ कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने भी बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की मांग की है। 

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