नई दिल्ली, 22 सितंबर: राफेल डील पर कांग्रेस की तरफ से लगातार हो रहे हमले के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने प्रेस कांफ्रेंस किया है। राफेल डील विवाद पर बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कांफ्रेंस किया है। पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री ने राहुल गांधी के बयान को गैरजिम्मेदराना बताया है। उनका कहना है कि राफेल डील में राहुल गांधी ने झूठे बयान देकर खुद के ऊपर कालिख लगाया है। गांधी परिवार भ्रष्टाचार की जननी है। गांधी परिवार हर घोटाले में शामिल रहा है।
रविशंकर प्रसाद ने अपने प्रेस कांफ्रेस में राहुल गांधी के बयान 'देश का चौकीदार चोर है' पर पलटवार करते हुए कहा- 'आजाद भारत के इतिहास में आज तक ऐसा नहीं हुआ कि किसी पार्टी का अध्यक्ष प्रधानमंत्री के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग करे। हम राहुल गांधी से और किसी चीज की उम्मीद कर भी नहीं सकते हैं। उनमें ना तो क्षमता है और ना ही योग्यता है। वो यहां बस अपनी फैमिली की वजह हैं।'
केंद्रीय मंत्री ने राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है- 'वो ये कह रहे हैं बता दो इसका दाम कितना है, ताकि दुश्मन चौंकन्ने हो जाएं। वो पाकिस्तान की मदद करना चाहते हैं। मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ ये आरोप लगा रहा हूं कि राहुल गांधी दुश्मनों के साथ हाथ मिलाएं हुए हैं, जिसकी वजह से वो हथियारों के दाम जनने के लिए इतना जोर दे रहे हैं।'
गौरतलब है कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने अपने एक इंटरव्यू में चौंकाने वाला खुलासा किया है। राफेल डील पर बयान देते हुए ओलांद ने कहा है कि राफेल डील के लिए अनिल अंबानी को दैसॉ एविएशन कंपनी ने नहीं चुना था। हमनें वहीं पार्टनर चुना जो हमें दिया गया था। हमारे पास कोई विकल्प ही नहीं था। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद का ये इंटरव्यू फ्रांस की न्यूज वेबसाइट मीडियापार्ट ने छापा है।
हालांकि ओलांद का बयान आने के बाद फ्रांसीसी कंपनी दैसॉ ने उनके बयान को खारिज करते हुए एक अलग बयान दिया है। कंपनी का कहना है कि सौदे के लिए अनिल अंबानी की रिलायंस कंपनी को उन्होंने खुद चुना था। दोनों ही कंपनियों के बीच सौदा भारतीय कानून और मेक इन इंडिया के मुताबिक ही किया गया है।
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के बयान आने के बाद रक्षा मंत्रालय ने ट्वीट करके सफाई दी थी। रक्षा मंत्रालय ने अपने ट्वीट में लिखा था, 'राफेल डील को लेकर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के बयान पर जांच की जाएगी। पार्टनर चुनने में न भारत सरकार की भूमिका और न फ्रांस की। व्यवसायिक फैसले में किसी सरकार की भूमिका नहीं।