राजस्थान के पंचायत उपचुनाव के नतीजे कहते हैं- भाजपा हारी है, खत्म नहीं हुई!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: December 31, 2018 01:58 PM2018-12-31T13:58:32+5:302018-12-31T13:58:32+5:30
अलवर जिला परिषद के एक सदस्य के लिए हुए चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज कराई है, तो पंचायत समिति सदस्यों में मांडलगढ़, बीदासर, लवाण, मेड़ता और जैतारण में भी भाजपा जीती है.
राजस्थान में जिस बात की सियासी आशंका राजनीतिक जानकार व्यक्त कर रहे थे, उसकी झलक विभिन्न पंचायत समितियों के 9 और जिला परिषद के एक सदस्य के लिए हुए पंचायत उपचुनाव के नतीजों में दिखाई दी है. पंचायत उपचुनावों में भाजपा, कांग्रेस से आगे रही है. जहां 9 पंचायत समिति सदस्यों के चुनावों में बीजेपी ने 5 स्थानों पर जीत दर्ज कराई है, वहीं कांग्रेस को 4 सदस्यों की जीत पर संतोष करना पड़ा है. जिला परिषद के एक सदस्य का चुनाव परिणाम भी भाजपा के पक्ष में रहा है.
अलवर जिला परिषद के एक सदस्य के लिए हुए चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज कराई है, तो पंचायत समिति सदस्यों में मांडलगढ़, बीदासर, लवाण, मेड़ता और जैतारण में भी भाजपा जीती है. उधर, धौलपुर की बाड़ी पंचायत समिति के तीन वार्डों और कोटा की लाडपुरा पंचायत समिति के वार्ड से कांग्रेस ने कामयाबी हांसिल की है.
ये नतीजे बताते हैं कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा हारी थी, खत्म नहीं हुई थी. ये नतीजे कांग्रेस और भाजपा, दोनों को आईना दिखा रहे हैं, क्योंकि विस चुनाव कांग्रेस भले ही जीत गई हो, किन्तु प्राप्त मत प्रतिशत के मामले में भाजपा-कांग्रेस, दोनों बराबरी पर थे.
असली चुनौती लोकसभा चुनाव में है. वर्तमान मत प्रतिशत पर भरोसा करें तो कोई भी दल अधिकतम 13 सीटें जीत सकता है, जबकि कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही 25 सीटें जीतने का लक्ष्य ले कर चल रही हैं.
कांग्रेस के लिए 25 लोस सीटों का लक्ष्य हांसिल करना तभी संभव है जब कांग्रेस सरकार जनता को अपने कामकाज से प्रभावित कर पाए और कांग्रेसी गुटबाजी से उपर उठ कर उत्साह के साथ सक्रिय हों.
अगले लोस चुनाव भाजपा के सियासी प्रबंधन की अग्निपरीक्षा हैं, क्योंकि इस वक्त राजस्थान में भाजपा सत्ता में नहीं है, इसलिए कांग्रेस सरकार यदि राजनीतिक गलतियां नहीं करती है तो भाजपा के पास कहने के लिए कुछ खास नहीं है.
सबसे बड़ी परेशानी यह है कि पिछले लोस चुनाव में भाजपा ने 25 में से 25 सीटें जीत लीं थी, अब भाजपा के पास इससे ज्यादा हांसिल करने के लिए कुछ नहीं है, जबकि कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है. लोकसभा चुनाव के नतीजे बताएंगे कि राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार जनता की उम्मीदों पर कितनी खरी उतरी?