लाइव न्यूज़ :

राजस्थानः अपने समय का फैसला याद दिलाते हुए सीएम अशोक गहलोत ने की नीतीश कुमार की तारीफ

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: June 13, 2019 16:33 IST

सीएम गहलोत ने ट्वीट किया- संतानों द्वारा वृद्ध माता-पिता की सेवा न करने संबंधी मामलों पर बिहार सरकार का कदम स्वागत योग्य है. माता-पिता के सम्मान को बनाए रखने के लिए और संतान का उनके प्रति दायित्व सुनिश्चित करने के लिए ऐसे कदम उठाए जाने अतिआवश्यक हैं.

Open in App

बिहार सरकार की ओर से माता-पिता की सेवा को लेकर लिए गए निर्णय के मद्देनजर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रशंसा विरोधी भी कर रहे हैं. इधर, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपने समय का ऐसा ही फैसला याद दिलाते हुए नीतीश कुमार की प्रशंसा की है.

सीएम गहलोत ने ट्वीट किया- संतानों द्वारा वृद्ध माता-पिता की सेवा न करने संबंधी मामलों पर बिहार सरकार का कदम स्वागत योग्य है. माता-पिता के सम्मान को बनाए रखने के लिए और संतान का उनके प्रति दायित्व सुनिश्चित करने के लिए ऐसे कदम उठाए जाने अतिआवश्यक हैं.

इसके साथ ही सीएम गहलोत ने एक और ट्वीट किया- राजस्थान में तो वर्ष 2010 में ही हमारी सरकार ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण नियम के तहत माता-पिता की अनदेखी करने वालों या उन्हें अपनाने से इनकार करने वाली संतानों के खिलाफ सजा और जुर्माने का प्रावधान कर दिया था. यही नहीं, उन्होंने अन्य राज्यों में भी ऐसा कदम उठाने के लिए सुझाव देते हुए लिखा है कि- बुजुर्गों का सम्मान बनाए रखने और उनके भरण-पोषण को सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्यों में ऐसे प्रावधान होने चाहिए.

उल्लेखनीय है कि नीतीश कैबिनेट ने कुछ समय पहले पन्द्रह प्रस्तावों पर मुहर लगाई है, जिनमें एक प्रस्ताव यह भी है कि- बिहार में रहने वाली संताने अगर अब अपने माता-पिता की सेवा नहीं करेंगी तो उनको जेल की सजा हो सकती है. माता-पिता की शिकायत मिलते ही ऐसी संतानों पर कार्रवाई होगी. बिहार सरकार के इस फैसले का पक्ष-विपक्ष में स्वागत हो रहा है.

याद रहे, बिहार समाज कल्याण विभाग के एक प्रस्ताव पर नीतीश सरकार ने 2007 में केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम में संशोधन किया है. पहले संतान द्वारा प्रताड़ित किए जाने वाले माता-पिता को न्याय के लिए जिलों के परिवार न्यायालय में अपील करनी होती थी, जहां सुनवाई प्रधान न्यायाधीश के स्तर पर होती थी, लेकिन अब माता-पिता जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित अपील अधिकरण में अपील कर सकेंगे और डीएम ही ऐसे मामले की सुनवाई करेंगे. यदि बच्चे माता-पिता की सेवा या सम्मान नहीं करते हैं तो ऐसे बच्चों पर कार्रवाई भी की जाएगी. 

टॅग्स :राजस्थानअशोक गहलोतनीतीश कुमारकांग्रेसजेडीयूबिहार
Open in App

संबंधित खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई

भारतBihar: उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने विपक्षी दल राजद को लिया निशाने पर, कहा- बालू माफिया की छाती पर बुलडोजर चलाया जाएगा

भारत अधिक खबरें

भारतबाबासाहब ने मंत्री पद छोड़ते ही तुरंत खाली किया था बंगला

भारतWest Bengal: मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी शैली की मस्जिद’ के शिलान्यास को देखते हुए हाई अलर्ट, सुरक्षा कड़ी

भारतIndiGo Crisis: इंडिगो ने 5वें दिन की सैकड़ों उड़ानें की रद्द, दिल्ली-मुंबई समेत कई शहरों में हवाई यात्रा प्रभावित

भारतKyrgyzstan: किर्गिस्तान में फंसे पीलीभीत के 12 मजदूर, यूपी गृह विभाग को भेजी गई रिपोर्ट

भारतMahaparinirvan Diwas 2025: कहां से आया 'जय भीम' का नारा? जिसने दलित समाज में भरा नया जोश