नई दिल्लीः कोरोना महामारी पर श्वेत पत्र ज़ारी करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार को आगाह किया कि जो गलतियां सरकार ने कोरोना की पहली और दूसरी लहर में कीं उनसे सबक लेते हुये तीसरी लहर के लिये सरकार देश को तैयार करे।
ताकि स्वास्थ्य सेवाओं के आभाव के कारण लोगों को मरने से बचाया जा सके। मोदी सरकार के कोरोना कुप्रबंधन को लेकर तीखा हमला बोलते हुये राहुल ने आरोप लगाया कि दूसरी लहर में ऑक्सीजन, दवाओं की समुचित व्यवस्था होती तो 90 फ़ीसदी लोगों को मरने से बचाया जा सकता था। पार्टी द्वारा तैयार किये गये श्वेत पत्र में सरकार के कुप्रबंधन, जरूरी उपाय और पूर्व की गलतियों को ठीक करने का ब्यौरा है।
मोदी सरकार को खुले मन से कोरोना की जंग लड़नी चाहिए
राहुल ने सरकार के मुफ्त टीकाकरण करने के फैसले का समर्थन करते हुये कहा कि मनमोहन सिंह ने सरकार को जो सुझाव दिये उसका मज़ाक उड़ाया गया लेकिन बाद में सरकार ने वही किया जो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था। राहुल की सलाह थी कि मोदी सरकार को खुले मन से कोरोना की जंग लड़नी चाहिए, यह कोई राजनीतिक जंग नहीं है।
श्वेत पत्र में चार महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जोर दिया गया है, जिनका उल्लेख राहुल ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान किया, कोरोना से निपटने का एकमात्र विकल्प है टीकाकरण, यही कोरोना को हरा सकता है। राहुल ने साफ़ किया कि युद्ध स्तर पर टीकाकरण हो, लोगों को जागरूप किया जाये कि वह वैक्सीन लें।
दूसरा बिंदु था पुरानी गलतियों को रेखांकित कर उनको सुधारा जाए ताकि फिर तीसरी लहर में बेड, ऑक्सीजन, दवाओं की किल्लत का सामना न करना पड़े। राहुल ने आर्थिक मदद को लेकर कहा कि कोरोना केवल जैवीय समस्या नहीं है इसका आर्थिक और सामाजिक पहलु भी है अतः गरीबों ,उद्द्योगों आदि को आर्थिक मदद दी जाए।
देश के लोग और सरकार मिल कर कोरोना से लड़ सकें
कोरोना की तीसरी लहर की भयावह तस्वीर पेश करते हुए राहुल ने सुझाव दिया कि सरकार को विपक्ष ,डॉक्टर और वैज्ञानिकों की बात सुननी चाहिये जो सरकार को महामारी से लड़ने में मददगार साबित होगी साथ ही सरकार को शक्तियों का विकेन्द्रीयकरण करना होगा जिससे राज्य,देश के लोग और सरकार मिल कर कोरोना से लड़ सकें।
कांग्रेस ने यह सुझाव भी दिया कि कोविड से मौतों के मामलों में संबंधित परिवारों को आपदा प्रबंधन कानून के प्रावधानों के तहत चार-चार लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाए। उसने सरकार से आग्रह किया कि गरीबों, छोटे एवं मध्यम कारोबारों की मदद के लिए न्यूनतम आय सहायता योजना लागू करने समेत राहत के दूसरे कदम उठाए जाएं, मनरेगा के लिए बजट का आवंटन बढ़ाया जाए तथा शहरी क्षेत्रों के गरीबों की भी मदद की जाए।