दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार द्वारा रक्षा क्षेत्र में युवाओं को नये अवसर देने के नाम पर पेश किये गये 'अग्निपथ' योजना को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है।
केंद्र सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि सरकार के इस फैसला की केवल आलोचना की जा सकती है क्योंकि 'अग्निपथ' योजना से तीनों सैन्यबलों की गरिमा और वीरता को कम किया जा रहा है, जिससे समझौता करने की आजादी सरकार को नहीं दी जा सकती है।
राहुल गांधी ने चीन और पाकिस्तान सीमा पर विवादित स्थिति को संज्ञान में लेते हुए इस मामले में ट्वीट किया और कहा, "जब भारत दो मोर्चों पर खतरों का सामना कर रही है तो ऐसे में अग्निपथ योजना केवल हमारे सशस्त्र बलों के प्रभाव कम करने काम करेगी। भाजपा सरकार को हमारी सेना की गरिमा, परंपराओं, वीरता और अनुशासन से समझौता करना बंद करना चाहिए।"
राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी इस मामले में मोदी सरकार को घेरते हुए पूछा कि क्या वह सेना भर्ती को अपनी "प्रयोगशाला" बना रही है।
यूपी कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी ने भी इस मामले में ट्वीट करते हुए मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। प्रियंका गांधी ने ट्वीट में लिखा, "भाजपा सरकार सेना भर्ती को अपनी प्रयोगशाला क्यों बना रही है? सैनिकों की लंबी नौकरी सरकार को बोझ लग रही है? युवा कह रहे हैं कि ये 4 साला नियम छलावा है। हमारे पूर्व सैनिक भी इससे असहमत हैं। सेना भर्ती से जुड़े संवेदनशील मसले पर न कोई चर्चा, न कोई गंभीर सोच-विचार। बस मनमानी?"
मालूम हो कि केंद्र सरकार ने मंगलवार को थलसेना, नौसेना और वायु सेना में सैनिकों की भर्ती के लिए एक नई योजना "अग्निपथ" की शुरूआत की है। इसके तहत सरकार देश के युवा बेरोजगारों को चार साल के छोटे कांट्रैक्ट पर भर्ती करेगी।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस योजना के तहत इस साल साढ़े 17 साल से 21 साल के लगभग 46,000 युवाओं को सेना के तीन सेवाओं में भर्ती किया जाएगा।
सेना द्वारा चनयीत युवाओं को 10 हफ्ते से लेकर 6 महीने तक ट्रेनिंग देकर अग्निवीर बनाया जाएगा और फिर उन्हें देश की सीमा के अलग-अलग हिस्सों में तैनात किया जाएगा।
अग्निवीर अगर चार साल सेवा अवधि के बीच देश के लिए वीरगति को प्राप्त होते हैं तो उनके परिजनों को एक करोड़ रुपये की राशि देने के साथ बचे हए सेवाकाल का वेतन भी परिजनों को दिया जाएगा।
वहीं अगर चार साल के सेवाकाल के बाद उनका कांट्रैक्ट खत्म होता है तो उसके बाद उन्हें सीएपीएफ और असम राइफल्स की भर्ती में वरियता के आधार पर नियुक्त किया जाएगा।
सेना की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक इस योजना के तहत चार साल बाद सेवा विहीन होने वाले 80 फीसदी अग्निवीरों को सेना की ओर से रोजगार के अवसर मुहैया कराये जाने में मदद की जाएगी। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)