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राजू श्रीवास्तव ने भाजपा विधायक दल की बैठक में सभी को हंसने के लिए मजबूर कर दिया था, यूपी के मंत्री ने सुनाया किस्सा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 23, 2022 13:17 IST

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) से राजनीति में आये और अपने पहले चुनाव के बाद राज्य के समाज कल्याण मंत्री बने अरुण ने राजू श्रीवास्तव को श्रद्धांजलि देते हुए यह किस्सा सुनाया।

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ठळक मुद्देएम्स में 41 दिन तक भर्ती रहने के बाद बुधवार को श्रीवास्तव का निधन हो गया।बृहस्पतिवार को राजू श्रीवास्तव का अंतिम संस्कार किया गया।

नोएडाः इस साल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की एक महत्वपूर्ण बैठक में हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव ने अपने अनोखे अंदाज से पार्टी के अनेक विधायकों को हंसा-हंसाकर लोटपोट कर दिया था। प्रदेश सरकार के मंत्री असीम अरुण ने यह वाकया साझा किया। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) से राजनीति में आये और अपने पहले चुनाव के बाद राज्य के समाज कल्याण मंत्री बने अरुण ने राजू श्रीवास्तव को श्रद्धांजलि देते हुए यह किस्सा सुनाया।

नयी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 41 दिन तक भर्ती रहने के बाद बुधवार को श्रीवास्तव का निधन हो गया और बृहस्पतिवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया। वह 58 वर्ष के थे। श्रीवास्तव उत्तर प्रदेश के कानुपर के रहने वाले थे और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य थे। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने उन्हें उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद का अध्यक्ष नियुक्त किया था। अरुण ने श्रीवास्तव को याद करते हुए कहा कि वह 1980 के दशक से ही प्रसिद्ध हास्य कलाकार के शो देखा करते थे और जब कानपुर के पुलिस आयुक्त बने तो उन्हें राजू श्रीवास्तव को करीब से जानने का अवसर मिला।

उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘‘उनका आखिरी शो जो मैंने देखा था, जबरदस्त था। उन्हें नव निर्वाचित भाजपा विधायक दल की बैठक में आमंत्रित किया गया था। जैसे ही उन्होंने अपनी प्रस्तुति शुरू की, कहा, ‘‘मेरे सामने उत्तर प्रदेश के छंटे हुए लोग बैठे हैं’ और बैठक में शामिल सभी लोग यह सुनकर अपनी हंसी नहीं रोक सके।’’ अरुण ने कहा, ‘‘आज वह नयी यात्रा पर निकल पड़े हैं लेकिन अपनी यादों और वीडियो के माध्यम से हमारे साथ हमेशा रहेंगे।’’ फिल्मों आदि में ‘छंटे हुए लोग’ वाक्यांश का इस्तेमाल अमूमन बदमाश और नकारात्मक तत्वों के लिए किया जाता है, लेकिन श्रीवास्तव ने अपनी शैली में इस वाक्यांश का उपयोग निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के लिए करके उन्हें हंसने पर मजबूर कर दिया। 

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