बिहार सरकार की ओर से माता-पिता की सेवा को लेकर लिए गए निर्णय के मद्देनजर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रशंसा विरोधी भी कर रहे हैं. इधर, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपने समय का ऐसा ही फैसला याद दिलाते हुए नीतीश कुमार की प्रशंसा की है.
सीएम गहलोत ने ट्वीट किया- संतानों द्वारा वृद्ध माता-पिता की सेवा न करने संबंधी मामलों पर बिहार सरकार का कदम स्वागत योग्य है. माता-पिता के सम्मान को बनाए रखने के लिए और संतान का उनके प्रति दायित्व सुनिश्चित करने के लिए ऐसे कदम उठाए जाने अतिआवश्यक हैं.
इसके साथ ही सीएम गहलोत ने एक और ट्वीट किया- राजस्थान में तो वर्ष 2010 में ही हमारी सरकार ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण नियम के तहत माता-पिता की अनदेखी करने वालों या उन्हें अपनाने से इनकार करने वाली संतानों के खिलाफ सजा और जुर्माने का प्रावधान कर दिया था. यही नहीं, उन्होंने अन्य राज्यों में भी ऐसा कदम उठाने के लिए सुझाव देते हुए लिखा है कि- बुजुर्गों का सम्मान बनाए रखने और उनके भरण-पोषण को सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्यों में ऐसे प्रावधान होने चाहिए.
उल्लेखनीय है कि नीतीश कैबिनेट ने कुछ समय पहले पन्द्रह प्रस्तावों पर मुहर लगाई है, जिनमें एक प्रस्ताव यह भी है कि- बिहार में रहने वाली संताने अगर अब अपने माता-पिता की सेवा नहीं करेंगी तो उनको जेल की सजा हो सकती है. माता-पिता की शिकायत मिलते ही ऐसी संतानों पर कार्रवाई होगी. बिहार सरकार के इस फैसले का पक्ष-विपक्ष में स्वागत हो रहा है.
याद रहे, बिहार समाज कल्याण विभाग के एक प्रस्ताव पर नीतीश सरकार ने 2007 में केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम में संशोधन किया है. पहले संतान द्वारा प्रताड़ित किए जाने वाले माता-पिता को न्याय के लिए जिलों के परिवार न्यायालय में अपील करनी होती थी, जहां सुनवाई प्रधान न्यायाधीश के स्तर पर होती थी, लेकिन अब माता-पिता जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित अपील अधिकरण में अपील कर सकेंगे और डीएम ही ऐसे मामले की सुनवाई करेंगे. यदि बच्चे माता-पिता की सेवा या सम्मान नहीं करते हैं तो ऐसे बच्चों पर कार्रवाई भी की जाएगी.