लाइव न्यूज़ :

राकेश अस्थाना को जनहित में दिल्ली का पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया : केंद्र ने उच्च न्यायालय से कहा

By भाषा | Updated: September 16, 2021 18:17 IST

Open in App

नयी दिल्ली, 16 सितंबर केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी में कानून व्यवस्था से जुड़ी विभिन्न चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए जनहित में दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में गुजरात काडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना की नियुक्ति की गई है।

अस्थाना की नियुक्ति का बचाव करते हुए केंद्र ने अपने शपथपत्र में कहा है कि उसे दिल्ली के पुलिस प्रमुख के रूप में किसी ऐसे अधिकारी की नियुक्ति करने की आवश्यकता महसूस हुई जिसके पास किसी बड़े राज्य में किसी बड़े पुलिस बल का नेतृत्व करने एवं राजनीतिक एवं लोक व्यवस्था से जुड़ी समस्या से निपटने तथा किसी केंद्रीय जांच एजेंसी और अर्धसैनिक बलों में काम करने का विविध एवं व्यापक अनुभव हो।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव द्वारा दायर शपथपत्र में कहा गया है, ‘‘इससे संबंधित मुख्य चिंता यह थी कि देश की राजधानी होने के नाते दिल्ली लोक व्यवस्था/कानून व्यवस्था से जुड़ी स्थिति/पुलिस संबंधी विभिन्न एवं अत्यंत चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना करती रही है जिससे न सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी जटिलताएं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय/सीमा पार संबंधी जटिलताएं भी जुड़ी हैं।’’

अधिवक्ता अमित महाजन के माध्यम से दायर शपथपत्र में केंद्र ने कहा कि दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में अस्थाना की नियुक्ति में कोई त्रुटि नहीं मिल सकती और यह सभी लागू नियमों एवं विनियमों का ईमानदारी से पालन करने के बाद की गई है।

शपथपत्र उस जनहित याचिका के जवाब में दायर किया गया है जिसमें अस्थाना को दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त किए जाने और उन्हें 31 जुलाई को उनकी सेवानिवृत्ति से पहले अंतर-काडर प्रतिनियुक्ति एवं सेवा विस्तार दिए जाने के 27 जुलाई के गृह मंत्रालय आदेश को निरस्त करने का आग्रह किया गया है।

केंद्र ने दलील दी है कि यह याचिका "कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग’’ है और स्पष्ट रूप से किसी व्यक्तिगत प्रतिशोध की भावना से प्रेरित है।

इसने कहा कि अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका और गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन का हस्तक्षेप जुर्माने के साथ खारिज किए जाने योग्य है।

केंद्र ने कहा, “याचिकाकर्ता और हस्तक्षेपकर्ता केवल व्यस्त निकाय हैं। जनहित का मुद्दा उठाने का दावा करनेवाले याचिकाकर्ता और विशेष रूप से हस्तक्षेपकर्ता-दोनों ने कभी भी आठ (8) पूर्व पुलिस आयुक्तों की नियुक्ति को चुनौती देने पर विचार नहीं किया, जबकि उनकी नियुक्ति भी उसी तरह हुई थी जैसा कि प्रतिवादी संख्या-2 (अस्थाना) के मामले में हुआ है।’’

याचिका में दलील दी गई है कि अस्थाना की नियुक्ति प्रकाश सिंह मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों का स्पष्ट और खुला उल्लंघन है क्योंकि अधिकारी का न्यूनतम छह महीने का कार्यकाल शेष नहीं है और दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में उनकी नियुक्ति के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की कोई समिति नहीं बनाई गई।

इसमें यह भी दलील दी गई है कि प्रधान न्यायाधीश, प्रधानमंत्री और नेता विपक्ष की उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने 24 मई, 2021 को अपनी बैठक में प्रकाश सिंह मामले में शीर्ष अदालत द्वारा तय किए गए छह महीने संबंधी नियम के आधार पर अस्थाना को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) निदेशक के रूप में नियुक्त करने के केंद्र सरकार के प्रयास को विफल कर दिया था।

इसमें कहा गया है कि दिल्ली के पुलिस आयुक्त के पद पर अस्थाना की नियुक्ति को इसी सिद्धांत पर रद्द किया जाना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय ने गत 25 अगस्त को उच्च न्यायालय से कहा था कि वह भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्ति के खिलाफ अपने समक्ष लंबित याचिका पर दो सप्ताह के भीतर फैसला करे।

यह मामला बृहस्पतिवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था लेकिन संबंधित पीठ के उपलब्ध न होने से इस मामले में अब 20 सितंबर को सुनवाई होगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

क्राइम अलर्टUP Crime: पत्नी को बिना बुर्का पहने बाहर निकलने पर गोली मारी, 2 नाबालिग बेटियों की भी हत्या की

भारतBMC Elections 2026: उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे 2026 के नगर निगम चुनावों के लिए करेंगे संयुक्त रैलियां? संजय राउत ने दी बड़ी अपडेट

भारतBMC Elections 2026: नवाब मलिक के नेतृत्व विवाद को लेकर बीजेपी के गठबंधन से इनकार के बीच एनसीपी अकेले चुनाव लड़ने को तैयार

क्रिकेटIND vs SA, 4th T20I: लखनऊ में अत्यधिक कोहरे के कारण भारत-दक्षिण अफ्रीका के बीच चौथा T20I मैच हुआ रद्द

भारतUP: दो साल में भी योगी सरकार नहीं खोज पायी नया लोकायुक्त, जनवरी 2024 में खत्म हो गया था वर्तमान लोकायुक्त का कार्यकाल

भारत अधिक खबरें

भारतLokmat Parliamentary Awards 2025: डॉ. विजय दर्डा ने कहा- लोकमत लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में अपनी भूमिका निभा रहा है

भारतLokmat Parliamentary Awards 2025 : आरपीआई प्रमुख रामदास आठवले ने कहा- मैं जिनके साथ रहता हूं उन्हें सत्ता मिलती है

भारतLokmat National Conclave 2025: 'विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का अस्तित्व देश के आम नागरिकों के अधिकार, न्याय को सुनिश्चित करना है', पूर्व सीजेआई बीआर गवई बोले

भारतLokmat Parliamentary Award 2025: 4 राज्यसभा सांसदों को मिला लोकमत पार्लियामेंटरी अवार्ड 2025, सुधा मूर्ति, डोला सेन, संजय सिंह और दिग्विजय सिंह

भारतInsurance: संसद में 'सबका बीमा सबकी रक्षा' विधेयक पारित, जानिए क्या है ये बीमा और कैसे मिलेगा लाभ