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राहत: तीन स्टेशनों पर रुकेगी श्रमिक स्पेशन ट्रेनें, पूरी क्षमता के साथ 1700 लोगों को लेकर जाएगी ट्रेन

By निखिल वर्मा | Updated: May 11, 2020 12:12 IST

श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की सेवाएं जबसे शुरू हुई हैं सबसे ज्यादा ट्रेन गुजरात से रवाना हुई हैं जिसके बाद केरल का नंबर है। सबसे ज्यादा ट्रेनें बिहार और उत्तर प्रदेश पहुंची हैं।

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ठळक मुद्देरेलवे 12 मई से चुनिंदा यात्री ट्रेन सेवा बहाल करेगी, यात्रियों को नहीं मिलेगा कंबल, चादर और तौलिया भारतीय रेल ने कहा कि शुरुआत में सभी 15 राजधानी ट्रेनों के मार्गों पर वातानुकुलित सेवाएं शुरु होंगी और उनका किराया सुपर-फास्ट ट्रेनों के समान होगा।

भारतीय रेलवे ने सोमवार (11 मई) को बताया है कि श्रमिक विशेष ट्रेनें अब गन्तव्य राज्य में तीन स्टेशन पर रुकेंगी और 1,200 की जगह पूरी क्षमता 1,700 लोगों के साथ चलेंगी। राज्य सरकारों के आग्रह पर यह निर्णय किया गया है।

श्रमिक विशेष गाड़ियों में 24 डब्बे हैं और प्रत्येक डब्बे में 72 यात्रियों को ले जाने की क्षमता है। सामाजिक मेल जोल से दूरी के प्रोटोकॉल का पालन करने के लिये वर्तमान में प्रत्येक डब्बे में 54 यात्रियों को लेकर ले जाया जा रहा है ।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस कदम के बारे में जानकारी देते हुए बताया, ‘‘ रेलवे के पास रोजाना 300 ट्रेनें चलाने की क्षमता है और हम इसे ज्यादा से ज्यादा बढ़ाना चाहते हैं । अगले कुछ दिनों में हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाया जाए। और इसके लिए हमने राज्यों से मंजूरी भेजने को कहा है।’’

वहीं कई जगह पैदल ही मजदूरों के जाने की खबर पर केंद्रीय गृह सचिव ने राज्यों से कहा है कि अगर प्रवासी मजदूर पैदल जाते दिखें तो उन्हें समझाकर पास के शेल्टर में ले जाएं और वहां खाने-पीने का प्रबंध करें। इसके बाद श्रमिक स्पेशल ट्रेन या बस से उन्हें घर पहुंचाया जाएगा। 

रविवार तक कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिये लागू लॉकडाउन की वजह से देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे करीब पांच लाख प्रवासी श्रमिकों को भारतीय रेलवे ने उनके गृह राज्य पहुंचाया। इसके लिये एक मई से 366 “श्रमिक स्पेशल” ट्रेनों का संचालन किया गया। 

रेलवे के अनुसार्, 287 ट्रेन अपने गंतव्य तक पहुंच चुकी हैं जबकि 79 ट्रेन अभी रास्ते में हैं। अधिकारियों ने कहा कि इन 287 ट्रेनों में से 127 ट्रेन उत्तर प्रदेश के लिये थीं, 87 बिहार, 24 मध्य प्रदेश, 20 ओडिशा, 16 झारखंड, चार राजस्थान, तीन महाराष्ट्र, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के लिये दो-दो और आंध्र प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के लिये एक-एक ट्रेन थीं।

इन ट्रेनों से तिरुचिरापल्ली, तीतलागढ़, बरौनी, खंडवा, जगन्नाथपुर, खुर्दा रोड, छपरा, बलिया, गया, पूर्णिया, वाराणसी समेत कई शहरों के प्रवासियों को उनके घरों तक पहुंचाया गया। प्रत्येक श्रमिक ट्रेन में 24 कोच हैं जिनमें से प्रत्येक कोच में 72 सीट हैं।

रेलवे ने विशेष ट्रेनों पर आने वाली लागत की घोषणा अभी नहीं की है लेकिन अधिकारियों ने संकेत दिये कि रेलवे ने ऐसी प्रत्येक सेवा पर करीब 80 लाख रुपये खर्च किये। सरकार ने पूर्व में कहा था कि इन सेवाओं पर आने वाली लागत राज्यों के साथ 85:15 के अनुपात में साझा की जाएगी।

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