कथक वह नृत्य कला जिससे भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है: बीडी कल्ला

By धीरेंद्र जैन | Published: January 29, 2020 05:04 AM2020-01-29T05:04:23+5:302020-01-29T05:04:23+5:30

डॉ. कल्ला ने कहा कि आजकल कई जगह कथक जैसी विशुद्ध विद्याओं के साथ मिलावट करते हुए इसको अलग तरह से पेश किया जाता है, यह संस्कृतिक प्रदूषण की श्रेणी में आता है, जो कतई उचित नहीं है। जयपुर घराना कथक की परम्पराओं और संस्कृति वैभव को संरक्षण करते हुए अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहा है, यह खुशी की बात है।

Rajasthan: BD Kalla says Kathak dance art can please God | कथक वह नृत्य कला जिससे भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है: बीडी कल्ला

राजस्थान के कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला।

Highlightsकला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा है कि कथक भक्ति से ओतप्रोत ऐसी नृत्य कला है, जिसके माध्यम से भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है।डॉ. कल्ला ने कहा कि कथक में जयपुर घराने ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्यार्थी तैयार करते हुए अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है।

कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा है कि कथक भक्ति से ओतप्रोत ऐसी नृत्य कला है, जिसके माध्यम से भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है। यह भगवान कृष्ण और भगवान शंकर से जड़ी अनूठी विधा है।

डॉ. कल्ला यहां जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभागार में जयपुर कथक केंद्र द्वारा आयोजित कथक समारोह 2020 का शुभारंभ करने के बाद आयोजित समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
           
डॉ. कल्ला ने कहा कि कथक में जयपुर घराने ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्यार्थी तैयार करते हुए अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि यह घराना थली के नाम से प्रसिद्ध तालछापर एरिया से निकलकर जयपुर में शिफ्ट हुआ, इसके बाद यह जयपुर घराना कहलाया। इस घराने में फुटवर्क का अधिक मात्रा में है, लखनउ घराने में नजाकत और नफासत का पुट अधिक है। बनारस और मध्य प्रदेश में भी कथक होता है, मगर इन सबके बीच जयपुर घराने के नृत्य गुरूओं के निर्देशन में तैयार विद्यार्थियों ने निरंतर देश और विदेश में अपनी प्रतिभा और हुनर की अमिट छाप छोड़ी है। जयपुर कथक केन्द्र कई वर्षों से राजस्थान में कथक को सिखाने और इसे संरक्षण देने में अपनी विशिष्ट भूमिका निभा रहा है।

डॉ. कल्ला ने कहा कि आजकल कई जगह कथक जैसी विशुद्ध विद्याओं के साथ मिलावट करते हुए इसको अलग तरह से पेश किया जाता है, यह संस्कृतिक प्रदूषण की श्रेणी में आता है, जो कतई उचित नहीं है। जयपुर घराना कथक की परम्पराओं और संस्कृति वैभव को संरक्षण करते हुए अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहा है, यह खुशी की बात है।
         
कथक समारोह के उद्घाटन सत्र में जयपुर कथक केंद्र की ओर से डॉ. रेखा ठाकुर के निर्देशन तथा दिल्ली से आई अदिति मंगलदास के निर्देशन में संरचना की प्रस्तुति दी गई। मंगलवार को दूसरे दिन जयपुर कथक केंद्र की ओर से पं. राजकुमार जबड़ा के निर्देशन में संरचना, बनारस के विशाल कृष्ण के निर्देशन में एकल नृत्य तथा लखनऊ के डॉ. कुमकुम धर के निर्देशन में संरचना की प्रस्तुतियां शाम 6ः00 बजे से आयोजित होगी।

कार्यक्रम में जेकेके की महानिदेशक किरण सोनी गुप्ता, जयपुर कथक केंद्र की अध्यक्ष श्रेया गुहा, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के आयुक्त नीरज के. पवन सहित कला एवं संस्कृति प्रेमी उपस्थित थे।

Web Title: Rajasthan: BD Kalla says Kathak dance art can please God

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