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ऑनलाइन पढ़ाई की चुनौती! राजस्थान के बाड़मेर में छात्रों को पढ़ाने उनके घर पहुंच रहे शिक्षक, कई के पास नही है मोबाइल

By दीप्ती कुमारी | Updated: July 10, 2021 10:03 IST

कोरोना महामारी के कारण बच्चे ऑनलाइन ही क्लास ले रहे हैं । ऐसे में कई बच्चों के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी एक बड़ी समस्या है । इस समस्या को दूर करने के लिए राजस्थान के बाड़ेमर के शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के लिए उनके घर पहुंच रहे हैं ।

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ठळक मुद्देराजस्थान के बाड़मेर में छात्रों को उनके घर पढ़ाने पहुंच रहे हैं शिक्षक बाड़मेर में मोबाइल कनेक्टिविटी एक बड़ी समस्या है रिपोर्ट के अनुसार 75 लाख बच्चों में से कई के पास फोन भी नहीं है

जयपुर : देश में कोरोना महामारी ने जीने का तरीका बदल दिया । लोगों के रहने से लेकर खाने औऱ पढ़ने तक का तरीका सब ऑनलाइन मोड में शिफ्ट हो गया । इसका ऐसा ही असर बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ा है । अब स्कूल बंद है तो बच्चे ऑनलाइन क्लास ही ले रहे हैं लेकिन भारत में डिजीटल डिवाइड जैसी बड़ी समस्या भी है मतलब हर किसी के पास कनेक्टिविटी और मोबाइल जैसी सुविधाएं नहीं है या सीमित है । 

ऐसी ही स्थिति राजस्थान के बाड़मेर इलाके में भी है , जहां मोबाइल सिग्नल खराब होने की वजह से ऑनलाइन कक्षाएं प्रभावित हो रही है । इसके मद्देनजर बाड़मेर के रेगिस्तानी इलाकों में शिक्षक आजकल ऊंट से यात्रा कर रहे हैं और खराब मोबाइल कनेक्टिविटी को देखते हुए छात्रों को पढ़ाने के लिए उनके घर पहुंच रहे हैं ।

एएनआई की एक रिपोर्ट में राजस्थान शिक्षा विभाग के निदेशक सौरव स्वामी ने कहा कि 75 लाख छात्रों में से कई के पास मोबाइल  फोन नहीं है इसलिए राजस्थान सरकार ने फैसला किया कि शिक्षक सप्ताह में एक बार कक्षा 1-8 के लिए और सप्ताह में दो बार कक्षा 9-12 के लिए अपने घर जाएंगे । साथ ही राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य ने कठिनाई के बीच छात्रों को पढ़ाने के प्रयासों के लिए शिक्षकों की सराहना की है । 

सरकारी हायर सीनियर स्कूल भीमथल के प्राचार्य रूप सिंह झाकड़ कहते हैं कि 'मैं शिक्षकों की इस टीम को सलाम और धन्यवाद देता हूं । इसे आगे भी जारी रखा जाना चाहिए । '

देशभर में कई छोटे इलाकों में बच्चे घर की छत, सड़क और ऊंचे क्षेत्रों पर जाकर पढ़ने को मजबूर है । हाल ही में कर्नाटक के एक इलाके से बच्चों के सड़क पर बैठाकर पढ़ने का वीडियो वायरल  हो रहा था । मोबाइल फोन और कनेक्टिविटी की सुविधा न होने की वजह से कई बच्चे अपनी पढ़ाई तक छोड़ने को मजबूर हैं ।  

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