राजस्थानः सत्ता और संगठन के मोर्चों पर सियासी संतुलन कायम करने में जुटे अशोक गहलोत!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: July 3, 2019 07:21 PM2019-07-03T19:21:52+5:302019-07-03T19:21:52+5:30
सीएम गहलोत को अभी भी उम्मीद है कि राहुल गांधी अपना फैसला बदल सकते हैं. वे लगातार कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क में हैं और कांग्रेस के बिगड़े हुए सियासी समीकरण को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस वक्त सत्ता और संगठन के मोर्चों पर सियासी संतुलन कायम करने में जुटे हैं. लोकसभा में हार के बाद जहां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पद छोड़ने के ऐलान के कारण पार्टी में असमंजस का माहौल है, वहीं राजस्थान में बजट भी पेश किया जाना है.
सीएम गहलोत को अभी भी उम्मीद है कि राहुल गांधी अपना फैसला बदल सकते हैं. वे लगातार कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क में हैं और कांग्रेस के बिगड़े हुए सियासी समीकरण को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं. इस बीच खबर है कि सीएम गहलोत ने संयुक्त प्रगतिशील गठंबधन अध्यक्ष वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सोनिया गांधी से उनके आवास पर मुलाकात की.
हालांकि, उनके बीच क्या बातचीत हुई इसकी कोई अधिकृत जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस में वर्तमान में चल रही राजनीतिक गतिविधियों को लेकर उनके बीच चर्चा हुई हो, ऐसा हो सकता है. याद रहे, राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद बतौर कांग्रेस अध्यक्ष, अशोक गहलोत सबकी पहली पसंद हैं, लेकिन सीएम गहलोत राजस्थान की राजनीति से बाहर शायद ही निकलें.
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के पांचों मुख्यमंत्रियों ने राहुल गांधी से मुलाकात कर उन्हें कांग्रेस प्रमुख पद पर बने रहने का आग्रह किया था, लेकिन राहुल गांधी ने मुख्यमंत्रियों की मांगों को खारिज कर दिया और उन्हें नए कांग्रेस अध्यक्ष की तलाश करने को कहा है.
इधर, दिल्ली में कांग्रेस संगठन को लेकर उलझन की स्थिति है, तो उधर राजस्थान में प्रदेश का बजट पेश किया जाना है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आगामी 10 जुलाई को विधानसभा में प्रदेश का बजट पेश करेंगे. यह बजट इसलिए महत्वपूर्ण है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार से बिगड़ी सियासी तस्वीर को सुधारने के लिए जनता की जरूरतों पर आधारित आकर्षक बजट आवश्यक है.
क्योंकि, इस हार में युवाओं, खासकर नए मतदाताओं, महिलाओं आदि की खास भूमिका रही है, इसलिए बजट युवाओं और महिलाओं को प्रभावित करने वाला हो सकता है. देखना दिलचस्प होगा कि सीएम गहलोत, सत्ता और संगठन, दोनों मोर्चों पर सियासी संतुलन कैसे कायम रख पाते हैं!