Rajya Sabha polls: केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को जदयू से टिकट नहीं, कहा-सीएम नीतीश ने जो किया बेहतरी के लिए ही किया, 25 वर्षों का रिश्ता, धन्यवाद...

By एस पी सिन्हा | Published: May 30, 2022 03:38 PM2022-05-30T15:38:55+5:302022-05-30T15:40:20+5:30

Rajya Sabha polls: झारखंड जदयू प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो को टिकट दिए जाने के निर्णय पर आरसीपी सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आभार जताया.

Rajya Sabha polls Union Minister RCP Singh not JDU ticket said CM Nitish kumar did betterment 25 years relationship thank you | Rajya Sabha polls: केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को जदयू से टिकट नहीं, कहा-सीएम नीतीश ने जो किया बेहतरी के लिए ही किया, 25 वर्षों का रिश्ता, धन्यवाद...

आरसीपी सिंह ने पार्टी में प्रकोष्ठों को फिर से बहाल करने की मांग की है.

Highlightsनीतीश कुमार से उनका पिछले 25 वर्षों का रिश्ता है. मैं उनके साथ 1982 से काम कर रहा हूं. आरसीपी सिंह ने कहा कि जदयू की ओर से जो भी फैसला लिया गया है, उससे मजबूती मिलेगी.जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पर जमकर हमला बोला. 

Rajya Sabha polls: केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह यानी आरसीपी सिंह को जदयू के द्वारा इस बार राज्यसभा का टिकट नहीं दिये जाने से बिहार की राजनीति में बड़ी हलचल है. राज्यसभा चुनाव का टिकट काटे जाने के बाद आरसीपी सिंह आज मीडिया के सामने आए.

जहां उन्होंने सबसे पहले पार्टी की तरफ से मौका दिया जाने को लेकर नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार से उनका पिछले 25 वर्षों का रिश्ता है. मैं उनके साथ 1982 से काम कर रहा हूं. आज तक पार्टी में उन्हें जो जिम्मेदारी मिली वो नीतीश कुमार ने ही दी है. इस बार भी नीतीश कुमार का फैसला उन्हें मंजूर है. 

वहीं, झारखंड जदयू प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो को दिए जाने के निर्णय पर आरपी सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आभार जताया. मीडिया से वार्ता के दौरान आरसीपी सिंह ने जहां नीतीश कुमार की तारीफ की वहीं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की खिंचाई भी की. इसके साथ ही आरसीपी ने भाजपा को गठबंधन का मजबूत सहयोगी बताते हुए कहा कि 303 सांसद होने के बावजूद भाजपा ने उन्हें मंत्री बनने का मौका दिया, यह भाजपा का बड़प्पन है. उन्होंने कहा कि 2014 के चुनाव में भाजपा को 181 सीटें मिली जो 2019 के चुनाव में बढ़कर 303 हो गईं.

आरसीपी सिंह ने कहा कि जदयू की ओर से जो भी फैसला लिया गया है, उससे पार्टी को मजबूती मिलेगी. 2010 से मैं संगठन में काम कर रहा हूं. आज पार्टी बूथ स्तर तक पहुंची है, जो संगठन के लिए बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने कहा कि मैंने आज तक नीतीश कुमार के परामर्श से सभी निर्णय लिए हैं.

इस दौरान उन्होंने एक तरफ जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया तो वहीं दूसरी ओर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पर जमकर हमला बोला. उन्होंने ललन सिंह का नाम लिये बिना कहा कि उनके अध्यक्ष रहते जदयू में कई प्रकोष्ठ बनाये गये थे, जिससे सामाजिक, भौगोलिक और लैगिंक हिस्सेदारी सुनिश्चित की गई थी, उसकी संख्या को और बढ़ना था, लेकिन कम कर दिया गया है.

आरसीपी सिंह ने पार्टी में प्रकोष्ठों को फिर से बहाल करने की मांग की है. पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि अब वो संगठन के लिए और समय देंगे. संगठन जब उन्हें बुलायेगा वो उपस्थित होंगे. उन्होंने कहा कि मैं प्रदेश के अध्यक्ष से अनुरोध करूंगा कि बिहार में 33 प्रकोष्ट को 13 पर ला दिया गया है. इसे और बढ़ाने की जरुरत है.

आरसीपी ने ऐलान किया कि वह शुरू से ही पार्टी को संगठनात्मक स्तर पर मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं. अब एक बार फिर से पार्टी को मजबूत करने के लिए काम करेंगे. इस दौरान उन्होंने कहा कि अभी वह पार्टी में हैं, आगे भी पार्टी में बने रहेंगे. केंद्रीय मंत्रिमंडल में बने रहने पर आरसीपी ने कहा कि उनका राज्यसभा सदस्य के रूप में जुलाई तक कार्यकाल बचा हुआ है.

