ऋषिकेश (उत्तराखंड), 25 फरवरी राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन (आरटीआर) ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) से रिजर्व में बाघ स्थानांतरण प्रक्रिया को दोबारा शुरू करने की मंजूरी मांगी है।
जनवरी में कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) से स्थानांतरित एक बाघ के मोतीचूर रेंज में अपने बाड़े में रेडियो कॉलर छोड़कर वहां से भाग जाने के कारण एनटीसीए ने इस प्रक्रिया को अस्थाई रूप से रोक दिया था।
रोक लगाने के पीछे विचार यह था कि स्थानांतरित बाघों को पहले अपने नए आवासीय क्षेत्र में अभ्यस्त होने दिया जाए और फिर इस प्रक्रिया को दोबारा शुरू किया जाए।
आरटीआर के निदेशक धर्मेश कुमार सिंह ने बृहस्पतिवार को 'भाषा' को बताया, ‘‘अपने बाड़े से भागने वाला बाघ मोतीचूर रेंज में स्थानांतरित बाघिन के साथ आराम से घूम रहा है और अब पूरी तरह से अपने नए वातावरण में रहने का अभ्यस्त हो चुका है, इसलिए हमने एनटीसीए को पत्र लिखकर स्थानांतरण प्रक्रिया को बहाल करने के लिए उनकी मंजूरी मांगी है।’’
उन्होंने बताया कि रिजर्व के पश्चिमी भाग के 539 किलोमीटर के जंगल में नवागंतुक बाघ के जोड़े पर लगातार निगरानी रखी जा रही है और कैमरा ट्रैप से मिली तस्वीरों में बाघों के सानन्द रहने की पुष्ट सूचना मिल रही है।
सिंह ने कहा कि ये तस्वीरें एनटीसीए को भी भेजी जा रही हैं। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि एनटीसीए इनके अध्ययन के बाद परियोजना को आगे बढ़ाने को राजी हो जाएगा।
आरटीआर के पश्चिमी हिस्से में बाघों की आबादी बढाने के लिए दिसंबर—जनवरी में सीटीआर से एक बाघ और एक बाघिन को आरटीआर में स्थानांतरित किया गया था। सिंह ने बताया कि अगले साल दिसंबर तक तीन और बाघों—एक बाघ और दो बाघिनों— को कार्बेट से राजाजी में स्थानांतरित किया जाएगा।
कॉर्बेट में भी स्थानांतरित की जाने वाली बाघिन पर एक विषेशज्ञ दल निरंतर निगाह रखे हुए है और एनटीसीए से सहमति बन जाने के बाद उसे सुरक्षित रूप से राजाजी में छोड़ दिया जाएगा।
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