कुतुब मीनार से दो गणेश मूर्तियों को हटाना चाहती है सरकार, एएसआई को पत्र लिख उनके रखे जाने का स्थान अपमानजनक बताया
By विशाल कुमार | Updated: April 7, 2022 07:36 IST2022-04-07T07:33:04+5:302022-04-07T07:36:44+5:30
भाजपा नेता और एनएमए प्रमुख तरुण विजय ने कहा कि आजादी के बाद हमने इंडिया गेट से ब्रिटिश राजाओं और रानियों की मूर्तियों को हटा दिया और उपनिवेशवाद के निशान मिटाने के लिए सड़कों के नाम बदल दिए। अब हमें उस सांस्कृतिक नरसंहार को उलटने के लिए काम करना चाहिए जिसका सामना हिंदुओं ने मुगल शासकों के हाथों किया था।

कुतुब मीनार से दो गणेश मूर्तियों को हटाना चाहती है सरकार, एएसआई को पत्र लिख उनके रखे जाने का स्थान अपमानजनक बताया
नई दिल्ली: कुतुब मीनार परिसर में दो गणेश मूर्तियों के रखे जाने के स्थान को अपमानजनकर बताते हुए राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को उन्हें वहां से निकालकर राष्ट्रीय संग्रहालय में ले जाने के लिए कहा है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले महीने के अंत में एएसआई को भेजे गए एक लिखित संदेश में, एनएमए ने बताया है कि मूर्तियों को राष्ट्रीय संग्रहालय में सम्मानजनक स्थान दिया जाना चाहिए, जहां ऐसी प्राचीन वस्तुओं को प्रदर्शित करने का प्रावधान है।
बता दें कि, एनएमए और एएसआई दोनों केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत काम करते हैं। एएसआई अधिकारी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके। वहीं, भाजपा नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद, एनएमए प्रमुख तरुण विजय ने पुष्टि की कि पत्र भेजा गया था।
एनएमए की स्थापना 2011 में स्मारकों और स्थलों और इसके आसपास के क्षेत्रों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए की गई थी।
विजय ने कहा कि आजादी के बाद हमने इंडिया गेट से ब्रिटिश राजाओं और रानियों की मूर्तियों को हटा दिया और उपनिवेशवाद के निशान मिटाने के लिए सड़कों के नाम बदल दिए। अब हमें उस सांस्कृतिक नरसंहार को उलटने के लिए काम करना चाहिए जिसका सामना हिंदुओं ने मुगल शासकों के हाथों किया था।
दो मूर्तियों को 'उल्टा गणेश' और 'पिंजरे में गणेश' कहा जाता है और 12वीं शताब्दी के स्मारक के परिसर में स्थित हैं, जिसे 1993 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया था।
'उल्टा गणेश' परिसर में कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद की दक्षिण-मुखी दीवार का हिस्सा है। लोहे के पिंजरे में बंद दूसरी मूर्ति जमीन के करीब है और उसी मस्जिद का हिस्सा है।
विजय का कहना है कि इन मूर्तियों को जैन तीर्थंकरों और यमुना, दशावतार, नवग्रहों के अलावा राजा अनंगपाल तोमर द्वारा निर्मित 27 जैन और हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करने के बाद लिया गया था।