उन्होंने कहा कि मेरे नेता नीतीश बाबू कहेंगे तो इस्तीफा दे दूंगा, मैं प्रधानमंत्री मोदी से मिलूंगा और अपनी बात कहूंगा. 6 जुलाई तक मेरा कार्यकाल है. पार्टी ने उन्हें जुलाई तक यह जिम्मेदारी दे रखी है, लेकिन उनके मंत्री बने रहने पर फैसला प्रधानमंत्री मोदी करेंगे. आरसीपी ने कहा कि वो दिल्ली जाने पर प्रधानमंत्री से मिलेंगे और उनसे पूछेंगे कि नयी परिस्थति में उन्हें अब क्या करना है.

केंद्र सरकार में जदयू के प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन के दावे को आरसीपी ने खारिज कर दिया. उन्होंने कहा प्रधानमंत्री कभी भी इस्तीफा मांग सकते हैं या हम कभी भी इस्तीफा दे सकते हैं. सबकुछ हो सकता है. इस दौरान उन्होंने कहा जदयू या नीतीश जी ने अभी इस्तीफा देने को नहीं कहा है. आरसीपी सिंह ने कहा कि मैंने आजतक ऐसा कोई काम नहीं किया है, जिससे मेरे ऊपर सवाल उठाया जा सके.

उन्होंने कहा कि वह 12 साल राज्य सभा में रहे. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पार्टी ने उन्हें महासचिव बनाया, सदन में दल का नेता बनाया, राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया और अभी नीतीश कुमार की सहमति से ही केंद्रीय मंत्री बना हुआ हूं. मुझे जो जिम्मेदारी दी गयी, उसे पूरी ईमानदारी से निभाया है. वहीं ललन सिंह से चल रहे मनमुटाव को लेकर उन्होंने साफ कर दिया कि कोई मतभेद नहीं है.

ललन सिंह हमसे नाराज क्यों रहेंगे? वह लोकसभा के नेता हैं हम राज्यसभा के हैं. एक सवाल के जबाव में आरसीपी सिंह ने कहा वह अपने मन में कुछ नहीं रखते हैं. अगर उन्हें पता चलता है कि कोई उनसे नाराज है तो वो उसकी नाराजगी दूर करने का प्रयास करते हैं. उल्लेखनीय है कि आरसीपी सिंह का कार्यकाल पूरा होने पर रिक्‍त हो रही सीट से झारखंड जदयू के अध्‍यक्ष खीरू महतो को जदयू ने अपना उम्‍मीदवार घोषित कर दिया है. इसतरह से जदयू में नीतीश कुमार के बाद नंबर दो की हैसियत रखनेवाले आरसीपी सिंह का राज्यसभा से टिकट कट गया है.

इसके साथ ही अब यह साफ जाहिर हो गया है कि अब नीतीश कुमार और आरसीपी के बीच के रिश्तों में वैसी मधुरता नहीं रही, जो एक साल पहले नजर आती थी. जिस तरह आरसीपी ने पार्टी के विरुद्ध जाकर फैसले लिए, उसके बाद वह न सिर्फ नीतीश कुमार बल्कि पार्टी के दूसरे नेताओं से दूर होते चले गए. एक साल पहले तक पार्टी में सिर्फ तीन नेताओं की तूती बोलती थी.

इनमें नीतीश कुमार के साथ ललन सिंह और तीसरा नाम आरसीपी का था. लेकिन नई दिल्ली का सफर तय करते करते आरसीपी पटना से बिल्कुल दूर होते चले गए. यहां सिर्फ नीतीश कुमार और ललन सिंह रह गए. दोनों के बीच रिश्ते बेहतर होते गए और आरसीपी सिर्फ एक केंद्रीय मंत्री बन कर रह गए. इसके साथ ही पार्टी में उनकी कोई बडी भूमिका नहीं रही.

पार्टी में उनके खिलाफ नाराजगी देखी जा रही थी. खुद ललन सिंह अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके थे. अब बारी थी कि पार्टी की तरफ से सिर्फ नीतीश कुमार के इशारे का, जो कि राज्य सभा चुनाव ने दिया और पार्टी ने आरसीपी को राज्यसभा में तीसरी बार भेजने से इनकार कर दिया.  यहां बता दें कि पिछले कुछ समय से आरसीपी जदयू में कम भाजपा नेताओं के ज्यादा करीब नजर आ रहे थे.

कई मंचों से वह भाजपा की नीतियों की तारीफ कर चुके थे. यहां तक जदयू की बैठक में भी उन्होंने भाजपा के संगठनात्मक ढांचे की प्रशंसा की थी, उन्होंने कहा था कि बेहतर और अनुशासन के कारण भाजपा महज चार दशक में दुनिया की सबसे बडी पार्टी बन गई. ऐसे में कहा जा रहा है कि भाजपा के साथ बेहतर होते रिश्ते भी कहीं न कहीं आरसीपी के टिकट कटने का बडा कारण बने. वैसे सियासी गलियारे में कई तरह के चर्चाओं का बाजार गर्म है.

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