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राफेल डील: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कटघरे में मोदी सरकार, कांग्रेस हुई हमलावर

By शीलेष शर्मा | Updated: April 11, 2019 02:31 IST

कांग्रेस ने राफेल को एक बार फिर चुनावी जंग में बड़े मुद्दे के रुप में सामने लाने की रणनीति बनाई है. जिसे सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आते ही अमल में बदल दिया और मोदी पर एक बार फिर राफेल को लेकर ताबड़-तोड़ हमले शुरु कर दिये. 

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ठळक मुद्देराहुल गांधी ने अमेठी से लेकर कटिहार तक भरी भीड़ में फिर नारे लगवाये ‘चौकीदार चोर है’राजधानी दिल्ली में पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने नारा दिया ‘पकड़ी गई राफेल की चोरी, मोदी जी की सीनाजोरी’

राफेल लड़ाकू विमान सौदे  में कथित घोटाले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के आज के फैसले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को करारा झटका देते हुए कटघरे में खड़ा कर दिया है.

कल तक सार्वजनिक मंचों पर सर्वोच्च न्यायालय की आड़ लेकर क्लीन चिट मिलने की दलील देकर विपक्ष को खामोश कर देने वाली भाजपा अब जवाब खोज़ रही है.

दूसरी तरफ कांग्रेस ने राफेल को एक बार फिर चुनावी जंग में बड़े मुद्दे के रुप में सामने लाने की रणनीति बनाई है. जिसे सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आते ही अमल में बदल दिया और मोदी पर एक बार फिर राफेल को लेकर ताबड़-तोड़ हमले शुरु कर दिये. 

राहुल गांधी ने अमेठी से लेकर कटिहार तक भरी भीड़ में फिर नारे लगवाये ‘चौकीदार चोर है’ तो राजधानी दिल्ली में पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने नारा दिया ‘पकड़ी गई राफेल की चोरी, मोदी जी की सीनाजोरी’ सुरजेवाला की दलील  थी कि राफेल की चोरी की परतें खुलती जा रही है और झूठ का किला ध्वस्त हो रहा है. सच्चाई बाहर चुकी है कि राफेल की चोरी में चौकीदार चोर है.

कांग्रेस ने राफेल को लेकर आज सात बिंदुओं पर अपना हमला केंद्रित किया और यह साबित करने की कोशिश की कि मोदी और उनकी सरकार राफेल पर किस तरह झूठ बोलती रही. सात बिंदुओं में मोदी की यह दलील भी शामिल थी कि सीएजी की रिपोर्ट में मोदी सरकार को क्लीन चिट दे दी है. जबकि सच यह था कि सीएजी की रिपोर्ट बनी ही नहीं थी और ना ही संसद में पेश हुई. यहां तक की सर्वोच्च न्यायालय से भी सरकार ने झूठ बोला. राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर राफेल की कीमत बताने से इंकार किया गया ताकि यह पता ना लग सके कि 526 करोड़ का जहाज 1600 करोड़ में क्यों खरीदा गया.

सौदे की बातचीत करने वाली टीम को प्रधानमंत्री मोदी और उनके सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने दरकिनार कर दिया. सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से यह भी छुपाया कि सौदा करने वाली टीम, रक्षा मंत्रालय और कानून मंत्रालय ने फाइलों में आपत्ति दर्ज की थी जिन्हें नजरंदाज कर बैंक गारंटी की शर्त हटायी गयी. ऐसे अनेक उदाहरण है जिसे मोदी सरकार ने छुपाया और तोड़मरोड़ कर पेश किया ताकि राफेल सौदे की सच्चाई सामने ना आ सके.

सर्वाच्च न्यायालय ने सार्वजनिक हुए दस्तावेजों का संज्ञान लेते हुए पूरे फैसले को नयेसिरे से सुनने का जो फैसला सुनाया उससे कांग्रेस ही नहीं समूचा विपक्ष अब सरकार और मोदी पर हमलावर है. राहुल ने कहा चौकीदार चोर है  तो वामपंथी दलों ने आरोप लगाया कि मोदी और उनकी सरकार मनमोहन सरकार में राफेल सौदे में राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता कर रही थी.  सीताराम येचुरी ने दलील दी कि क्लीन चिट का झूठ बोलकर छुप रही मोदी सरकार को अब अदालत का सामना करना होगा. भाकापा के अतुल अंजान ने कहा कि मोदी सरकार का झूठ सामने आ गया है.

बसपा की नेता मायावती भी हमला करने में पीछे नही रही उन्होंने कहा कि राफेल का भ्रष्टाचार छिपाने की मोदी की कोशिश अब विफल हो चुकी है उन्होंने मोदी से माफी मांगने और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से इस्तीफा देने की मांग कर डाली. 

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार कांग्रेस ने अपने सभी प्रवक्ताओं को दिशा-निर्देश जारी किये है जिसमें कहा गया है कि राफेल को लेकर वे मोदी और उनकी सरकार पर सीधे हमला बोले और इस झूठ का पर्दाफाश करें कि न्यायालय ने कोई क्लीन चिट दी है ताकि राफेल चुनाव में न्याय के साथ-साथ बड़ा मुद्दा बन सके.

टॅग्स :राफेल सौदाकांग्रेसमोदी सरकार
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