राजस्थान चुनाव 2018: इस 'फिल्म' के चलते राजपुताना राजे सरकार से खफा, बीजेपी को हो सकता है बड़ा नुकसान

By लोकमत न्यूज़ ब्यूरो | Published: October 27, 2018 01:23 PM2018-10-27T13:23:42+5:302018-10-27T20:23:10+5:30

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वरिष्ठ मंत्री रहे जसवंत सिंह के पुत्र मानवेंद्र सिंह ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। जानिए, राजस्‍थान में कहां-कहां बीजेपी को हो रहा है नुकसान-

Rajasthan Election 2018: Rajpoot Community angry with Vasundhara Raje Govt | राजस्थान चुनाव 2018: इस 'फिल्म' के चलते राजपुताना राजे सरकार से खफा, बीजेपी को हो सकता है बड़ा नुकसान

सीएम वसुंधरा राजे और पीएम मोदी की फाइल फोटो

- प्रदीप द्विवेदी

आजादी के बाद से ही राजस्थान में राजपूत समाज कांग्रेस के ज्यादा करीब नहीं रहा और इसीलिए राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पैर मजबूती से जमाने में राजपूत समाज का बड़ा योगदान रहा है। राजस्थान के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष महारावल लक्ष्मण सिंह प्रदेश के पहले राजपूत मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए। बाद में राजस्थान में तीन बार सीएम रहे पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत भाजपा का लोकिप्रय चेहरा बने।

उन्हीं की बदौलत भाजपा आज भी राजस्थान में मजबूती से खड़ी है, लेकिन कुछ समय से राजपूत समाज राजस्थान की भाजपा सरकार से नाराज है और इसलिए कहा जा रहा है कि- राजपूत समाज विधानसभा चुनाव में भाजपा की दशा और दिशा तय करेगा! कुछ समय पहले ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वरिष्ठ मंत्री रहे जसवंत सिंह के पुत्र मानवेंद्र सिंह ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। इसे भाजपा के पारंपरिक राजपूत मतदाताओं की नाराजगी के रूप में देखा जा रहा है।

इन मुद्दों के चलते बीजेपी से नाराज हुए राजपूत

फिल्म पद्मावती के मुद्दे से राजपूत समाज की भाजपा सरकार से नाराजगी शुरू हुई तो आनंदपाल, राजमहल प्रकरण आदि के कारण यह नाराजगी बढ़ती गई। बतौर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह शेखावत का नाम लगभग तय होने के बाद भी उन्हें प्रदेशाध्यक्ष नहीं बनाया गया तो यह साफ लगने लगा था कि इस बार राजपूत समाज भाजपा का साथ नहीं देगा। हालांकि, गजेंद्र सिंह शेखावत को चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बनाया गया है, परंतु टिकट के वितरण के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि राजपूत समाज भाजपा का कितना साथ देगा? 

तीन बड़ी रैलियों पर राजनीतिक दलों की नजर

विस चुनाव के मद्देनजर जयपुर में 27 से 29 अक्तूबर तक तीन बड़ी रैलियां हो रही हैं, जिन पर सारे राजनीतिक दलों की नजरे हैं, क्योंकि इनसे चुनाव में आ रहे बदलाव के संकेत मिलेंगे। श्री राजपूत करणी सेना के बैनर पर राजपूत समाज के लोगों की 27 अक्तूबर को विद्याधर नगर में बड़ी सभा प्रस्तावित है, सेना के अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना का कहना है कि इसमें लाखों लोग शामिल होंगे। 

ये है राजपूत समाज की मांगे

इस वक्त राजपूत समाज की मांगे हैं, आनंदपाल एनकाउंटर केस में समाज के लोगों पर दर्ज मुकदमे वापस हो, आरक्षण और एसटी-एससी एक्ट में संशोधन की समीक्षा हो आदि। चुनाव में राजपूत समाज का रुख इस बात पर निर्भर करेगा कि टिकट वितरण में कौन सा दल समाज के कितने लोगों को प्रतिनिधित्व देता है। बहरहाल, ऐसा लगता है कि राजस्थान का राजपूत समाज किसी एक राजनीतिक दल के साथ खड़ा नहीं रहेगा और यदि ऐसा होता है तो भाजपा की मुश्किलें बढ़ेगी।

(प्रदीप द्विवेदी लोकमत समाचार जयुपर से जुड़े हैं।)

Web Title: Rajasthan Election 2018: Rajpoot Community angry with Vasundhara Raje Govt

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