कोरोना वायरसः आदिवासी जीवनशैली से कोरोना से जीत सकते हैं जंग!, वर्टिकल शहरों पर सबसे ज्यादा असर
By प्रदीप द्विवेदी | Published: June 19, 2020 09:32 PM2020-06-19T21:32:36+5:302020-06-19T21:32:36+5:30
दक्षिण राजस्थान के आदिवासियों का जीवन खेतघर पर आधारित रहा है, जहां उनका घर है, वहीं उनके खेत भी हैं, वहीं उनके पालतु पशु भी हैं और वहीं परिवार का हर सदस्य कामकाज में सहयोग देता है.
जयपुरः कोरोना वायरस अटैक ने आर्थिक और शारीरिक नुकसान से ज्यादा मानसिक तनाव दिया है. इसके डर के कारण जिन्दगी ठहर-सी गई है.
कोरोना वायरस अटैक का सबसे ज्यादा असर होरिजेंटल गांवों के बजाय वर्टिकल शहरों पर हुआ है, लिहाजा आदिवासी जीवनशैली अपना कर कोरोना से जंग जीती जा सकती है. दक्षिण राजस्थान के आदिवासियों का जीवन खेतघर पर आधारित रहा है, जहां उनका घर है, वहीं उनके खेत भी हैं, वहीं उनके पालतु पशु भी हैं और वहीं परिवार का हर सदस्य कामकाज में सहयोग देता है.
अब इंटरनेट ने उन्हें पूरी दुनिया से जोड़ दिया है, यदि माही परियोजना जैसी सिंचाई योजनाओं का सहारा मिल जाए, तो उनकी केवल बरसात पर निर्भरता खत्म हो जाएगी और उन्हें शहरी नर्क में लौटने की जरूरत नहीं रहेगी. अधिक-से-अधिक भौतिक संसाधन प्राप्त करनेे की अंधी दौड़ ने लोगों का संतोष छिन लिया है. यदि लोग आदिवासी जीवनशैली अपना लें, तो कोरोना का सारा डर हवा हो जाएगा.
इधर, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि हमारी सरकार अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के विकास के लिये प्रतिबद्ध है. राज्य में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की कुल जनसंख्या में से अनुसूचित जाति की जनसंख्या 17.83 प्रतिशत तथा अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 13.48 प्रतिशत है.
इन वर्गों के समग्र एवं प्रभावी विकास हेतु राज्य बजट में से अनुसूचित जाति उपयोजना तथा जनजाति उपयोजना के तहत् इनकी जनसंख्या के अनुपात में क्रमशः मांग संख्या 51 एवं 30 में पृथक से बजट प्रावधान किये जा रहे हैं. सीएम गहलोत का कहना है कि भविष्य में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के विकास के दृष्टिगत योजना निर्माण, आंवटन एवं व्यय को और सुढृढ़ एवं प्रभावी बनाने हेतु हमारी सरकार द्वारा व्यवस्था को वैधानिक रूप देते हुए अधिनियम बनाया जायेगा.
वे कहते हैं कि हमारी सरकार अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति के विकास के लिए कृतसंकल्प है. पूर्व में हमारी सरकार ने प्रत्येक विभाग के बजट आवंटन में एससी प्लान एवं टीएसपी सब-प्लान हेतु अलग बजट प्रावधान सुनिश्चित किया था. अब हमारी सरकार इसके बेहतर क्रियान्वयन की व्यवस्था सुनिश्चित करेगी.
यदि सर्वे करके दक्षिण राजस्थान के आदिवासियों के लिए सिंचाई योजनाएं, सोलर एनर्जी, पौधरोपण, वाटर हार्वेस्टिंग जैसे कार्यों पर ध्यान दिया जाए, तो यहां लौटे लाखों प्रवासी मजदूरों का जीवन सुधर जाएगा और बहुत जल्दी दक्षिण राजस्थान की सुंदर तस्वीर भी उभरने लगेगी!