सेना में महिला कमीशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अब सेना में महिलाएं कमांड अधिकारी के पदों पर भी नियुक्त होंगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी सरकार को अपनी मानसिकता सही करने का निर्देश भी दे दिया। कोर्ट ने कहा कि यह एक विकासवादी प्रक्रिया है।
कोर्ट के इस फैसले के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि सरकार देश की महिलाओं को सम्मान नहीं दे रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार द्वारा सेना में महिला कमीशन के मामले में यह कहना कि महिला इस पद के योग्य नहीं है, यह महिलाओं के प्रति सरकार के नजरिये को बताता है।
राहुल के इस ट्वीट पर तंज कसते हुए नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि आदरणीय बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाने।'
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र ने एससी में की थी अपील
दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा भारतीय सेना में महिलाओं को कमांड नियुक्ति नहीं देने के कारणों पर महिला अधिकारियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर लिखित दलीलों में 'अत्यधिक प्रतिगामी' के रूप में आलोचना की गई थी। " केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थीं।
यह कहा गया था कि महिला अधिकारी कमांड नियुक्ति से इनकार करने के संबंध में भारत संघ की ओर से सौंपे गए नोट में दिए गए औचित्य / कारण न केवल अत्यधिक प्रतिगामी हैं बल्कि पूरी तरह से प्रदर्शित रिकॉर्ड और आंकड़ों के विपरीत हैं," मामले में वरिष्ठ वकील ऐश्वर्या भट द्वारा प्रस्तुत लिखित प्रस्तुतियों में कहा गया था।
केंद्र सरकार ने यह तर्क दिया था
बता दें कि सेना में महिलाओं को कमांड नियुक्तियां देने के खिलाफ तर्क देते हुए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि महिलाएं अपनी "शारीरिक सीमाओं" और घरेलू दायित्वों के कारण सैन्य सेवा की चुनौतियों और खतरों को पूरा करने में सक्षम नहीं हो सकती हैं। केंद्र ने मुख्य रूप से ग्रामीण पृष्ठभूमि से ली गईं पुरुष टुकड़ियों की इकाइयों की कमांड महिलाओं को देने पर संभावित अनिच्छा के बारे में बात की है।